बेगूसराय/बलिया : बलिया के पूर्व अनुमंडल पदाधिकारी मुकेश पांडेय की मौत की खबर शुक्रवार की सुबह जैसे ही टीवी चैनलों के माध्यम से लोगों को मिली बलिया अनुमंडल क्षेत्र में शोक की लहर छा गयी. बक्सर के जिलाधिकारी मुकेश पांडेय का कार्यकाल बलिया में कम दिनों का ही रहा. लेकिन वे अपने छोटे से कार्यकाल में ही लोगों के दिलों पर छा गये थे. बलिया में 1 सितंबर 2014 से 12 अगस्त 2015 तक के अपने कार्यकाल में उन्होंने बलिया अनुमंडल के लोगों के बीच अपनी अलग छाप छोड़ी थी.
लोग बताते हैं कि उनके कार्यकाल के दौरान एक डीलर उन्हें मछली दे रहा था, इस पर वे उस डीलर को रुपये देने लगे. उस डीलर ने कहा कि सर यह अपने पोखर की है. तब उन्होंने यह कहते हुए मछली वापस कर दिया कि अगर आप पैसे लेंगे तभी हम मछली लेंगे. उनके निधन पर उन्हें श्रद्धांजलि दी गयी. इसमें एसडीओ ब्रजकिशोर चौधरी, एसडीपीओ रंजन कुमार, बीडीओ मनोज पासवान, सीओ वीभारानी, व्यापार मंडल अध्यक्ष राकेश सिंह, डाॅ. अमोद कुमार, मृत्युंजय कुमार, अनुमंडल अधिवक्ता संघ आदि शामिल थे.
मुकेश के पैतृक गांव संझा में पसरा मातम
दरियापुर : बक्सर के डीएम मुकेश पांडेय की आत्महत्या की खबर से उनके पैतृक गांव दरियापुर प्रखंड के विश्वंभरपुर पंचायत के संझा गांव में मातम छा गया है. उनके पड़ोसी, पट्टीदार तथा ग्रामीणों में शोक की लहर दौड़ गयी है. काफी मिलनसार व गांव-परिवार के लोगों का हमेशा ख्याल रखने वाले मुकेश की आत्महत्या की खबर से सभी गहरे सदमे में हैं. ग्रामीण बताते हैं कि मुकेश के पिता डॉ सिद्धेश्वर पांडेय गुवाहाटी में 40 वर्ष पहले जाकर स्थायी रूप से बस चुके हैं. मुकेश तथा बड़े भाई राकेश की शिक्षा-दीक्षा गुवाहाटी में ही हुई थी, लेकिन गांव और परिवार के सदस्यों से निरंतर संपर्क में रहते थे.
दो सप्ताह पहले गांव आने की मुकेश ने बनायी थी योजना : डीएम मुकेश पांडेय को पुत्री होने पर उनके पिता ने दो माह गांव आकर मिठाई बांटी थी. डीएम मुकेश पांडेय ने प्लान बनाया था कि बक्सर में योगदान करने के बाद संझा आयेंगे. स्व दारोगा पांडेय के दो पुत्रों, जिसमें बड़े पुत्र सिद्धेश्वर पांडेय तथा वशिष्ठ नारायण पांडे असम के गुवाहाटी में 40 साल पूर्व चले गये. सिद्धेश्वर पांडेय को दो पुत्र थे, जिसमें बड़े पुत्र राकेश पांडेय आइएफएस में चुने गये, जो वर्तमान में मास्को के राजदूत हैं. दूसरा पुत्र मुकेश पांडेय 2012 बैच के आइएएस अफसर हुए, जिनकी पोस्टिंग छह दिन पहले बक्सर में डीएम के रूप में हुई. डीएम मुकेश पांडेय की आत्महत्या की बात गांव वालों को पच नहीं रही है. क्योंकि गांव के पड़ोसी स्वराज सिंह साल में दो बार गुवाहाटी स्थित नूनमाटी मोहल्ले में बने मकान पर जाया करते हैं और चार माह पहले भी आम लेकर गये थे. उन्होंने बताया कि डीएम मुकेश पांडेय काफी मिलनसार व्यक्ति थे, वे मुझे पिता के समान इज्जत देते थे. आइएएस बनने के बाद कार्य की व्यस्तता की वजह से नहीं आ सके. इधर संझा आने का प्लान किया था कि बक्सर में योगदान करने के बाद घर आऊंगा, लेकिन नहीं आ सके. वैसे आइएएस बनने से पहले गांव में आते थे.
क्या कहते हैं ग्रामीण
मैं कई बार गुवाहाटी स्थित उनके आवास पर गया हूं. वहां तीन माह पहले भी आम लेकर गया था. डीएम मुकेश पांडेय से मुलाकात हुई थी, तो उस समय सिर्फ हालचाल पूछे थे. गांव आने पर सभी लोगों से मिलते थे.
स्वराज सिंह, पड़ोसी
क्या कहते हैं चाचा
मुकेश मेरा भतीजा था, जो काफी मिलनसार था. वैसे उससे मुलाकात तो पटना में हाल ही में हुई थी. फोन से बराबर बात होती थी. घटना की सूचना टीवी के माध्यम से रात्रि में हुई, तो बड़े भाई सिद्धेश्वर पांडेय से भी बात किया, तो घटना की पूर्ण जानकारी मिली.
अनिल पांडेय, पैक्स अध्यक्ष, विश्वंभरपुर पंचायत
बबुआ के विवाह में पटना गईल रही. फोनवा से बात होते रहल. लेकिन कौना दुखे बेटा हमर जान गवइले, हम नईखी जानत.
कौशल्या कुंअर, चाची
सोशल मीडिया में सवाल
डीएम मुकेश पांडेय की आत्महत्या के बाद सोशल मीडिया में भी जोरदार चर्चा है. इनमें सबसे बड़ा सवाल है कि कहीं डीएम ब्लू व्हेल गेम का शिकार तो नहीं हो गये. बताया जा रहा है कि यह एक ऐसा इंटरनेट गेम है, जो न किसी प्ले स्टोर में उपलब्ध है न इसे नेट से डाउनलोड किया जा सकता है. इस गेम को खेलने का आमंत्रण इंटरनेट यूजर को किसी लिंक से मिलता है. जानकार बताते हैं कि इस गेम में 50 खतरनाक टास्क खिलाड़ी को दिये जाते हैं. िजसमे आिखरी टास्क आत्महत्या का होता है.