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अंतिम दिन यशपाल शर्मा अभिनीत नाटक की हुई प्रस्तुति

और लाइफ पार्टनर ढूंढ़ने पहुंचा कन्हैया मैरेज ब्यूरो कोई बात चले की प्रस्तुति देखने दर्शकों की उमड़ी भीड़ बेगूसराय(नगर) : दिनकर भवन में द फैक्ट रंगमंडल द्वारा आयोजित रंग-ए-माहौल संपन्न हो गया. इस आयोजन को लेकर पिछले एक सप्ताह से दर्शकों में जहां उत्साह का वातावरण बना रहा, वहीं बेगूसराय के दर्शकों में नाटक के […]

और लाइफ पार्टनर ढूंढ़ने पहुंचा कन्हैया मैरेज ब्यूरो

कोई बात चले की प्रस्तुति देखने दर्शकों की उमड़ी भीड़
बेगूसराय(नगर) : दिनकर भवन में द फैक्ट रंगमंडल द्वारा आयोजित रंग-ए-माहौल संपन्न हो गया. इस आयोजन को लेकर पिछले एक सप्ताह से दर्शकों में जहां उत्साह का वातावरण बना रहा, वहीं बेगूसराय के दर्शकों में नाटक के प्रति प्रेम व समर्पण देख नाटक मंचन करने देश के कई हिस्सों से आये कलाकारों ने बेगूसराय को सैल्यूट किया. कलाकारों ने कहा कि बेगूसराय आने के बाद यह महसूस होता है कि अभी भी नाटक के प्रति लोगों में प्रेम है. अंतिम दिन मशहूर अभिनेता यशपाल शर्मा द्वारा अभिनीत नाटक कोई बात चले की कलात्मक प्रस्तुति हुई.
नाटक का निर्देशन राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय से स्नातक रामजी बाली ने किया.
रामजी बाली लिखित इस नाटक में अविवाहित एक लड़के की कहानी है. जिसका नाम कन्हैया लाल वंशी प्रसाद है. कन्हैया प्राइवेट स्कूल में ड्रामा शिक्षक है. 35 वर्ष की आयु में लाइफ पाटर्नर की उत्सुकता है.रोमांटिक और कॉमेडी पूर्ण नाटकों को देख भरपूर मनोरंजन के साथ फिल्मी अभिनेता को अभिनय करते प्रत्यक्ष रूप में देखना सुखद अनुभूति करा गया. अंतत: सुंदर, सुशिक्षित, व्यवहार कुशल भारतीय नारी की खोज को मैरेज ब्यूरो के पास अविवाहित कन्हैया पहुंचता है. वहीं वधू ढूंढ़ने वाली एक लड़की से कन्हैया की मुलाकात हो जाती है. दोनों मैरेज ब्यूरो के पास आये हैं. किंतु दोनों एक-दूसरे को अनभिज्ञता जाहिर करते हुए यहां आने का कारण किसी दूसरे लोगों से मुलाकात बताते हैं. कन्हैया को लड़की पसंद आ जाती है और मैरेज ब्यूरो के लोगों से वैसी ही लड़की चयन करने को कहता है. किंतु चयन करने के बाद अलग-अलग लड़कियों के चरित्र सामने आये. कन्हैया समाज के उन वर्गों का जो सम्मान और महिलाओं के प्रति संवेदना रखता है. जिसके वजह से खुल कर सामने नहीं आता. अंत में दोनों एक-दूसरे के हो जाते हैं. सुप्रिया,रसीली, प्रियंका, प्रिया की भूमिका में रीतु शर्मा ने चरित्र के साथ न्याय किया. प्रकाश धीरेंद्र कुमार, साउंड आकाश कुमार का था. कुल मिला कर नाटक ने हास्य व्यंग्य के माध्यम से अविवाहित लड़कों की मनोदशा का चित्रण था.

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