परेशानी . बेगूसराय सदर प्रखंड की रजौड़ा-चांदपुरा सड़क की हालत बदतर
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गड्ढे में सड़क है या सड़क में गड्ढा, पता नहीं चलता
परेशानी . बेगूसराय सदर प्रखंड की रजौड़ा-चांदपुरा सड़क की हालत बदतर सरकार बदलती रही. सरकारी कार्यों के तौर-तरीके बदलते रहे, लेकिन नहीं बदली तो बेगूसराय सदर प्रखंड की रजौड़ा-चांदपुरा सड़क की सूरत. दर्जनों गांवों को जिला मुख्यालय से जोड़ने वाला रजौड़ा-चांदपुरा मुख्य पथ वर्षों से अपनी जर्जरता पर आंसू बहाने को विवश है. दुर्भाग्य यह […]
सरकार बदलती रही. सरकारी कार्यों के तौर-तरीके बदलते रहे, लेकिन नहीं बदली तो बेगूसराय सदर प्रखंड की रजौड़ा-चांदपुरा सड़क की सूरत. दर्जनों गांवों को जिला मुख्यालय से जोड़ने वाला रजौड़ा-चांदपुरा मुख्य पथ वर्षों से अपनी जर्जरता पर आंसू बहाने को विवश है. दुर्भाग्य यह है कि इस सड़क की बदहाली को दूर करने के लिए अब तक कोई जनप्रतिनिधि आगे नहीं आ रहे हैं.
बेगूसराय (नगर) : सरकार बदलती रही. सरकारी कार्यों के तौर-तरीके बदलते रहे, लेकिन नहीं बदली तो बेगूसराय सदर प्रखंड की रजौड़ा-चांदपुरा सड़क की सूरत. केंद्र व राज्य की सरकार भले ही सड़कों का जाल बिछाने का ढिढोरा पीट रही है, परंतु दर्जनों गांवों को जिला मुख्यालय से जोड़ने वाला रजौड़ा-चांदपुरा मुख्य पथ वर्षों से अपनी जर्जरता पर आंसू बहाने को विवश है. इस सड़क की बदहाली सरकार के तमाम दावे-वादे की पोल खोलने के लिए काफी है.
क्षेत्रवासियों के लिए लाइफ लाइन माने जाने वाली यह सड़क जर्जरता की सीमा पार कर चुकी है. आलम यह है कि गड्ढे में सड़क है या सड़क में गड्ढा, इसमें कोई अंतर नहीं रह गया है, जिससे इस सड़क पर आये दिन छोटी-मोटी दुर्घटनाएं आम बात हो गयी हैं. दुर्भाग्य यह है कि इस सड़क की बदहाली को दूर करने के लिए अब तक कोई जनप्रतिनिधि आगे नहीं आ रहे हैं.
घटिया सड़क निर्माण की खुल रही कलई :
ज्ञात हो कि वित्तीय वर्ष 2007-08 में इस सड़क का निर्माण कार्य शुरू हुआ था, तो क्षेत्र की जनता में उम्मीद की आस जगी थी कि अब जर्जर सड़कों पर चलने के अभिशाप से मुक्ति मिलेगी. परंतु घटिया निर्माण कार्य का परिणाम यह रहा है कि आगे से सड़क बनती रही एवं पीछे से टूटती चली गयी. लोगों ने इसकी शिकायत जिला प्रशासन से की, लेकिन किसी प्रकार की कार्रवाई नहीं की गयी. प्राक्कलन बोर्ड की मानें तो इस सड़क के निर्माण पर सरकार 455.37 लाख खर्च हुए, फिर भी सड़क की बदहाली दूर नहीं हो सकी. इस सड़क की लंबाई 9.80 किलोमीटर है. जर्जरता के कारण यह सड़क खतरनाक बनी हुई है.
पूर्व विधायक का आंदोलन नहीं आया काम : जर्जरता की सीमा पार कर चुकी रजौड़ा-चांदपुरा व बनद्वार-माधुरीढ़ाला सड़कों के कालीकरण की मांग को लेकर पूर्व विधायक सुरेंद्र मेहता ने वर्ष 2014 में समाहरणालय के समक्ष एक दिवसीय अनशन किया था. उनके समर्थन में हजारों की संख्या में कार्यकर्ता भी कूद पड़े थे. मौके पर सांसद डॉ भोला सिंह ने भी कहा था कि शीघ्र सड़क का कायाकल्प होगा, लेकिन अबतक सड़क की स्थिति जस-की-तस बनी हुई है. यही कारण है कि इस सड़क से गुजरने वाले हर लोग न सिर्फ सरकार को खरी-खोटी सुनाते हैं, बल्कि सांसद-विधायक को कोसते हैं.
न जानें कब मिलेगी जर्जरता के अभिशाप से मुक्ति, सांसद-विधायक के आश्वासनों का घूंट पीने को विवश हैं लोग
गांवों के लिए लाइफ लाइन है यह सड़क
ऐसे तो यह सड़क बेगूसराय सदर, डंडारी व नावकोठी प्रखंडों के कई गांवों को जिला मुख्यालय से जोड़ती है, परंतु सदर प्रखंड की कई ऐसे पंचायतें हैं जहां के लोग प्रखंड सह अंचल, थाना, अनुमंडल, जिला मुख्यालय आने-जाने के लिए यही मुख्य मार्ग है. इसके अलावा दूसरा कोई विकल्प भी नहीं है.
बताया जाता है कि नीमा, चांदपुरा, परना, कैथ, कुसमहौत अझौर, शेरपुर (सदर), सिसौनी व बागर, (नावकोठी), परिहारा व परिहारा (बखरी) तथा राजोपुर, कटरमाला, बलहा व सुघरन (डंडारी प्रखंड) के सैकड़ों लोग प्रत्येक दिन इस सड़क से जिला मुख्यालय आते-जाते हैं. जर्जर सड़क से राहगीरों को काफी परेशानी होती है.
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