बेगूसराय : एक ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने तीन तलाक पर अगले छह महीने तक के लिए रोक लगा दी है. अदालत ने केंद्र सरकार को इसके लिए कानून बनाने को भी कहा है. अदालत ने कहा है कि कानून बनाते वक्त विधायिका मुसलिम पर्सनल लॉ का भी ख्याल रखें. बीते कुछ समय से तीन तलाक के मुद्दे पर लगातार हलचल बनी रही है. कई महिलाएं इस प्रथा के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचीं. उधर, मोदी सरकार ने अदालत में कहा था
कि इस्लाम में तीन तलाक जरूरी धार्मिक रिवाज नहीं है और वह इसका विरोध करती है. बहरहाल अदालत का फैसला आने के बाद जिले के मुसलिम समाज ने इसके प्रति मिली जुली प्रतिक्रिया व्यक्त की है.
तीन तलाक को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर सुबह से लोगों में चर्चा का बाजार गर्म था. जैसे ही फैसला आया कि लोगों ने इस संबंध में अपनी अलग-अलग प्रतिक्रिया जाहिर की है.
भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के प्रयास से मुसलिम महिलाओं के लिए नये युग का शुभारंभ हुआ है. इस सम्मान से मुसलिम महिलाओं को जीने का अधिकार मिला है.
जयराम दास,पूर्व जिलाध्यक्ष,भाजपा
तीन तलाक पर उच्चतम न्यायालय के फैसले का हम स्वागत करते हैं. मुसलिम महिलाओं की स्वतंत्रता, समानता की दिशा में ऐतिहासिक फैसला है .किसी भी धर्म में व्याप्त कुप्रथाओं को सांप्रदायिक भावनाओं से ऊपर उठ कर सामाजिक जनजागरण अभियान के तहत स्वागत, समर्थन करना चाहिए.
अमरेंद्र कुमार अमर,अधिवक्ता सह भाजपा नेता
सुप्रीम कोर्ट के द्वारा तीन तलाक पर जो फैसला आया है. वह आजाद भारत के अंदर महिलाओं को स्वतंत्रता से जीने की दूसरी आजादी मिली है. इस फैसले के बाद महिलाओं के शैक्षणिक जीवन शैली में भारी बदलाव आयेगा .
रेशमा खातून,सदस्य,नागरिक कल्याण संस्थान,बेगूसराय
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से मुसलिम महिलाओं का जीवन खुशहाल होगा. केंद्र की सरकार इसके लिए बधाई का पात्र है. इस फैसले महिलाएं सशक्त होगी. वास्तव में यह एक ऐतिहासिक फैसला है.
अशोक कुमार सिंह ,सांसद प्रतिनिधि,बेगूसराय