उपेक्षा का दंश झेल रहा प्रसिद्ध जयमंगलाढ़तसवीर 2- उपेक्षित जयमंगलागढ़ हर वर्ष एक जनवरी को लगता है मेला, उमड़ता है जनसैलाब , अतिथिशाला की हालत जीर्ण-शीर्ण चेरियाबरियारपुर. जिले के प्रसिद्ध 52 शक्तिपीठ में एक जयमंगलागढ़ वर्षों से पदाधिकारियों एवं जनप्रतिनिधियों की उदासीनता एवं उपेक्षा का दंश झेल रहा है. ज्ञात हो कि वर्षों पहले यहां पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी, तत्कालीन मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी अपने कार्यकाल में पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने का दम भर गये थे. परंतु अब विकास की किरण भी नहीं फूट सकी है. लाखों रुपये की लागत से बने अतिथिशाला की हालत जीर्ण-शीर्ण होती जा रही है. ज्ञात हो कि जयमंगलागढ़ नये साल 1 जनवरी के दिन पिकनिक मनाने के लिए भी जाना जाता है. इस दिन राजधानी पटना सहित सूबे के विभिन्न जिलों से काफी संख्या में लोग पहुंचते हैं. जयमंगलागढ़ का दर्शन कर नौका बिहार, काबर झील की सैर करते हैं. लेकिन अब तक आनेवाले पर्यटकों की सुविधा के लिए प्रशासनिक स्तर से कोई तैयारी दिखाई नहीं पड़ रही है. मंझौल मुख्य मार्ग से जयमंगलागढ़ जानेवाली लगभग दो किलोमीटर सड़क की स्थिति काफी दयनीय है. स्थानीय लोगों में कन्हैया कुमार उर्फ विधायक, व्यवस्थापक पुतुल शर्मा, मंदिर के सेवक गोपाल झा सहित अन्य ने बताया कि दो चापाकल एवं एक कुआं ही पानी पीने का साधन है. सौर ऊर्जा लाइट ठप है. बिजली एवं शुद्ध पेयजल की व्यवस्था में नहीं है. सभी लोग जयमंगलागढ़ को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित होता हुआ देखना चाहते हैं. लोगों ने एक जनवरी यानी नये साल के मद्देनजर डीएम से जयमंगलागढ़ में आनेवाले पर्यटकों के लिए सुविधा व सुरक्षा की मांग की है.
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उपेक्षा का दंश झेल रहा प्रसद्धि जयमंगलाढ़
उपेक्षा का दंश झेल रहा प्रसिद्ध जयमंगलाढ़तसवीर 2- उपेक्षित जयमंगलागढ़ हर वर्ष एक जनवरी को लगता है मेला, उमड़ता है जनसैलाब , अतिथिशाला की हालत जीर्ण-शीर्ण चेरियाबरियारपुर. जिले के प्रसिद्ध 52 शक्तिपीठ में एक जयमंगलागढ़ वर्षों से पदाधिकारियों एवं जनप्रतिनिधियों की उदासीनता एवं उपेक्षा का दंश झेल रहा है. ज्ञात हो कि वर्षों पहले यहां […]
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