विकास के लिए वर्ष 2015 में भी कराहता रहा बेगूसरायआजादी के बाद से लेकर आज तक उपेक्षित है बेगूसराय(पेज तीन के लिए) तसवीर-पहचान मिटने के कगार पर जिले का नौलखा मंदिरतसवीर-7तसवीर-लकवाग्रस्त बना राजेन्द्र पुलतसवीर-8तसवीर-बंद पड़ा बरौनी खाद कारखानातसवीर-9तसवीर-उपेक्षित गढ़हारा यार्डतसवीर-10विपिन कुमार मिश्रबेगूसराय(नगर).बिहार की ह्वदय स्थली बेगूसराय वर्ष 2015 में भी विकास के लिए कराहता रहा. आजादी के बाद बेगूसराय में विकास की कोई किरण नहीं पहुंच पायी. इतना अवश्य हुआ कि जिन चीजों से बेगूसराय की पहचान हो रही है वह दम तोड़ रहा है. इसके लिए दोषी कौन है जनता सवाल कर रही है. सन 1970 में अनुमंडल व 1972 में जिला का दर्जा बेगूसराय को मिला. उसके बाद स्थानीय और बाहरी लोगों ने इस जिले का प्रतिनिधित्व किया लेकिन किसी ने इस जिले की सुधि नहीं ली. बेगूसराय पांच अनुमंडलों,18 प्रखंडों,21 पुलिस स्टेशनों,1229 राजस्व गांवों तथा 229 पंचायतों के अलावा बेगूसराय नगर निगम क्षेत्र,बीहट नगर परिषद क्षेत्र तथा बलिया,बखरी व तेघड़ा तीन नगर पंचायतों में बंटा हुआ है.1918 वर्ग किलोमीटर के विस्तार में लगभग 25 लाख की आबादी रहती है. इस जिले में वर्त्तमान साक्षरता का प्रतिशत 74.36 है. इतना सब कुछ रहने के बाद भी बेगूसराय का विकास शून्य है. नतीजा है कि राष्ट्रकवि दिनकर की धरती विकास के लिए आस लगाये है.: डा श्रीकृष्ण सिंह के बाद थम गया विकास का दौरस्वतंत्रता आंदोलन में बेगूसराय की भूमिका के कारण बिहार विकास गाथा में डॉ श्रीकृष्ण सिंह की कर्मस्थली के रूप में बेगूसराय आज भी इतिहास में जाना जाता है. बेगूसराय के विकास का श्रेय श्रीबाबू को ही जाता है. बरौनी रिफाइनरी,बरौनी फर्टिलाइजर,बरौनी थर्मल,बरौनी डेयरी,2200 एकड़ एशिया का प्रसिद्ध गढ़हारा यार्ड की स्थापना कर बेगूसराय को देश में औद्यौगिक मानचित्र पर स्थापित करने का काम श्रीबाबू ने किया. इसी प्रकार उत्तर एवं दक्षिण बिहार को जोड़ने वाला महत्वपूर्ण गंगा नदी पर राजेंद्र पुल का निर्माण भी इसी महापुरुष की देन है. चुनाव आता है विभिन्न दलों के नेताजी आते हैं मतदाताओं को लुभा कर वोट लेने में तो कामयाब हो जाते हैं . नतीजा है कि बेगूसराय जिला आज विकास से कोसों दूर होता जा रहा है. : लगातार खोता जा रहा है बेगूसरायबेगूसराय लंबे समय से अपना सब कुछ खोता जा रहा है. एशिया के सबसे बड़े काबर झील का अस्तित्व मिट चुका है. पक्षी बिहार का गौरव बेगूसराय जिला को प्राप्त था. इस जिले में 116 देशों के मेहमान पक्षियों का आना-जाना होता था जो परंपरा मिटती जा रही है. जिले का गौरव जयमंगलागढ़ और नौलखा मंदिर अपना अस्तित्व खोता जा रहा है. बेगूसराय में म्यूजियम है लेकिन आमजनों की जानकारी से अछूता है. मंसूरचक प्रखंड की मूर्त्तिकला जो एक समय में संपूर्ण भारत में अपनी खास पहचान रखती थी आज समाप्ति की ओर है. राष्ट्रीय स्तर के व्याकरणाचार्य डाॅ वचनदेव कुमार एवं अंर्तराष्ट्रीय स्तर के इतिहासकार डाॅ रामशरण शर्मा,एशिया प्रसिद्ध कैंसर चिकित्सक डाॅ अतरदेव सिंह की पहचान स्थापित नहीं हो सकी है. : जिले में शिक्षण संस्थान की है बदत्तर स्थिति:बेगूसराय जिला हर क्षेत्र में पिछड़ता जा रहा है. जिले के लाखों छात्र विश्वविद्यालय के अभाव में दूसरे जिलों व राज्यों में भटक रहे हैं.