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घोटाले की भेंट चढ़ रहे गरीबों के निवाले

गड़बड़ी. मामला चार कराेड़ 35 लाख रुपये के सरकारी अनाज गबन का जिला प्रबंधक ने सहायक प्रबंधक पर दर्ज करायी एफआईआर बेगूसराय : गरीबों के निवाले घोटाले की भेंट चढ़ती जा रही है. परंतु मैनेज प्रथा के आगे कार्रवाई की सूई न हिलती है न ही चलती है. ऐसे एक-दो नहीं, बल्कि कई मामले इसकी […]

गड़बड़ी. मामला चार कराेड़ 35 लाख रुपये के सरकारी अनाज गबन का

जिला प्रबंधक ने सहायक प्रबंधक पर दर्ज करायी एफआईआर
बेगूसराय : गरीबों के निवाले घोटाले की भेंट चढ़ती जा रही है. परंतु मैनेज प्रथा के आगे कार्रवाई की सूई न हिलती है न ही चलती है. ऐसे एक-दो नहीं, बल्कि कई मामले इसकी बानगी है. गरीबों के निवाले पर डाका डालने वाले आरोपितों के विरुद्ध एफआईआर दर्ज करायी जाती है. लेकिन अनुसंधान की प्रक्रिया पूरी होते-होते मामला ठंडे बस्ते में पड़ जाती है. इससे पुलिसिया कार्यशैली भी कटघरे में रहती है. 15 जनवरी 2018 को एक बार फिर पन्हास कृषि बाजार समिति स्थित राज्य खाद्य निगम के गोदाम संख्या 05 व 10 के सहायक प्रबंधक युगेश्वर लाल सिंह पर चार कराड़े 35 लाख रुपये के सरकारी अनाज के गबन करने का आरोप लगाया है.
जिला प्रबंधक अरविंद सिंह ने लोहियानगर थाने में एफआईआर भी दर्ज करायी है. दर्ज प्राथमिकी के अनुसार डकारे गये खाद्यान्न अंत्योदय एवं अन्नपूर्णा योजना के तहत उपलब्ध कराये गये थे. बीते डेढ़ वर्षों में बेगूसराय में करोड़ों रुपये के अनाज घोटाले हुए हैं. एसपी आदित्य कुमार ने सदर एसडीपीओ मिथिलेश कुमार को जांच के निर्देश दिये हैं.
पुलिस रिकॉर्ड बयां करता है घोटाले का सच :जिले में यह खेल कोई नया नहीं है. बल्कि इससे पूर्व भी कई मामले आ चुके हैं. पुलिस थाने में अंकित रिकॉर्ड घोटाले का सच बयां कर रहा है. तीन अक्तूबर 2016 को 03 करोड़ 74 लाख 94 हजार रुपये खाद्यान्न घोटाले का आरोप लगाते हुए राज्य खाद्य निगम के जिला प्रबंधक ने खोदावंदपुर प्रखंड स्थित गोदाम के सहायक प्रबंधक निर्मल कुमार राय के खिलाफ थाने में प्राथमिकी दर्ज करायी थी. 13 हजार पांच सौ 37 क्विंटल 51 किलोग्राम खाद्यान्न का गबन कर लिया गया. इस मामले में तत्कालीन एसपी के द्वारा आरोपित एजीएम पर भी गिरफ्तारी का आदेश दिया गया था. प्राथमिकी दर्ज कराये 18 माह से ज्यादा बीत गये. आरोपित पुलिस पकड़ से बाहर हैं. 