बेगूसराय : बिहार के बेगूसराय में मानवता को शर्मशार करने वाली एक घटना रविवार को सदर अस्पताल में हुई. सदर अस्पताल में बुखार से पीड़ित एक बच्ची की मौत इलाज के क्रम में हो गयी. परिजनों ने बच्ची के मौत को सदर अस्पताल के चिकित्सक एवं स्वास्थ्य कर्मी के ऊपर लापरवाही का आरोप लगाया. इतना ही नहीं बच्ची के मौत के बाद अस्पताल प्रशासन के द्वारा शव को गंतव्य स्थान तक ले जाने के लिए न तो शव वाहन की व्यवस्था की गयी न ही स्ट्रेचर की. सदर अस्पताल के द्वारा जब कोई व्यवस्था हाथ नहीं लगी तो बच्ची के चाचा ने अपने भतीजी के शव को कंधे पर उठा कर सदर अस्पताल से बाहर जाने लगा.वहां मौजूद लोगों ने जब यह नजारा देखा तो सब के पैरों तले जमीन खिसक गया.
क्या है पूरा मामला
जिले के नीमाचांदपुरा थाना क्षेत्र के चांदपुरा गांव निवासी बृहस्पति दास के 12 वर्षीय पुत्री बुखार एवं उल्टी से तड़प रही थी. परिजनों ने पहले तो बच्ची को इलाज के लिए निजी अस्पताल ले गये. निजी अस्पताल में हालात बिगड़ता देख बच्ची को सदर अस्पताल रेफर कर दिया गया. शनिवार की देर रात बच्ची को सदर अस्पताल में भरती कराया गया. बच्ची के चाचा मुकेश दास ने बताया कि रात में सदर अस्पताल में कार्यरत नर्स के द्वारा बच्ची को तीन इंजेक्शन दिया गया. रविवार की अहले सुबह बच्ची पेट दर्द से रोये जा रही थी.
परिजनों ने पेट दर्द की सूचना नर्स को दी. इसके साथ ही डॉक्टर से मिलवाने की बात कही गयी. हालत इतनी खराब हो गयी कि दर्द से कहारते-कहारते बच्ची ने दम तोड़ दिया. परिजनों द्वारा बताया गया कि बच्ची के मौत के बाद स्वास्थ्य कर्मियों ने कहा कि मृतक को घर ले जाओ. हताशा-निराशा हाथ लिए बच्ची के चाचा मुकेश दास ने 12 वर्षीय भतीजी को अपने कंधे पर उठा कर घर ले जाने लगा. तत्काल न तो सदर अस्पताल प्रबंधन द्वारा शव को ले जाने के लिए शव वाहन की व्यवस्था की गयी. न तो अस्पताल से बाहर लाने के लिए स्ट्रेचर की व्यवस्था की गयी. इस दृश्य को देख कर अस्पताल में मौजूद लोग प्रबंधन को कोष रहे थे.
पहलेभी हुआ है ऐसा मामला
20 जुलाई को ही सदर अस्पताल में इलाजरत एक मरीज को जब स्ट्रेचर नहीं मिला तो वह मरीज जमीन पर रेंगते हुए भरती वार्ड से सदर अस्पताल परिसर तक पहुंचा था. इस खबर को प्रभात खबर ने 21 जुलाई के अंक में बड़ी ही प्रमुखता के साथ प्रकाशित किया था. इसके बाद भी सदर अस्पताल प्रबंधन की नींद नहीं टूट पायी. दो दिन पहले की घटना से सीख लेने की बजाय अस्पताल प्रशासन ने फिर वही गलती कर दिया. इस घटना की चौतरफा निंदा की जा रही है.
मीडिया में खबर चलते ही उपलब्ध कराया गया शव वाहन
सदर अस्पताल में कंधे पर शव ले जाने की घटना की खबर जैसे ही मीडिया में चलने लगी कि सदर अस्पताल प्रबंधन तुरंत शव वाहन पीड़ित परिवार को उपलब्ध कराया. जिसके बाद परिवार के सदस्य बच्ची के शव को लेकर घर तक गये.
क्या कहते हैं सीएस
बच्ची को बचाने का हरसंभव प्रयास सदर अस्पताल में किया गया लेकिन स्थिति गंभीर होने के कारण वह बच नहीं पायी. शव को ले जाने हेतु सभी सुविधाएं सदर अस्पताल में उपलब्ध है. आनन-फानन में ही परिवार के लोगों के द्वारा कंधे पर शव उठाकर ले जाने लगे. जिसकी जानकारी मिलते ही उन्हें अविलंब शव वाहन उपलब्ध कराया गया. (बृजनंदन शर्मा, सिविल सर्जन, बेगूसराय)