बेगूसराय : 22 मार्च का बिहार अपना 106वां स्थापना दिवस मनाने जा रहा है. ज्ञान-विज्ञान, लोकतंत्र, राजनीति और धर्म के क्षेत्र में देश ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया को दिशा देने वाले बिहार का गौरव कैसे हासिल हो? इस सवाल को लेकर प्रभात खबर ने शुक्रवार को बुद्धिजीवियों के साथ परिचर्चा आयोजित की तो कई […]
बेगूसराय : 22 मार्च का बिहार अपना 106वां स्थापना दिवस मनाने जा रहा है. ज्ञान-विज्ञान, लोकतंत्र, राजनीति और धर्म के क्षेत्र में देश ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया को दिशा देने वाले बिहार का गौरव कैसे हासिल हो? इस सवाल को लेकर प्रभात खबर ने शुक्रवार को बुद्धिजीवियों के साथ परिचर्चा आयोजित की तो कई बातें सामने निकलकर आयीं. लोगों का कहना है
कि आजादी के इतने वर्षों बाद भी यह सवाल चुनौती बनकर खड़ा है कि बिहार की बदहाली के लिए जिम्मेदार कौन है? बुद्धिजीवियों ने कहा कि राज्य के विकास के लिए ईमानदारी से प्रयास किये ही नहीं गये. अगर बिहार के गौरव को वापस लाना है तो इसके लिए राज्य और केंद्र सरकार को मिलकर एक रोडमैप तैयार करना होगा. फिर उसको पूरा करने के लिये ईमानदार प्रयास भी करने होंगे. इसमें जनता को भी सहभागिता निभानी होगी.
औद्योिगक व कृषि िवकास के िलए करनी होगी पहल
बुद्धिजीवियों का मानना है िक बिहार में कृषि, सिंचाई, बिजली और औद्योगिक विकास के लिए बहुत ज्यादा कोशिशें नहीं की गयीं. न यहां उत्पादन बढ़ा, न पूंजी संचय हुआ और न ही प्रतिव्यक्ति आय बढ़ी. पंजाब-हरियाणा की तरह यहां कृिष की िवकास के िलए संगठित और संस्थागत रूप से पहले प्रयास नहीं िकया गया, िजससे आम नागरिक की रीढ़ कमजोर होती गयी. वहीं, लोगों का मानना है कि केंद्र सरकार द्वारा भी बिहार की उपेक्षा होती रही है. राज्य में औद्योगिक विकास के लिए आधारभूत संरचना की स्थापना, कृषि के विकास के लिए सिंचाई और बिजली का उत्पादन बढ़ाने के लिए कारगर कदम नहीं उठाये गये.
बुद्धिजीवियों का मानना है कि राज्य सरकार मजबूती से केंद्र से अपना हक प्राप्त करे. केंद्र सरकार से समुचित और पर्याप्त सहयोग िमलने पर यहां िवकास का मार्ग प्रशस्त हो सकता है. ऐसा होने पर रोजी-रोटी के िलए िबहार से हर साल होनेवाले पलायन पर कारगर ढंग से लगाम लग सकती है.
राजनीति में नैतिकता का पतन भी जिम्मेदार : आजादी के बाद से बिहार को समृद्ध बनाने के लिये कभी भी सही से प्रयास नहीं किये गये. यहां कि दल-बदलू राजनीति ने भी प्रदेश के विकास में बाधा पहुंचायी है. राजनीति में नैतिकता का पतन भी बिहार के पिछड़ेपन कारण है.