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हिंदू-मुसलिम एकता का प्रतीक है हरदिया का काली मंदिर

हिंदू-मुसलिम एकता का प्रतीक है हरदिया का काली मंदिर तसवीर 1- मां काली का मंदिर1984 में हुआ था मंदिर का निर्माणनीमाचांदपुरा. ऐसे तो जिले के विभिन्न गांवों में मां काली की पूजा की जाती है, परंतु सदर प्रखंड के हरदिया स्थित मां काली मंदिर की महत्ता कुछ खास है. खास बात यह है कि यह […]

हिंदू-मुसलिम एकता का प्रतीक है हरदिया का काली मंदिर तसवीर 1- मां काली का मंदिर1984 में हुआ था मंदिर का निर्माणनीमाचांदपुरा. ऐसे तो जिले के विभिन्न गांवों में मां काली की पूजा की जाती है, परंतु सदर प्रखंड के हरदिया स्थित मां काली मंदिर की महत्ता कुछ खास है. खास बात यह है कि यह मंदिर हिंदू-मुसलिम एकता का प्रतीक है. यहां वर्षों से मां काली की अाराधना हो रही है. मेले को सफल बनाने में मुसलिम भाई बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेते आ रहे हैं. जानकारी के अनुसार इस गांव में वर्ष 1984 ई में मंदिर का निर्माण करा कर मां काली की पूजा-अर्चना शुरू हुई थी. बताया जाता है कि इस मंदिर में स्थापित मां काली की महिमा अपरंपार है. सच्चे मन से मां के दरबार में आनेवाले श्रद्धालु निराश नहीं लौटते हैं. स्थानीय बुजुर्गों ने बताया कि जब से मां काली की पूजा-अर्चना शुरू हुई है, तब से गांव विकास के पथ पर लगातार आगे बढ़ रहा है. इस संबंध में पूजा समिति के अध्यक्ष धर्मेंद्र शर्मा, उपाध्यक्ष रंजीत कुमार, सचिव दीपक साह, कोषाध्यक्ष नर्सिंग ठाकुर ने बताया कि मेले के माध्यम से हिंदू-मुसलिम भाईचारे को बरकरार रखने का संकल्प दोहराया जाता है. मेले में कई गांवों के श्रद्धालु मां के दरबार पहुंचते हैं. शांति व्यवस्था बनाये रखने के लिए सरपंच मो आजाद के नेतृत्व में युवाओं को सुरक्षा प्रहरी के रूप में प्रतिनियुक्त किये गये हैं. इस बार 11 नवंबर को देवी जागरण होना है. 12, 13, 14 नवंबर को मेले का आयोजन किया गया है. इसकी सभी तैयारियां पूरी कर ली गयी हैं. इस मेले को लेकर दुल्हन की तरह पूजा-पंडालों को सजाया गया है. इस संबंध में मुखिया शंकर शर्मा का कहना है कि मेले को लेकर लोगों में उत्साह चरम पर है.

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