..और 45 वर्षों के बाद पूरा हुआ लोगों का सपना
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बेगूसराय को सौगात. ट्रेन परिचालन को लेकर सुबह से ही बना हुआ था उत्सवी माहौल
..और 45 वर्षों के बाद पूरा हुआ लोगों का सपना बेगूसराय : वर्ष 1970 के दशक में उठा पुल निर्माण की मांग 45 वर्षों के बाद आज पूरा हो गया. बेगूसराय स्टेशन से मुंगेर रेल पुल होकर जमालपुर तक जाने वाले डीएमयू ट्रेन के उद्घाटन के साथ ही बेगूसराय और मुंगेर जिले के लोगों के […]
बेगूसराय : वर्ष 1970 के दशक में उठा पुल निर्माण की मांग 45 वर्षों के बाद आज पूरा हो गया. बेगूसराय स्टेशन से मुंगेर रेल पुल होकर जमालपुर तक जाने वाले डीएमयू ट्रेन के उद्घाटन के साथ ही बेगूसराय और मुंगेर जिले के लोगों के चेहरे पर मुस्कान देखी गयी.ट्रेन का परिचालन शुरू हो जाने से क्षेत्र की जनता में उत्साह स्वाभाविक है. उद्घाटन के साथ सिटी बजाती जब पूरी तरह से सजी डीएमयू बेगूसराय से जमालपुर के लिए दौड़ी तो लोगों ने तालियों की गड़गड़ाहट से इसका स्वागत किया.जहां-जहां यह ट्रेन रूक रही थी लोगों में इस ट्रेन को देखने के लिए उत्सुकता बनी हुई थी.
लोग फूलों की वर्षा कर इस ट्रेन का स्वागत कर रहे थे.
अनवरत संघर्ष के कारण रेल पुल क सपना हो पाया साकार : आज के ऐतिहासिक दिन को याद करने से पहले उन महान व्यक्तित्व को भी स्मरण करना अनिवार्य होगा. जिनके अनवरत संघर्ष के कारण इस पुल पर ट्रेन परिचालन का सपना साकार हो पाया है. हालांकि इनमें से कई लोग अब नहीं रहे तो कई लोग जीवन के अंतिम पड़ाव पर हैं.जो आज भी उपस्थित हैं. उनके चेहरे पर इस पुल की शुरुआत उनके संघर्ष को बयां कर रहा है.
1970 के दशक में मुंगेर गंगा नदी पर पुल बनाने की सामने आयी मांग : 1970 के दशक में मुंगेर गंगा नदी पर रेल पुल बनाने की मांग जनता के बीच आयी थी. मुंगेर के तत्कालीन सांसद देवनंदन प्रसाद यादव ने भी मुंगेर पुल को चुनावी मुद्दा बनाया था. मधुलिमये को हराकर वर्ष 1972 में जब सांसद बने तो संसद में भी पुल की मांग उठायी थी.
मधुलिमये भी पुल निर्माण के समर्थन में थे. जागृति नामक सामाजिक संस्था ने पुरजोर ढंग से इस मुद्दे को जीवित रखा. इसके माध्यम से पत्रकार काशीनाथ वर्मा एवं नेता कमला प्रसाद ने 10 वर्षों तक पत्र अभियान चलाकर लगभग 10 लाख पत्र देश के कोने-कोने तक भेज कर गंगा पर पुल निर्माण के लिए समर्थन जुटाने का कार्य किया. वर्ष 1994 में पुल निर्माण की मांग को लेकर मुंगेर जिला विकास संघर्ष समिति भी बनायी गयी.
वर्ष 1978 में मुंगेर-खगड़िया गंगा रेल सह सड़क पुल संघर्ष समिति का हुआ गठन : साहेबपुरकमाल में भी पुल निर्माण की मांग को लेकर संघर्ष तेज करने के लिए 1978 में मुंगेर-खगडि़या गंगा रेल सह सड़क पुल संघर्ष समिति का गठन हुआ. जिसमें मल्हीपुर के डॉ देवनंदन प्रसाद, खरहट के फागेंद्र प्रसाद यादव, शालीग्रामी के सुरेंद्र गुप्ता, हीराटोल के वालेश्वर आजाद, मुंगेर के कमल कुमार, ब्रह्मानंद मंडल, खगडि़या के महेंद्र गुप्ता, बेगूसराय के अधिवक्ता जगरनाथ प्रसाद, साहेबपुरकमाल गांव के धर्मेंद्र सिह यादव, सिरैया के मार्कण्डेय शरण सिंह सुमन आदि की सक्रिय भूमिका रही थी.
14 सितंबर 1994 को निकाली गयी थी विशाल रैली : 14 सितंबर 1994 को ब्रह्मानंद मंडल के आह्वान पर मुंगेर जिला विकास संघर्ष समिति की विशाल रैली में नीतीश कुमार, जार्ज फर्नाडींस, अब्दुल गफूर सरीखे कई राष्ट्रीय नेताओं ने भाग लिया. जिससे पुल आंदोलन और अधिक मजबूत हो गया. फिर 25 अक्तूबर 94 से 25 दिनों की अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल कर ब्रह्मानंद मंडल ने तत्कालीन केंद्रीय सरकार की नींद खोल दी .
साहेबपुरकमाल स्टेशन पर 2 नवंबर, 1996 को किया था रेल का चक्का जाम : बेगूसराय जिले के बलिया अनुमंडल में गठित सर्वदलीय विकास मंच ने 2 नवंबर 1996 को व्यापक स्तर पर साहेबपुरकमाल स्टेशन पर रेल चक्का जाम किया था. जिसमें मंच के अध्यक्ष धर्मेंद्र सिंह यादव, भाजयुमो मंडल अध्यक्ष विजय कुमार चौधरी, युवा समता पार्टी के जिला महासचिव रूदल राय, राजद के बिंदेश्वरी यादव, प्रखंड शिक्षक संघ सचिव
अजय घोष, बेगूसराय जिला श्रमजीवी पत्रकार संघ के सदस्य मुक्तेश्वर प्रसाद सिंह जैसे कुल 40 आंदोलनकारियों को गिरफ्तार किया गया था. खगडि़या की संस्था नगर विकास कल्याण परिषद एवं पूर्वोत्तर बिहार रेल उपभोक्ता संघर्ष समिति तथा उत्तर बिहार विकास मंच अलौली ने 98 तक खगडि़या स्टेशन पर पुल की मांग को लेकर धरना प्रदर्शन एवं रेल चक्का जाम आंदोलन को जारी रखा.
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