जिले का गौरव कहा जाने वाला गणेशदत्त महाविद्यालय अपराधियों व असामाजिक तत्वों का अखाड़ा बन चुका है. पूरे वर्ष जीडी कॉलेज अपाराधिक घटनाओं के लिए शुमार होता रहा. देश का सबसे बड़ा आयुर्वेद महाविद्यालय बेगूसराय में है.लेकिन 2007 से ही यहां नामांकन और पढ़ाई बंद है.यहां इलाज की व्यवस्था भी मृतप्राय हो गयी है. मेडिकल कॉलेज सह अस्पताल का शिलान्यास होने के बाद भी इसके निर्माण होने के आसार नहीं दिखाई पड़ रहे हैं. इंजिनियरिंग कॉलेज निर्माण की अभी तक शुरुआत भी नहीं हो पायी है . बेगूसराय खेल और खिलाडि़यों की धरती मानी जाती है. यहां के खिलाड़ी खास कर जिले की बेटियों ने खेल जगत में राष्ट्रीय और अंर्तराष्ट्रीय स्तर पर जिले का परचम लहरा चुकीं हैं लेकिन इन खिलाडि़यों के लिए एक अच्छा स्टेडियम आज तक नहीं बन पाया है. : धीरे-धीरे बंद हो गये कल-कारखानेबेगूसराय जिले का अपना औद्यौगिक पहचान था. लेकिन आज धीरे-धीरे यह पहचान मिटता जा रहा है. एशिया का सबसे बड़ा गढ़हारा रेलवे यार्ड आज बंजर पड़ा हुआ है. 2200 एकड़ जमीन आज भी किसी उद्धारक की बाट जोह रही है. बिहार की एक मात्र बरौनी खाद कारखाना वर्षो से बंद पड़ा है. देवना स्थित सैकड़ों कारखाने बंद हो चुके हैं. बरौनी रिफाइनरी पर भी खतरा मंडरा रहा है.यहां की उत्पादन क्षमता एवं विकास की गति अन्य राज्यों की रिफाइनरी से कम हो चुकी है. इसे डंप डिपो बनाने की साजिश रची जा रही है.आपको बता दें कि बिहार के चार बड़े एवं अच्छे हवाई अड्डों में से एक उलाव हवाई अड्डा माना जाता है लेकिन यह बंद हो चुका है.जबकि पूर्णिया जैसे छोटे क्षेत्र से हवाई सेवा प्रारंभ है. मक्का अनुसंधान केंद्र का विकास आज भी नहीं हो सका है. बिस्कूट एवं तेल बनाने का सपना आज भी जिले के लिए सपना ही रह गया है. : बेगूसराय का कार्यालय दूसरे जिले में किये जा रहे हैं शिफ्टबेगूसराय जिले के साथ उपेक्षा लगातार जारी है. एक साजिश के तहत बेगूसराय में खुलने वाले कार्यालयों को दूसरे जिले में ले जाया जा रहा है. वन विभाग का एसी कार्यालय पूर्णिया में चला गया है.वाणिज्य कर का आयुक्त कार्यालय दरभंगा में जा चुका है जबकि वाणिज्य कर सबसे अधिक बेगूसराय से प्राप्त होता है. बरौनी डेयरी बेगूसराय में है लेकिन डेयरी विकास निगम का कार्यालय बेगूसराय से लखीसराय एवं अन्य डेयरी से जुड़े प्लांट को बिहारशरीफ ले जाया गया है. गव्य विकास का कार्यालय बेगूसराय में बंद कर लखीसराय ले जाया गया.कर्मचारी बीमा का कार्यालय बेगूसराय में बंद कर हथिदह पटना ले जाया गया.एनएच का कार्यालय भी खगडि़या जा चुका है.यह जानकर आश्चर्य होगा कि बेगूसराय बरौनी थर्मल और सैकड़ों उद्योग धंधे रहने के बावजूद यहां का क्षेत्र समस्तीपुर स्थित विद्युत अधीक्षण अभियंता कार्यालय से संचालित हो रहा है. आयकर आयुक्त का कार्यालय भागलपुर में चल रहा है.: राजस्व में अव्वल फिर भी उपेक्षा का शिकार है बेगूसराय रेलवे स्टेशनसोनपुर मंडल में सबसे अधिक राजस्व देने के बाद भी बेगूसराय में यात्री सुविधाओं का घोर अभाव है.