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जिउतिया की खरीदारी को लेकर बाजार रहा गुलजार, सब्जी व फल की बिक्री हुई तेज

बांका : जिलेभर के विभिन्न बाजार में जिउतिया पर्व को लेकर काफी चहल पहल देखी जा रही है. पर्व को लेकर गुरुवार के दिन बाजार में रौनक बढ़ी थी. अन्य दिनों के अपेक्षा खरीदारों की संख्या वृद्धि देखी गयी. जिउतिया पर्व को लेकर सब्जी का कीमत आसमान छू रही थी. शहर के शिवाजी चौक स्थित […]

बांका : जिलेभर के विभिन्न बाजार में जिउतिया पर्व को लेकर काफी चहल पहल देखी जा रही है. पर्व को लेकर गुरुवार के दिन बाजार में रौनक बढ़ी थी. अन्य दिनों के अपेक्षा खरीदारों की संख्या वृद्धि देखी गयी. जिउतिया पर्व को लेकर सब्जी का कीमत आसमान छू रही थी.

शहर के शिवाजी चौक स्थित सब्जी मार्केट, गांधी चौक स्थित सब्जी दुकान, पुरानी ठाकुरबाड़ी स्थित सब्जी हाट सहित कई जगहों पर लगने वाले सब्जी मंडी में सब्जी का बाजार गर्म था. जिउतिया पर्व को देखते हुए हरी सब्जी की महंगाई सातवें आसमान पर थी. जिउतिया के नहाय खाय दिन के लिए झिंगी सतपुतिया, कंदा, नोनी, साग बोडा, लाल साग सहित विभिन्न प्रकार की हरी सब्जी की लोगों ने खरीदारी की.
बाजार में सतपुतिया 60 रुपये किलो, नोनी साग, 100 रुपये किलो, बिक रहा था. हालांकि जिउतिया के नहाय खाय को लेकर लोगों में संशय बरकरार था अधिकतर महिलाएं शुक्रवार को जिउतिया का नहाय खाय कर रही हैं. वहीं कुछ लोगों द्वारा शनिवार को भी नहाय खाय किये जाने की बात कही जा रही है. लेकिन मैथिल पंचांग के अनुसार अधिकांश महिलाएं शुक्रवार को ही नहाय खाय के साथ जिउतिया व्रत आरंभ करेंगी.
फलों की बिक्री हुई तेज: जिउतिया पर्व को लेकर सब्जी के साथ-साथ फल की भी बिकी में तेजी देखा गया. गुरूवार को फल मंडी में खरीदारों की संख्या बढ़ी थी. बाजार में खरीदारों की संख्या बढ़ने के कारण बाजार गुलजार दिख रहा था. जिउतिया पर्व को लेकर महिलाओं को भारी भीड़ क्षेत्र के बाजारों में देखी जा रही है.
जिला मुख्यालय से लेकर प्रखंड क्षेत्र के विभिन्न बाजारों में महिलाओं की टोली पूजन सामग्री से लेकर साड़ी, कपड़ा समेत पर्व को लेकर सोने चांदी की खरीदने में जुट गयी है. इस पर्व में महिलाएं अपने पुत्र की सलामती के लिए पूजा-अर्चना शनिवार को करेंगे. साथ ही ऐसा भी कहा जाता है कि जो इस व्रत की कथा को सुनता है वह जीवन में कभी संतान वियोग नहीं होता है. संतान के सुखी और स्वस्थ्य जीवन के लिए यह व्रत रखा जाता है.
नहाय खाय, निर्जला व्रत एवं पारण की विधि: जितिया व्रत की शुरुआत छठ की तरह नहाय खाय से होती है. इस दिन माताएं सुबह उठकर किसी पवित्र नदी में स्नान करती हैं और पूजा करती हैं. पूजा के दौरान महिलाए व्रत संकल्प लेती हैं.
