अनदेखी . हाल बरौनी प्रखंड के महना स्थित श्री शंकर प्लस टू विद्यालय का
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आधारभूत संरचनाओं से कोसों दूर है स्कूल
अनदेखी . हाल बरौनी प्रखंड के महना स्थित श्री शंकर प्लस टू विद्यालय का बरौनी (नगर) : एक समय था जब बरौनी प्रखंड के महना स्थित श्री शंकर प्लस टू विद्यालय में पढ़ना गौरव का विषय माना जाता था मगर आज यह विद्यालय संसाधनों की कमी से लगातार जूझ रहा है.जबकि एक ओर नये-नये उत्क्रमित […]
बरौनी (नगर) : एक समय था जब बरौनी प्रखंड के महना स्थित श्री शंकर प्लस टू विद्यालय में पढ़ना गौरव का विषय माना जाता था मगर आज यह विद्यालय संसाधनों की कमी से लगातार जूझ रहा है.जबकि एक ओर नये-नये उत्क्रमित उच्च विद्यालय के विकास के लिए सरकार हर मुमिकन कोशिश कर रही है. वहीं शिक्षा के क्षेत्र में अपने स्थापना काल से ही गौरवान्वित करने वाला यह विद्यालय कई आधारभूत संरचनाओं से कोसों दूर है.
एक हजार छात्र-छात्राएं कर रहे हैं पढ़ाई: विद्यालय में संसाधनों की कमी के बावजूद माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक विद्यालय के लगभग 1000 हजार छात्र-छात्राएं पठन-पाठन कर रहे हैं. लेकिन संसाधन उपलब्ध कराने को लेकर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है.
कई विषयों के नहीं हैं शिक्षक : माध्यमिक की कक्षाओं के लिए तेरह और उच्चतर माध्यमिक की कक्षाओं के लिए उन्नीस शिक्षक पदस्थापित हैं. विद्यालय प्रभारी बालकृष्ण पोद्दार ने बताया कि विद्यालय में रसायन और इतिहास विषय तथा माध्यमिक में हिंदी विषय के साथ-साथ कॉमर्स संकाय में शिक्षकों की कमी से पठन-पाठन में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है. जिसका खामियाजा बच्चों को उठाना पड़ रहा है.
पढ़ाई के बदले शिक्षक करते हैं अन्य कार्य : विद्यालय में शिक्षकेतर कर्मचारियों के नहीं रहने से शिक्षक को ही शिक्षण कार्य के अलावा अन्य सभी कार्य करना पड़ता है. जिसके कारण शिक्षण कार्य भी प्रभावित होता है. विद्यालय में संसाधनों की कमी से छात्रों व शिक्षकों को परेशानी होती है.
संसाधनों की उपलब्धता के िलए नहीं हो रही कोई कार्रवाई
विद्यालय में नहीं होती है प्रयोगशाला की कक्षा
विद्यालय में प्रयोगशाला की कक्षाओं में संसाधनों के अभाव के कारण छात्रों को परेशानी होती है.विद्यालय में लड़कियों के लिए अलग से कॉमन रूम की सख्त आवश्यकता है.उन्होंने बताया कि स्कूल के प्रांगण में माध्यमिक और प्लस टू के अलावा मध्य विद्यालय का भी संचालन होता है. किन्तु पानी पीने के लिए मात्र एक चापाकल है जो नाकाफी है. उन्होंने बताया कि विद्यालय प्रबंध समिति सहित अन्य लोगों का ध्यान कई बार इस समस्या की ओर आकृष्ट कराया गया लेकिन अब तक व्यवस्था नहीं हो पायी है. विद्यालय में पढ़ने वाले छात्रों ने बताया कि बच्चों की संख्या को देखते हुए विद्यालय परिसर में बोरिंग की सुविधा होनी चाहिए.
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