खगडि़या एवं नौगछिया जैसे छोटे शहरों में सभी ट्रेनों का ठहराव है लेकिन बेगूसराय स्टेशन से कई महत्वपूर्ण गाडि़यां यहां के लोगों का मुंह चिढ़ाते आगे निकल जाती है. लगभग नौ जोड़ी महत्वपूर्ण ट्रेनों का ठहराव बेगूसराय स्टेशन पर आज तक नहीं हो पाया है. सबसे आश्चर्य की बात यह है कि 2013 के बजट में रेल मंत्रालय की स्वीकृति के बाद भी आदर्श स्टेशन की सुविधा आज तक प्राप्त नहीं हो पायी है.बेगूसराय जिला मुख्यालय स्थित रेलवे स्टेशन के तीन नये प्लेटफॉर्म पर ही रैंक प्वाइंट बना दिया गया है. जिससे वहां उड़ने वाली धूल से यात्री समेत अन्य लोग परेशान रहते हैं. डीएमयू ट्रेन आज भी कागज पर चल रही है.बरौनी-सहरसा एवं कटिहार से मोकामा के लिए एक भी सवारी गाड़ी नहीं चल रही है. जबकि राजेंद्र पुल से भारी वाहनों पर लगी रोक के बाद बेगूसराय के लोगों को आवगमन में घोर परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. हावड़ा जाने के लिए बेगूसराय से एक भी गाड़ी नहीं है.गढ़पुरा से बरौनी व बेगूसराय नयी रेल लाइन जोड़ने का प्रस्ताव बजट में स्वीकृत हो गया लेकिन आज तक कार्य प्रारंभ नहीं हो पाया है. : नहीं संवर पाया है तीर्थ नगरी सिमरिया गंगा घाट:जिले ही नहीं पूरे मिथिलांचल क्षेत्र का गौरव सिमरिया गंगा घाट भी आज विकास से कोसों दूर है. सिमरिया गंगा घाट के कारण आज राजगीर एवं बोधगया पर्यटक स्थल स्थापित है यहां जो भी विदेशी सैलानी आते हैं वे पहले जहाज से सिमरिया घाट पर ही उतरते हैं.इसके बाद भी सिमरिया गंगा तट आज भी राजकीय दर्जा लेने के अनुकूल संवर नहीं सका है. वर्त्तमान में राजेंद्र पुल पार करने में लोगों को कठिन मशक्कत करना पड़ रहा है. क्षतिग्रस्त पुल के मरम्मत कार्य को लेकर रोड को इन दिनों वन वे कर दिया गया है. जिसके चलते पूरे दिन लोगों को इस पुल को पार कर गंतव्य स्थान जाने में लग जाता है. अगर रेल विभाग के द्वारा मोकामा-बेगूसराय डीएमयू सेवा पुन: शुरू कर दिया होता तो आज लोगों को परेशानियों का सामना कम करना पड़ता. इन तमाम कारणों को लेकर वर्ष 2015 बेगूसराय के लिए सिरदर्द भरा वर्ष साबित हुआ. आने वाले वर्ष 2016 में लोगों को काफी उम्मीदें हैं. क्या बेगूसराय के लिए एक बार फिर अच्छे दिन आयेंगे यह सवाल बेगूसराय की जनता शासन और प्रशासन से पूछ रही है.
विकास के लिए वर्ष 2015 में भी कराहता रहा बेगूसराय
विकास के लिए वर्ष 2015 में भी कराहता रहा बेगूसरायआजादी के बाद से लेकर आज तक उपेक्षित है बेगूसराय(पेज तीन के लिए) तसवीर-पहचान मिटने के कगार पर जिले का नौलखा मंदिरतसवीर-7तसवीर-लकवाग्रस्त बना राजेन्द्र पुलतसवीर-8तसवीर-बंद पड़ा बरौनी खाद कारखानातसवीर-9तसवीर-उपेक्षित गढ़हारा यार्डतसवीर-10विपिन कुमार मिश्रबेगूसराय(नगर).बिहार की ह्वदय स्थली बेगूसराय वर्ष 2015 में भी विकास के लिए कराहता रहा. […]
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