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कला को जिंदा रखने के लिए माटी को बनाया अपना दोस्त, पूर्वजों की विरासत को बढ़ा रहे है आगे

तस्वीर-माटी को आकार देते कलाकार तस्वीर-2बेगूसराय(नगर). माटी को आकार देकर अपना जीवन संवार रहे है दो भाई कलाकार.अपने हाथों अपनी जिंदगी को गढ़ना बड़ा ही मुश्किल है.वैसे समय में अजंता आर्ट केंद्र से जुड़कर दो भाई अपने पूर्वजों की विरासत को बचाने के लिए माटी को ही अपना दोस्त बना डाला है.बेगूसराय में विगत 70 […]

तस्वीर-माटी को आकार देते कलाकार तस्वीर-2बेगूसराय(नगर). माटी को आकार देकर अपना जीवन संवार रहे है दो भाई कलाकार.अपने हाथों अपनी जिंदगी को गढ़ना बड़ा ही मुश्किल है.वैसे समय में अजंता आर्ट केंद्र से जुड़कर दो भाई अपने पूर्वजों की विरासत को बचाने के लिए माटी को ही अपना दोस्त बना डाला है.बेगूसराय में विगत 70 वर्षों से स्व. लाल बाबू पंडित के द्वारा शुरू किये गये मूर्तिकला को उनके पुत्र पेंटर बाबू और किशन बाबू इसको आगे बढ़ा रहे है.माटी के बीच रहकर अपने बचपन को व्यतीत करने वाले पेंटर बाबु कहते है कि पिताजी का यह सपना था कि हमे अर्थोपार्जन के लिए कला को नहीं अपनाना है.बल्कि कला नष्ट ना हो.इसकी पहचान युग-युगांतर तक जिंदा रहे.इसलिए काम करना है.पूरे वर्ष अपने परिवार के सभी सदस्यों के सहयोग से कला की इस खास विद्या में भाग लेने वाले इस परिवार के जीवको पार्जन का भी एक मात्र साधन मूर्तिकला है.अभी जब एक तरफ वसंत पंचमी के लिए छात्र-छात्राओं में उत्साह देखे जा रहे है.तो दूसरी तरफ कंपकंपाती ठंड में भी किशन मिट्टी गोदने में लगे है.किशन बाबु कहते है कि पहले की अपेक्षा अब बहुत कम लोग मूर्ति खरीदते है.किशन का कहना है कि महंगाई के इस दौर में अब मिट्टी भी खरीदना पड़ रहा है.लागत मूल्य पर ज्यादा मुनाफा नहीं मिल पाता है.महज कला जिंदा रहे इसलिए माटी को अपना दोस्त बनाया है.

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