01 अप्रैल 2017 को एसएफसी के जिला प्रबंधक ने एक ही दिन तीन अलग-अलग जगहों पर सरकारी अनाज घोटाले की तीन प्राथमिकी दर्ज कराकर जिले में भूचाल ला दिया था. चेरियाबरियारपुर, भगवानपुर, बखरी थानों में खाद्यान्न घोटाला करने के आरोप में सहायक प्रबंधक वासुदेव दास पर प्राथमिकी करायी गयी थी. इसमें चेरिया बरियारपुर में पीएचएच चावल मद में एक करोड़ 80 लाख 55 हजार 707.51 रुपये, बखरी में दो करोड़ 63 हजार, 298 रुपये 26 पैसे व भगवानपुर थाने में एक करोड़ 65 लाख 7 हजार 398 रुपये गबन करने का आरोप लगाया था. मामले में आरोपित एजीएम के झारखंड के जसीडीह के रहने वाले हैं. इनकी गिरफ्तारी पुलिस के लिए चुनौती बनी हुई है. मुकदमे की अद्यतन रिपोर्ट जानने के लिए संबंधित थाने के थानाध्यक्षों से पूछने पर वे कुछ भी बताने से परहेज कर रहे हैं.
सफेदपोश की आड़ में चल रहा है घोटाले का खेल
विश्वस्त सूत्रों की माने तो सफेदपोश की आड़ में गरीबों के निवाले पर घोटाले हो रहे हैं. इनकी पहुंच-पैरवी का नमूना है कि किसी भी मामले की उच्च स्तरीय जांच नहीं हो पाती है. सूत्रों ने दावा किया है कि अगर मामले की उच्च स्तरीय जांच करायी जाये तो न सिर्फ कई नेताओं व अधिकारियों की गर्दन फंस जायेगी, बल्कि बड़ा रैकेट का भी खुलासा हो जायेगा. सरकारी अनाजों को ठिकाने लगाने में डीलर से लेकर किराना दुकानदारों की भी संलिप्तता सामने आयेगी. बताया जा रहा है कि पीडीएस दुकानों तक खाद्यान्न पहुंचाने वाले ट्रैक्टरों के मालिक व चालक अनाज घोटाले का सूत्रधार की भूमिका निभाते हैं. यह राज गहन जांच में ही खुल सकता है.
बोले जिला प्रबंधक
घोटाला सामने आने के बाद संबंधित गोदाम के पदाधिकारियों के विरुद्ध थाने में रिपोर्ट दर्ज करायी जाती हैं. विभागीय कार्रवाई भी होती है. जो भी दोषी होंगे उन पर कार्रवाई होगी.
अरविंद कुमार मिश्र, जिला प्रबंधक, खाद्य निगम, बेगूसराय
क्या कहते हैं एसपी
खाद्यान्न घोटाले से जुड़े केसों पर कार्रवाई की प्रगति रिपोर्ट संबंधित थाने से मांगी जा रही है. घोटाला करने वालों को सलाखों के पीछे पहुंचाने के लिए विशेष ऑपरेशन चलाने का निर्देश भी दिया गया है.
आदित्य कुमार, एसपी, बेगूसराय
ऐसे रची गयी थी घोटाले की कहानी
पीएचएच राइस योजना का छह हजार 134 क्विंटल जिसका मूल्य दो करोड़ 22 हजार रुपये, एवाई राइस योजना का तीन हजार 41 क्विंटल जिसका मूल्य 99 लाख 26 हजार 685 रुपये, डब्ल्यूवीएन राइस योजना के तीन हजार 344 क्विंटल, जिसका मूल्य एक करोड़ नौ लाख 64 हजार 50 रुपये, एएनपी राइस योजना का 67 क्विंटल जिसका मूल्य 22 लाख 13 हजार रुपये, पीएचएच वेट योजना के 366 क्विंटल जिसका मूल्य आठ लाख 81 हजार रुपये, एएनपी वेट योजना के 62 क्विंटल जिसका मूल्य तीन लाख 92 हजार 420 रुपये के साथ डैमेज खाद्यान्न 490 क्विंटल जिसका मूल्य 11 लाख आठ हजार 248 रुपये हैं. इन मामले का खुलासा तब हुआ जब तत्कालीन सहायक प्रबंधक युगेश्वरलाल सिंह के तबादले के बाद प्रभार लेते समय रिकार्ड पंजी का मिलान किया गया. मामले उजागर होने के साथ ही आरोपित फरार हो गये.

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