-बिहार दिवस की मची रही धूम-अतीत की धरोहर के साथ दिखा वर्तमान का उत्कर्ष -गौरव गाथा और नयी कल्पनाओं से हुआ कार्यक्रम का आगाज संवाददाता, गोपालगंजबिहार की 103वीं वर्षगांठ रविवार को बिहार दिवस के रूप में मनायी गयी. 103 वर्षों का बिहार गौरवशाली इतिहास और इस लंबे समय अंतराल में हम कहां है और कहां जाना है, इसकी झांकी की प्रस्तुति हर आदमी का लक्ष्य रहा. सबसे अहम उद्देश्य रहा विरासत में मिली थाति को अक्षुण्ण जीवंत रख सीख लेते हुए एक नये विकास के संकल्प का, ताकि एक बार विश्व स्तर पर फिर से हम अपना पहचान पाएं. हमारे मिट्टी की संस्कृति में रची-बसी कला-कृतियों की प्रस्तुति चीख – चीख कर कह रही थी, ये स्थायी धरोहर है, ये हमारे गौरव की पहचान है, इसे सजाये रखना. झूमर, चैता, पहलवानी, हस्तशिल्प, कृतियां जहां हमें विरासत में मिली संस्कृति को बयां करती रहीं. प्रशासन, सरकार और आम लोगों के विकास का उत्कर्ष भी मिंज स्टेडियम में वर्तमान के उत्कर्ष को बनाता रहा. वैसे तो कार्यक्रम पूरे जिले में हुए, लेकिन मुख्य समारोह स्थल पर हुए कार्यक्रम तथा रोशनी से जगमगाती शाम बिहार के गौरवशाली इतिहास और गाथाओं के बीच कल्पनाओं की समा बांध गयी. सबने कहा कि विकास की ऐसी लकीर खीची जायेगी कि एक बार फिर बिहार विश्व को नयी राह दिखायेगा और ये जगमगाती रोशनी कभी मद्धिम नहीं होगी.
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विरासत की थाति से विकास का संकल्प
-बिहार दिवस की मची रही धूम-अतीत की धरोहर के साथ दिखा वर्तमान का उत्कर्ष -गौरव गाथा और नयी कल्पनाओं से हुआ कार्यक्रम का आगाज संवाददाता, गोपालगंजबिहार की 103वीं वर्षगांठ रविवार को बिहार दिवस के रूप में मनायी गयी. 103 वर्षों का बिहार गौरवशाली इतिहास और इस लंबे समय अंतराल में हम कहां है और कहां […]
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