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पेयजल संकट: ताले में कैद है जीवन, बाहर से आए संवेदकों को पीने के लिए करना पड़ता है भुगतानफोटो : 27 बांका 6 : ताले में बंद चापाकल27 बांका 7 : पानी के लिए भटकती महिला27 बांका 8 : स्कूल की तसवीर27 बांका 9 : जोर नदी की तसवीर 27 बांका 10 : डॉ निलेश […]

पेयजल संकट: ताले में कैद है जीवन, बाहर से आए संवेदकों को पीने के लिए करना पड़ता है भुगतानफोटो : 27 बांका 6 : ताले में बंद चापाकल27 बांका 7 : पानी के लिए भटकती महिला27 बांका 8 : स्कूल की तसवीर27 बांका 9 : जोर नदी की तसवीर 27 बांका 10 : डॉ निलेश देवरे, जिला पदाधिकारी कहते है कि जल ही जीवन है. परंतु इस जीवन के लिए लोग हम विकास की नई परिभाषा गढ़ने के दौरान जहां एक ओर शुद्ध पेय जल के लिए करोड़ों की राशि खर्च किया जा रहा है वहीं इस जिले के एक पंचायत में पानी के लिए मारा-मारी होती है, यानी चापाकल को घेर कर उसमें ताला लगा दिया जाता है. प्रिय रंजन, बांका. सरकार ने विकास के अनेक दावे किये हैं. लेकिन लोग एक बूंद पानी के लिए यदि पीने के पानी के लिए लोग चापाकल में ताला लगाते हैं तो विकास की गाड़ी अब हांफने लगी है. बात कटोरिया प्रखंड के मनीया पंचायत की है जहां एक बूंद पानी के लिए प्रत्येक दिन झड़प होती है. यहां पर सरकारी चापाकल के नाम पर सिर्फ तीन चापाकल है. जिसमें से एक-एक चापाकल गांव के विद्यालय में और एक चापाकल ठाकुर टोला में है. यहां पानी पीने के लिए 2000 रुपये तक खर्च किये जाते है.दोनों गांव को मिलाकर करीब 150 घर हैं, जिसमें 750 लोग इस गांव में बसते हैं. सरकारी योजना के तहत दोनों गांवों को मिला कर तीन चापाकल हैं. यहां पर पानी पीने के लिए लोगों को काफी मशक्कत करनी पड़ती है. दोनों गांवों में सिर्फ खाना और पीने के लिए चापाकल का पानी मिलता है. शेष कामों के लिए लोगों को पास के जोर नदी का सहारा लेते हैं. जिस कारण लोग अपने अपने चापाकल में ताला लगा कर रखते है. हालांकि कि अब ग्रामीण समझ चुके हैं कि अगर पानी की बरबादी की जायेगी तो पीने के पानी का संकट हो सकता है. इसलिए लोग चापकल में ताला लगा कर रखते हैं, इस वजह से आपसी झड़प कम हो गई है.क्या है झड़प की वजह आपसी झड़प की मूल वजह पानी की किल्लत है. स्थानीय लोग योद्धन यादव, नरेश यादव, ठाकुर यादव, जागेश्वर यादव, राज कुमार यादव, कमलेश्वर यादव सभी बुटबरिया तथा मिंटू ठाकुर, विपिन यादव, गणेश यादव, ब्रह्मदेव यादव, नंदेश्वर यादव, ननदेव यादव, हरि किशोर यादव, कालेश्वर यादव, जामुन यादव, चांदो यादव का कहना है कि यहां पर पानी का लेयर काफी नीचे चला गया है. यहां पर 350 फीट तक भी पानी नहीं मिलता है. ऐसे में जो चापाकल अभी चल रहा है. उससे अगर दूसरे काम के लिए पानी को खर्च किया जायेगा तो स्थानीय लोग पीने के पानी के लिए कहां जायेंगे. इसलिए हम सभी को दूसरे कार्य के लिए पास के जोर नदी पर जाना होता है. 2000 रुपये तक का करना पड़ता है भुगतानगांव में हो रहे विकास कार्य के लिए पहुंचे संवेदक व कर्मी ने बताया कि इस गांव में पीने के पानी के लिए दर व दर की ठोकर खानी पड़ती है. ग्रामीणों का कहना है कि अगर चापाकल से पानी पीना है तो उसको 2000 रुपया देना होगा. क्या कहते है थानाध्यक्ष: अब तक दोनों गांवों में कोई भी जल विवाद नहीं आया है. प्रवेश भारती, थानाध्यक्ष, कटोरिया. इस प्रकार की कोई बात नहीं है. हालांकि वहां पर पानी का लेयर बहुत नीचे है, हम तो यही चाहते हैं कि वहां के लोगों को पीने का पानी मिले. योगेंद्र मंडल, मुखिया, मनिया पंचायत, कटोरियाक्या कहते है जिला पदाधिकारी: मामले की जानकारी मिली है. बीडीओ को गांव में भेज कर मामले की जांच करायी जायेगी. डा. निलेश देवरे, जिला पदाधिकारी, बांका

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