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25 के बदले 18 हजार हेक्टे. में हुई रोपनी

समय पर बारिश नहीं होने से धनरोपनी में किसानों का बढ़ा सिरदर्द बेगूसराय (नगर) : समय की मार हमेशा किसान ही ङोलते हैं. महंगी दर पर कर्ज लेकर अपने खेतों में आस लगा कर फसल लगाने की तैयारी करते हैं लेकिन समय साथ नहीं देने से किसानों की स्थिति हमेशा दयनीय बनी रहती है. कभी […]

समय पर बारिश नहीं होने से धनरोपनी में किसानों का बढ़ा सिरदर्द
बेगूसराय (नगर) : समय की मार हमेशा किसान ही ङोलते हैं. महंगी दर पर कर्ज लेकर अपने खेतों में आस लगा कर फसल लगाने की तैयारी करते हैं लेकिन समय साथ नहीं देने से किसानों की स्थिति हमेशा दयनीय बनी रहती है.
कभी बाढ़, तो कभी सुखाड़ व कभी कम वर्षा होने की चिंता से किसान परेशान रहते हैं. किसानों की तरक्की उनकी खेती पर ही निर्भर है. इस बार भी किसानों को मौसम की मार ङोलनी पड़ रही है. बेगूसराय जिले में खरीफ 2015 में लगभग 25 हजार हेक्टेयर धान का लक्ष्य था, जिसके अनुपात में 18 हजार हेक्टेयर में धान का आच्छादन हो पाया है.
उचित समय पर वर्षा नहीं होने से नहीं हो पायी बिचड़े की बोआई : खरीफ 2015 में कृषि विभाग के द्वारा सुगंधित धान के अतिरिक्त तना अवरोधी धान प्रत्येक प्रखंड को वितरण करना था. जो नहीं हुआ. किसान अपने स्तर से किसी प्रकार स्थानीय बीज एवं अन्य स्नेत से बीज प्राप्त कर बिचड़ा गिराये. जो उचित समय पर वर्षा नहीं होने के कारण बोआई नहीं हो सकी.
डीजल अनुदान में भी महज हो रही है खानापूर्ति : विभिन्न प्रखंडों से मिल रही जानकारी के अनुसार अभी तक डीजल अनुदान के लिए किसानों का फॉर्म कलेक्शन का भी काम नहीं हो पाया है. किसानों का कहना है कि यह फॉर्म तब लिया जायेगा, जब धान सूख जायेगा या धान कटने की स्थिति में होगी.
सबसे ताज्जुब की बात यह है कि सरकार किसान सलाहकारों को किसानों के उत्पादन की बढ़ोतरी के लिए नियुक्त किया था, वहीं किसान सलाहकारों से राशन का चावल, गेहूं और केरोसिन का वितरण कराया जा रहा है. इस परिस्थिति में किसानों व कृषि की तरक्की कैसे संभव हो पायेगी.
पटवन के नाम पर जिले में नहीं है कोई सिंचाई की व्यवस्था : पूरे जिले में धान के पटवन के नाम पर कोई सिंचाई का साधन उपलब्ध नहीं है. बताया जाता है कि जिले में 252 राजकीय नलकूप एवं अन्य जो भी उद्वह सिंचाई या अन्य कोई साधन है वह मृतप्राय हो चुका है.
नहीं उपलब्ध करायी गयी धान की किट : कृषि विभाग के द्वारा 1500 रुपया प्रति किट धान के लिए उपलब्ध कराना था. कृषि विभाग के द्वारा अब तक इसे उपलब्ध नहीं कराया जा सका है. धान के कीट व व्याधि के लिए पौधा संरक्षण विभाग मृतप्राय है. कोई पदाधिकारी अब तक क्षेत्र में भ्रमण कर धान का आकलन नहीं कर रहे हैं. केवल कृषि समन्वयक पर कार्य छोड़ दिया गया है. किसान सही समय पर पानी, पौधा संरक्षण और सही उर्वरक नहीं मिलने से परेशान हैं.
प्रकृति के ऊपर ही निर्भर है धान की फसल : धान के लिए मात्र पांच नक्षत्र अवशेष बचे हैं. जो प्रकृति के ऊपर निर्भर है. अश्लेषा, मघा, पूर्व फाल्गुनी, उत्तर फाल्गुनी और हस्ता नक्षत्र है. अगर इसमें बारिश धान के मुताबिक नहीं हुई, तो किसानों की परेशानी आनेवाले समय में बढ़ सकती है. बेगूसराय का कृषि विकास और फसल अभियान कृषि विकास पर ही निर्भर है.
195 मिलीमीटर ही हो पायी बारिश
बेगूसराय जिले में रोहिणी नक्षत्र से लेकर पुष्य नक्षत्र जुलाई माह तक धान के लिए औसत 513.9 मिलीमीटर वर्षा की आवश्यकता है. इसके स्थान पर जिले में अब तक कुल लगभग 195 मिलीमीटर वर्षा हो पायी. छोटे और मध्यम वर्गीय किसान इससे काफी परेशानी ङोल रहे हैं.
किसानों की ऐसी स्थिति में सरकार कृषि विभाग मूकदर्शक बन कर बैठी है. केवल आंकड़ा तैयार कर सरकार के यहां खानापूर्ति कर रहे हैं.

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