शिक्षक विद्यालय में अनुपस्थित एवं निजी कार्य में रहते हैं व्यस्त पूरे माह की तैयार हो जाती है हाजिरी प्रतिनिधि, बांकाएक ओर सूबे के नियोजित शिक्षकों द्वारा वेतनमान की मांग को लेकर चरणबद्ध आंदोलन चलाये जा रहे हैं वहीं दूसरी ओर विद्यालय में नियमित वेतनभोगी शिक्षक पूरी तरह कार्य में शिथिलता बरत रहे हैं. जिला शिक्षा पदाधिकारी ने मंगलवार को आरएमके इंटर स्कूल पहुंचकर धरना पर बैठे शिक्षकों को धमकाते हुए कहा कि शिक्षक अपने दायरे में रहते हुए कार्य में सहयोग करें या फिर दंडात्मक कार्रवाई झेलने को तैयार रहें. बुद्धिजीवियों का मानना है कि जिला शिक्षा पदाधिकारी अभय कुमार नियोजित शिक्षकों पर अधिकारिक तेवर तो दिखाते हैं पर जिले अन्य वेतनभोगी शिक्षकों की शिथिलता पर क्यों आंख बंद कर बैठे हुए है. सामान्य विद्यालय में स्थिति कुछ संतोषजनक भी है पर संस्कृत विद्यालयों की बदहाली पर उनकी नींद नहीं टूटी है. संस्कृत शिक्षक नियमित विद्यालय नहीं पहुंचते हैं. जब शिक्षक ही विद्यालय नहीं पहुंचते तो छात्रों की उपस्थिति कितनी हो पाती है यह किसी से छिपा नहीं है. मालूम हो कि जिले में 13 संस्कृत विद्यालय हैं. इक्के दूक्के विद्यालय को छोड़ कर सभी विद्यालय के शिक्षक अपने कार्य के प्रति पूरी तरह लापरवाही बरत रहे हैं. शायद शिक्षक भी पूरी तरह आश्वस्त हैं कि उनके विद्यालय में कभी संबंधित पदाधिकारियों का औचक निरीक्षण होने वाला नहीं है. जानकारों का मानना है कि यदि गंभीरता से जांच किया जाये तो कई शिक्षक विद्यालय में अनुपस्थित एवं निजी कार्य में व्यस्त मिलेंगे. शिक्षक आपस में मिलीभगत कर बारी बारी से विद्यालय आते हैं जिससे उनकी हाजिरी आसानी से बनती रहती है.
शिथिल शिक्षकों पर नहीं होती कोई कार्रवाई
शिक्षक विद्यालय में अनुपस्थित एवं निजी कार्य में रहते हैं व्यस्त पूरे माह की तैयार हो जाती है हाजिरी प्रतिनिधि, बांकाएक ओर सूबे के नियोजित शिक्षकों द्वारा वेतनमान की मांग को लेकर चरणबद्ध आंदोलन चलाये जा रहे हैं वहीं दूसरी ओर विद्यालय में नियमित वेतनभोगी शिक्षक पूरी तरह कार्य में शिथिलता बरत रहे हैं. जिला […]
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