बरौनी (नगर) : जाम…जाम…और सिर्फ जाम. राजेंद्र पुल से गुजरने वालों की यह नियति बन गयी है.सुबह हो,दोपहर हो या रात के बारह बजे हो, कोई गारंटी नहीं कि इस पुल पर कब आपकी सवारी रुक जाये. यह भी तय नहीं कि वहां से निकलने में आपको कितने घंटे लगेंगे. राजेंद्र पुल के साथ ही उसे पार करने वाले उत्तर बिहार के दर्जन भर से अधिक जिलों के लाखों लोगों पर रोज संकट मंडराता है. उत्तर और दक्षिण बिहार को जोड़नेवाली इस लाइफलाइन को दलकाते हुए हजारों गाड़ियां प्रतिदिन गुजर रही है.
पुल में लगे स्पैनों की हालत दिनोंदिन खराब होती जा रही है. हाल ही में मरम्मत के नाम पर करोड़ों के खर्च के बाद भी अपेक्षित परिणाम नहीं दिख रहा है. राजेंद्र पुल के पाया संख्या-दो के समीप विगत कुछ महीने पहले कंक्रीट में दरार आ गयी थी. जिसे बाद में काफी मशक्कत के बाद ठीक किया जा सका. वजह भारी वाहनों का चलना बताया गया था. इसके बावजूद भारी वाहनों का चलना बदस्तूर जारी है. खास करके गांधी सेतु से होकर भारी वाहनों के गुजरने पर लगे प्रतिबंध के बाद राजेंद्र पुल पर बढ़ते बोझ से लाइफलाइन पर संकट का छाया मंडराने लगा है. इसके अलावा पैदल चलने वालों के लिये बनी फुटपाथ टूटने के कारण जानलेवा बनी है.