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हादसे को आमंत्रित कर रही माधुरी ढाला-बनद्वार सड़क

हादसे को आमंत्रित कर रही माधुरी ढाला-बनद्वार सड़क तसवीर 18- बदहाली पर आंसू बहाती सड़कसात किलोमीटर की दूरी में जगह-जगह छोटे-बड़े गड्ढे बने हैंनीमाचांदपुरा. सरकार भले ही सड़कों का जाल बिछाने का ढिंढोरा पीट रही है. परंतु ग्रामीण क्षेत्रों की सड़कें आज भी बदहाली पर आंसू बहाने को विवश है. इसका एक नमूना बेगूसराय-रोसड़ा पथ […]

हादसे को आमंत्रित कर रही माधुरी ढाला-बनद्वार सड़क तसवीर 18- बदहाली पर आंसू बहाती सड़कसात किलोमीटर की दूरी में जगह-जगह छोटे-बड़े गड्ढे बने हैंनीमाचांदपुरा. सरकार भले ही सड़कों का जाल बिछाने का ढिंढोरा पीट रही है. परंतु ग्रामीण क्षेत्रों की सड़कें आज भी बदहाली पर आंसू बहाने को विवश है. इसका एक नमूना बेगूसराय-रोसड़ा पथ (एसएच 55) से सटे माधुरी ढाले से बनद्वार जानेवाली सड़क है. जानकारी के अनुसार विभागीय अधिकारियों की लापरवाही एवं जनप्रतिनिधियों की उपेक्षा के कारण यह पथ वर्षों से मौत का कुआं बना हुआ है. लगभग सात किलोमीटर की दूरी में जगह-जगह छोटे-बड़े गड्ढे बने हुए हैं. यह कहना अतिश्योक्ति नहीं होगी कि सड़क में गड्ढा या गड्ढे में सड़क, इसका फर्क मिट चुका है. जर्जरता की सीमा पार कर चुके इस सड़क पर किसी समय बड़ी दुर्घटना हो सकती है. सब कुछ जानते हुए संबंधित अधिकारी व जनप्रतिनिधि मौन हैं. सूत्रों की माने, तो इस सड़क के निर्माण को लेकर कई बार विभागीय टेंडर निकला है. परंतु प्राक्कलित राशि कम रहने के कारण कोई भी संवेदक टेंडर लेने को तैयार नहीं हुए. यही वजह है कि बदहाल पड़ा है. इस सड़क की जर्जरता से इलाके की एक लाख आबादी प्रभावित हो रही है. स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि जर्जर सड़क के कारण आये दिन बाइक सवार गिर कर घायल होने की घटनाएं ज्यादा हो रही हैं. और तो और इस सड़क पर चलनेवाली सवार गाड़ियों पर सवार यात्री राम नाम का सुमरण कर यात्रा करने को विवश हो रहे हैं. क्या कहते हैं इलाके के लोगविभागीय अधिकारियों के कारण यह सड़क बदहाली पर आंसू बहा रही है. ऐसे में इस सड़क पर किसी प्रकार की अप्रिय घटना होती है, तो इसकी जिम्मेवारी संबंधित हाकिम की होगी. गौतम कुमार, सामाजिक कार्यकर्ता, अझौरसरकार व विभाग अधिकारियों का ऐसा रवैया रहा, तो कभी भी आंदोलन रूप ले लिया जायेगा. अभिषेक कुमार, छात्र नेता, एनएसयूआइइस सड़क के जर्जर रहने के जो रिश्तेदार एक बार आते हैं. वे दोबारा आने की हिम्मत नहीं करते हैं. यह सबसे बड़ा दर्द है.गोपाल साह, संचालक, वसुधा केंद्रइस जर्जर सड़क का शीघ्र जीर्णोद्धार नहीं होगा, तो युवा वर्ग जिला प्रशासन के विरोध में बिगुल फूंकने को विवश हो जायेंगे.मो जसीम, महासचिव, एनएसयूआइ

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