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प्रतिशोध की लड़ाई में राकेश की हुई थी हत्या

बेगूसराय : अपने पुत्र की हत्या के 11 साल बाद आरोपित को सजा होने पर एक मां के आंख से आंसू छलक गये. खुशी की आंसू से कही ज्यादा अपने बेटे को खोने का गम आज भी एक मां को सता रहा है. 4 मई 2006 गुरुवार का दिन एक परिवार के लिए काला दिन […]

बेगूसराय : अपने पुत्र की हत्या के 11 साल बाद आरोपित को सजा होने पर एक मां के आंख से आंसू छलक गये. खुशी की आंसू से कही ज्यादा अपने बेटे को खोने का गम आज भी एक मां को सता रहा है. 4 मई 2006 गुरुवार का दिन एक परिवार के लिए काला दिन साबित हुआ था. प्रतिशोध की भावना ने एक परिवार के चिराग को बुझा दिया था.

मटिहानी थाना क्षेत्र के मटिहानी पंचायत एक निवासी महेश्वर यादव के पुत्र राकेश कुमार उर्फ फंटूश की हत्या मटिहानी के एक खेल मैदान में क्रिकेट खेलने के दौरान कर दी गयी थी. फंटूश की हत्या के प्रत्यक्ष गवाह उसके ही चार दोस्त बने थे. अपने बड़े पुत्र की हत्या की खबर को सुन कर मां शांति देवी, पिता महेश्वर यादव, छोटा भाई बाबुल एवं दो बहनों ने अपना आपा खो दिया था. पुत्र की हत्या के बाद काफी दिनों तक गांव सहित परिजनों में दहशत का माहौल कायम रहा. 30 मार्च 2005 को मटिहानी के मुखिया अरविंद सिंह को राकेश कुमार उर्फ फंटूश ने मटिहानी थाना परिसर में सैकड़ों समर्थकों के बीच एक थप्पड़ जड़ दिया था.

इसी के प्रतिशोध में फंटूश की हत्या 4 मई 2006 को कर दी गयी थी.11 साल बाद 31 अगस्त 2017 को गवाहों की गवाही कराने के बाद अरविंद सिंह समेत छह लोगों को हत्या के मामले में दोषी करार दिया गया. जिसके लिए जिला न्यायाधीश सह दंडाधिकारी गंगोत्री राम त्रिपाठी ने 6 सितंबर को सभी छह दोषियों को आजीवन कारावास का फैसला सुनाया.

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