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जंग खा रहीं तीन करोड़ की मशीनें

ग्रामीण कार्य विभाग के कारनामे जिले के विकास को ऋणात्मक दिशा दे रहे हैं. विभाग की अपनी मशीनें खराब हैं. इन्हें थोड़े खर्च से ठीक कराया जा सकता है. लेकिन नहीं कराया जाता. इतना ही नहीं विभाग किराये के मशीनों से काम रहा है. सरकार व प्रशासन को इस अोर ध्यन देने की जरूरत है. […]

ग्रामीण कार्य विभाग के कारनामे जिले के विकास को ऋणात्मक दिशा दे रहे हैं. विभाग की अपनी मशीनें खराब हैं. इन्हें थोड़े खर्च से ठीक कराया जा सकता है. लेकिन नहीं कराया जाता. इतना ही नहीं विभाग किराये के मशीनों से काम रहा है. सरकार व प्रशासन को इस अोर ध्यन देने की जरूरत है.
बांका : ग्रामीण कार्य विभाग (आरडब्लूडी)- 1 की करीब दो करोड़ की मशीनें जंग खा रही है. इनमें ज्यादातर रोड रॉलर हैं. सभी मशीनें सिंचाई कॉलोनी स्थित विभागीय गोदाम के बाहर धूप और वर्षा में पड़ी हैं.
एक तरफ जहां विभाग की ये सारी मशीनें बेकार मान कर छोड़ दी गयी हैं, वहीं जरूरत पड़ने पर काम के लिए इसे दूसरे विभागों या प्राइवेट ठेकेदारों से किराये पर मशीनें लेनी पड़ रही हैं. बांका में ग्रामीण कार्य विभाग की दो इकाईयां हैं. इनमें से इकाई संख्या-1 का कार्यालय शहर के अलीगंज स्थित धर्मशाला के पीछे एक निजी भवन में किराये पर चल रहा है. इस विभाग में अपना गोदाम सिंचाई विभाग के लक्ष्मीपुर डिविजन-2 के पुराने परिसर में बना रखा है. ज्ञात हो कि सिंचाई विभाग का लक्ष्मीपुर डिविजन-2 यहां से स्थानांतरित होकर वर्षों पूर्व समस्तीपुर में शिफ्ट हो चुका ह
ग्रामीण कार्य विभाग की इकाई संख्या-2 का कार्यालय इसी सिंचाई विभाग परिसर में हैं. इस विभाग के पास पर्याप्त मशीनें नहीं हैं. फलस्वरूप इसका काम काज मुख्य रूप से किराये की मशीनों पर ही चलता है.
मामूली राशि से ठीक हो सकती हैं मशीनें
ग्रामीण कार्य विभाग-1 के अधीन जो मशीनें जंग खा रही है उनमें दो जीप, सात रोड रॉलर तथा एक ट्रैक्टर शामिल हैं.
विभाग की इकाई -2 के अंतर्गत भी एक जीप जंग खाकर बर्बाद हो रही है. इन सब के अलावा बड़ी संख्या में अन्य कीमती मशीनें भी खराब होकर बेकार पड़ी है. बाहर रहते हुए खुले आसमान के नीचे ये मशीनें जंग खाकर बर्बाद हो रही है. एक विभागीय सूत्र ने ही दावा किया कि विभाग चाहे तो मामूली राशि खर्च कर इन मशीनों को ठीक कराते हुए इनसे काम लिये जा सकते हैं. लेकिन ठेकेदारी की संस्कृति विभाग को इससे रोक रही है. विभाग का काम किराये की मशीनों से चल रहा है. विभाग की खराब होकर बेकार पड़ी मशीनों की कीमत तकरीबन 3 करोड़ रुपये आंकी जा रही है.
बड़े निर्माण कार्य की है जिम्मेदारी
ग्रामीण कार्य विभाग के अंतर्गत सड़क, पुल, पुलिया, तमाम सरकारी भवन आदि के निर्माण की जिम्मेदारी हैं. इस विभाग की दोनों ही इकाईयों का प्रमंडलीय मुख्यालय बांका है. जबकि इसके अनुमंडलीय कार्यालय जिले के विभिन्न प्रखंडों में कार्यरत हैं. विभाग का ज्यादातर काम निविदा प्रक्रिया के तहत ठेके पर चलता है. इन दानों ही विभागों के जरिये जिले में हर वर्ष अरबों की राशि का काम होता है. खास बात यह भी है कि ग्रामीण कार्य विभाग को संसाधनों के मामले में मजबूती प्रदान करने के लिए अगस्त 1998 में सिंचाई विभाग के 72 डिविजन इसमें मर्ज कर दिये गये थे. आज भी ग्रामीण कार्य विभाग में कार्यरत ज्यादातर कर्मी सिंचाई विभाग से ही आमद है.
चतुर्थवर्गीय कर्मियों के भरोसे चल रहा विभाग
विभागीय बदहाली का आलम यह है कि ग्रामीण कार्य विभाग- 2 के पांच अनुमंडलीय कार्यालय का काम काज भी मुख्य रूप से जिला मुख्यालय से ही संचालित हो रहा है. कहने को विभाग के 5 सब डिवीजन धोरैया, बाराहाट, बौंसी, कटोरिया तथा चांदन में हैं. लेकिन इन सभी का संचालन बांका से ही हो रहा है.
जानकारी के अनुसार, धोरैया के अधिकारी रजौन में तो बाराहाट के बांका में रहते हैं. बौंसी के अधिकारी भी बाराहाट में रहते हैं. कटोरिया व चांदन अनुमंडलीय कार्यालयों का कोई माई बाप नहीं है. प्रमंडलीय कार्यालय में तृतीय श्रेणी के तीन कर्मचारी है. हेड क्लर्क के अलावा एक-एक कैशियर एवं पत्राचार लिपिक हैं. लेकिन ये ज्यादातर गैर हाजिर ही रहते हैं. विभागीय कामकाज आम तौर पर प्रतिनियुक्त 11 चतुर्थ वर्गीय कर्मचारियों के भरोसे चलता है.

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