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साहित्य से समाज का कट रहा संबंध : पुरुषोत्तम

बेगूसराय/बीहट : बदलते परिवेश में साहित्य से समाज का संबंध कटता जा रहा है. ऐसे माहौल में सिमरिया जैसे सुदूर गांव में उत्सवी माहौल के बीच किसी कवि को याद करना सचमुच प्रेरणादायी है. उक्त बातें राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर के गांव सिमरिया में राष्ट्रकवि दिनकर स्मृति विकास समिति द्वारा दिनकर के 106ठे जयंती समारोह […]

बेगूसराय/बीहट : बदलते परिवेश में साहित्य से समाज का संबंध कटता जा रहा है. ऐसे माहौल में सिमरिया जैसे सुदूर गांव में उत्सवी माहौल के बीच किसी कवि को याद करना सचमुच प्रेरणादायी है.
उक्त बातें राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर के गांव सिमरिया में राष्ट्रकवि दिनकर स्मृति विकास समिति द्वारा दिनकर के 106ठे जयंती समारोह में प्रख्यात आलोचक सह जेएनयू, नयी दिल्ली के पूर्व हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ पुरुषोत्तम अग्रवाल ने कहीं. श्री अग्रवाल ने कहा कि दिनकर वैसे कवि थे, जिन्होंने अपनी कविता के माध्यम से समाज को जगाने का काम किया. उन्होंने कहा कि हम आलोचनात्मक राष्ट्र का निर्माण तो नहीं कर सके, लेकिन हर किसी पर संदेह का निर्माण कर राष्ट्र के विकास का मार्ग जरू र अवरुद्ध कर दिया गया.
हम राष्ट्र निर्माण की विफलताओं पर विचार करें और उसका समाधान ढूंढ़ें, यही दिनकर के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी.

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