बांका: प्रखंड क्षेत्र के सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में अखाड़ी पूजा का आयोजन बड़ी धूमधाम से की गयी. प्राप्त जानकारी के अनुसार यह पूजा प्रत्येक वर्ष आषाढ़ मास के मंगलवार के दिन होती है. ऐसी मान्यता है कि मां काली की पूजा-अर्चना से गांव को महामारी सहित अन्य विपदा से मुक्ति मिलती है.
गांव के गोलू चौधरी, सहदेव मांझी, गोपाल ठाकुर, विनय ठाकुर सहित अन्य ने बताया की इस पूजा को गोजाली पूजा भी कहा जाता है या फिर आषाढ़ी भंडारा भी कहा जाता है. इस पूजा को पूर्वजों ने शुरू किया है जिसे आज भी ग्रामवासी करते आ रहे हैं. ऐसी मान्यता है कि पूर्व में गांव के लोग जब महामारी की चपेट में आये तो उन्होंने लखपुरा काली मंदिर से भस्म लाकर बीमार लोगों को दिया जिससे उन्हें बीमार से मुक्ति मिली. इस के बाद से ही इस तरह की पूजा की शुरुआत की गयी इसमें विभिन्न देवी की आराधना की जाती है. इस पूजा में आस पास गांव के लोग काफी संख्या में पहुंचते हैं. यहां मां काली के आराधना के बाद बकरे का बलि भी दी जाती है.