अपराध. लंबे समय से अपराधियों के निशाने पर था, दो साथियों हो चुकी है हत्या
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चार जिलों में बोलती थी बुच्चन की तूती
अपराध. लंबे समय से अपराधियों के निशाने पर था, दो साथियों हो चुकी है हत्या बेगूसराय : कैथमा निवासी बुच्चन सरदार की अचानक हत्या से पुलिस प्रशासन का सिरदर्द जहां समाप्त हुआ है वहीं लोगों में भी प्रसन्नता देखी जा रही है. 50 से अधिक संगीन मामलों में नामजद सुनील कुमार सिंह उर्फ बुच्चन सरदार […]
बेगूसराय : कैथमा निवासी बुच्चन सरदार की अचानक हत्या से पुलिस प्रशासन का सिरदर्द जहां समाप्त हुआ है वहीं लोगों में भी प्रसन्नता देखी जा रही है. 50 से अधिक संगीन मामलों में नामजद सुनील कुमार सिंह उर्फ बुच्चन सरदार की चर्चा सिर्फ जिले ही नहीं वरन समस्तीपुर, खगड़िया, लखीसराय और दरभंगा में बोलती थी तूती. जैसे ही शनिवार की शाम लोगों तक यह खबर पहुंची कि विभिन्न क्षेत्रों में चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया.
दो दशक पूर्व अपराध की दुनिया में प्रवेश किया था बुच्चन सरदार :बुच्चन सरदार दो दशक पूर्व अपराध की दुनिया में न सिर्फ प्रवेश किया वरन अपना दबदबा इस तरह से बना लिया कि कम समय में ही लोग उसे सरदार के नाम से पुकारने लगे. कुछ समय बाद से ही बुच्चन पुलिस के लिए सिरदर्द बन गया. बताया जाता है कि बुच्चन का इलाके में इस तरह से दबदबा था कि वह वर्ष 2000 में निर्विरोध मुखिया बन गया. पांच साल रहने के बाद पुन:
उसी पंचायत में मुखिया पद की सीट को बरकरार रखने में कामयाब रहा. वर्ष 2011 में उक्त पंचायत बेगूसराय नगर निगम में शामिल हो गया. जिसके बाद वार्ड 19 महिला वार्ड घोषित कर दिया गया. बुच्चन ने इस सीट पर अपनी पत्नी मीरा देवी को मैदान में उतार दिया. चुनाव में भी बुच्चन अपना दबदबा बरकरार रखते हुए पत्नी को पार्षद बनाने में भी कामयाब रहा. सरदार को उस समय झटका लगा, जब वर्ष 2016 के चुनाव में निगम पार्षद पद से उसकी पत्नी पराजित हो गयी.
चर्चित राजन हत्याकांड में बुच्चन को झेलनी पड़ी थी फजीहत:सिंहमा के चर्चित राजन सिंह की हत्या में बुच्चन सरदार मुख्य आरोपित में नामजद था. बताया जाता है कि साजिश के तहत रास्ते से हटाने व क्षेत्र में वर्चस्व कायम रखने के लिए राजन की हत्या 26 दिसंबर 2011 को कर दी गयी. इस हत्या के बाद लोगों ने न सिर्फ इसका विरोध किया वरन बुच्चन सरदार की गिरफ्तारी के लिए कई दिनों तक आंदोलन भी चलाया गया. हत्या के दिन पूरे दिन काली स्थान चौक के पास राजन का शव रखकर लोगों ने प्रदर्शन किया था.
पुलिस प्रशासन की भी इस हत्याकांड ने नींद हराम कर दी थी. सिंहमा के प्रवीण कुमार की हत्या में भी बुच्चन सरदार का नाम सामने आया. यह सिर्फ एक-दो हत्याकांड का मामला नहीं वरन दर्जनों ऐसे चर्चित मामले थे. जिसमें बुच्चन सरदार वर्षों तक सुर्खियों में रहा. बताया जाता है कि बुच्चन सरदार अन्य दिनों की भांति अपने घर से शाम में लीची गाछी के लिए चला. उसे यह नहीं पता था कि अब वह दोबारा लौट कर नहीं आयेगा. रास्ते में स्थानीय जनप्रतिनिधियों के साथ गाली-गलौज किया.
जिसके कुछ समय बाद ही अपराधियों ने बगैर कुछ कहे बुच्चन सरदार को गोली मारकर हत्या कर दी. गोली लगते ही बुच्चन सरदार घटना स्थल पर ही दम तोड़ दिया.
बुच्चन की मौत होते ही टीम का हो गया अंत
सुनील कुमार सिंह उर्फ बुच्चन सरदार की टीम काफी मजबूत थी. बताया जाता है कि सरदार की टीम में कारी साह और अजय सिंह का गठजोड़ था. जिसके बाद से तो इलाके में इन तीनों के डर से कोई पत्ता भी नहीं हिल पाता था. इसी क्रम में सरदार का सबसे मजबूत स्तंभ कारी साह की आपसी प्रतिशोध में हत्या कर दी गयी. कारी की मौत के बाद अपराधियों के निशाने पर अजय सिंह और बुच्चन सरदार आ गये. बताया जाता है कि अपराधियों ने इसी क्रम में अजय सिंह की भी हत्या कर बुच्चन सरदार की टीम को कमजोर कर दिया. दो साथियों के मारे जाने के बाद बुच्चन सरदार अंदर से तो कमजोर जरूर हुआ, लेकिन अपराध जगत में उसका दबदबा बरकरार रहा.
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