बीहट : छह अक्तूबर से शुरू कल्पवास में आये साधु-संत,महात्मा तथा अधिकांश कल्पवासी कुंभ के तीसरे शाही स्नान पर्व के बाद अपने -अपने घरों के लिए प्रस्थान करने लगे. इसी के साथ सिमरियाधाम में प्रवचन,आरती और शंखों की गूंज के स्वर मद्धिम पड़ने लगे हैं. कल्पवासी अपने दिलों में कल्पवास के दौरान हुए खट्टे -मीठे […]
बीहट : छह अक्तूबर से शुरू कल्पवास में आये साधु-संत,महात्मा तथा अधिकांश कल्पवासी कुंभ के तीसरे शाही स्नान पर्व के बाद अपने -अपने घरों के लिए प्रस्थान करने लगे. इसी के साथ सिमरियाधाम में प्रवचन,आरती और शंखों की गूंज के स्वर मद्धिम पड़ने लगे हैं. कल्पवासी अपने दिलों में कल्पवास के दौरान हुए खट्टे -मीठे संस्मरण दिल में संजोयें पुन: अगले साल आने के लिए मां गंगा से क्षमा याचना सहित अनुमति लेकर विदा ली. खखड़ बाबा खालसा के महंत विष्णुदेवाचार्य, राम निहोरा खालसा के बौआ हनुमान ,
पंच बारह भाई डारिया के महंत वैष्णवदास रामायणी, महंत अवध किशोर दास ,साध्वी नीलम दास समेत अन्य संत-महात्माओं ने बताया कि यहां दो प्रकार का विधान प्रचिलत है.कुछ लोग पूर्णिमा से पूर्णिमा तक कल्पवास परंपरा का निर्वहण करते हैं, वे सभी कार्तिक पूर्णिमा के स्नान के बाद घर लौट गये.
वहीं कुछ लोग संक्रांति स्नान के बाद घर लौटेगें. वहीं कुछ लोग कुंभ स्नान के उपरांत घर लौटने लगे हैं. कल्पवासी उमा दासी, गीता देवी, जयनारायण दास, अवध किशोर ठाकुर, रामरती देवी ने कहा कि एक माह तक चलने वाले कल्पवास मेले में गंगा तट पर रह कर कल्पवास करने से सुख तथा आनंद की अनुभूति प्राप्त हुई. वहीं सर्वमंगला के अधिष्ठाता स्वामी चिदात्मन जी महाराज ने कहा कि यहां हर साल सिमरिया धाम में कल्पवास मेला की शुरुआत विधिवत वैदिक विधि से ध्वजारोहण होता है.कल्पांत में सारे देवी-देवताओं का विसर्जन तथा ध्वजा विसर्जन 16 नवंबर को किया जायेगा.