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अधर में है पुल के एप्रोच पथ का काम

एक वर्ष से मिल रहा है सिर्फ आश्वासन बेगूसराय/साहेबपुरकमाल : मुंगेर गंगा नदी पर बना रेल सह सड़क पुल हाथी का दांत साबित हो रहा है. एक वर्ष पूर्व तैयार ब्रिज पर अब तक न तो पर्याप्त ट्रेनों का परिचालन ही हो रहा है और न ही पुल के एप्रोच पथ का निर्माण कार्य ही […]

एक वर्ष से मिल रहा है सिर्फ आश्वासन

बेगूसराय/साहेबपुरकमाल : मुंगेर गंगा नदी पर बना रेल सह सड़क पुल हाथी का दांत साबित हो रहा है. एक वर्ष पूर्व तैयार ब्रिज पर अब तक न तो पर्याप्त ट्रेनों का परिचालन ही हो रहा है और न ही पुल के एप्रोच पथ का निर्माण कार्य ही प्रारंभ हो सका है. जिसके चलते पुल के औचित्य पर प्रश्न चिह्न लगा हुआ है. बताया जाता है कि इसको लेकर दर्जनों बार रेल अधिकारियों से मिल कर विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधियों ने ध्यान आकृष्ट कराया.बावजूद इसके कोई पहल नहीं हुई.
तत्कालीन पीएम वाजपेयी ने रखी थी पुल की आधारशिला :उत्तरी और दक्षिणी बिहार को जोड़ने वाली मुंगेर रेल सह सड़क पुल का तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल विहारी वाजपेयी ने 25 दिसंबर 2002 में आधारशीला रखी थी. और पांच वर्षों में परियोजना पूर्ण कर लेने का लक्ष्य रखा गया था. उस वक्त पुल निर्माण की लागत करीब सवा नौ सौ करोड़ था.परंतु पुल निर्माण कार्य में अनावश्यक विलंब के कारण पांच वर्ष के बजाय 14 वर्ष में पुल तैयार किया गया . जिससे लागत खर्च भी तिगुना बढ़ गया और करीब 2700 करोड़ की लागत से परियोजना को पूरा किया गया. रेलवे ने आधी-अधूरी तैयारी में ही 12 मार्च 2016 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा पुल का उद्घाटन करवा दिया. उद्घाटन के अवसर पर किसी सवारी गाड़ी के बदले मालगाड़ी को पुल पर दौड़ाया गया .
नहीं हो रहा है सड़क एप्रोच पथ का निर्माण:रेल और सड़क का सुपर स्ट्रक्चर का कार्य तो पूर्ण हो गया .परंतु सड़क एप्रोच पथ का निर्माण नहीं होने से सड़क मार्ग से पुल पार करने की लालसा आज भी पूरी नहीं हो पायी है.

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