नहाय खाय के दिन महिलाएं सिर्फ एक बार ही भोजन कर सकती हैं. जितिया व्रत के पहले दिन की रात को घर की छत पर चारों दिशाओं में कुछ खाना रखा जाता है. व्रत के दूसरे दिन… निर्जला व्रत रखा जाता है. इस दिन महिलाएं बिना जल के रहती हैं और अगले दिन यानी कि पारण होने तक कुछ नहीं खाती हैं. निर्जला व्रत में कुछ खाया या पिया नहीं जा सकता है.
जितिया व्रत के तीसरे… यानी कि आखिरी दिन पारण किया जाता है. हालांकि अलग-अलग इलाके में अलग-अलग विधि से पारण किया जाता है. व्रत का पारण प्रात: काल में ही किया जाता है. पारण के बाद किसी भी तरह का भोजन ग्रहण नहीं किया जाता है.
जीवित्पुत्रिका व्रत की पौराणिक कथा
व्रत की कथा महाभारत काल से जुड़ी हुई है. कहा जाता है कि महाभारत के युद्ध के बाद अश्वथामा अपने पिता की मृत्यु की वजह से क्रोध में था. वह अपने पिता की मृत्यु का पांडवों से बदला लेना चाहता था. एक दिन उसने पांडवों के शिविर में घुस कर सोते हुए पांडवों के बच्चों को मार डाला.
उसे लगा था कि ये पांडव हैं. लेकिन वो सब द्रौपदी के पांच बेटे थे. इस अपराध की वजह से अर्जुन ने उसे गिरफ्तार कर लिया और उसकी मणि छीन ली. इससे आहत अश्वथामा ने उत्तरा के गर्भ में पल रही संतान को मारने के लिए ब्रह्मास्त्र का प्रयोग कर दिया.
लेकिन उत्तरा की संतान का जन्म लेना जरूरी था. जिस वजह से श्रीकृष्ण ने अपने सभी पुण्य का फल उत्तरा की गर्भ में मरी संतान को दे दिया और वह जीवित हो गया. गर्भ में मरकर जीवित होने के वजह से उसका नाम जीवित्पुत्रिका पड़ा और यही आगे चलकर राज परीक्षित बने. तब से ही इस व्रत को रखा जाता है.
नहाय खाय के साथ जिउतिया पर्व आज से शुरू
बौंसी : नहाय खाय के साथ आज से पुत्र की लंबी उम्र की कामना का पर्व जिउतिया आरंभ हो जायेगा. जानकारी हो कि इस व्रत में महिलाएं एक तिनका या दातून भी मुंह में नहीं लेती है. इसे खर जिउतिया के नाम से भी जाना जाता है. हालांकि कुछ जगहों पर शनिवार को नहाय खाय एवं रविवार को उपवास के बाद सोमवार को विधि विधान से व्रती महिलाएं पूजा करेंगी. बताया जाता है कि व्रत करने वाली श्रद्धालु महिलाएं इस दिन निर्जला उपवास करती है.
रविवार की शाम को महिलाएं अपने घरों में पूजा-पाठ करेंगी और भगवान सूर्य को अर्घ देंगी. पर्व को लेकर गुरुवार को ऐतिहासिक व धार्मिक मान्यता प्राप्त मंदार तराई में स्थित पापहरिणी सरोवर में गुरुवार को स्नान के लिए श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी. सरोवर के चारों और स्नान करने के लिए भारी भीड़ थी. स्नान के बाद व्रती महिलाओं ने लक्ष्मी नारायण मंदिर में पूजा अर्चना की.
पर्व को लेकर फल दुकानदार भी फलों की मनमानी कीमत वसूल रहे हैं. व्रती महिलाएं गोरगामा की विमला देवी, ब्रह्मपुर गांव की सुनीता पाठक, थाना कॉलोनी की नीलम देवी सहित अन्य ने बताया कि भगवान जीमुतवाहन को झिंगली के पत्ते पर खाजा-फेना चढ़ाकर अपो पुत्र की लंबी आयु की कामना की जायेगी. रविवार को 24 घंटे का निर्जला उपवास कर शाम को डालिया भरकर अपने पुत्र की दीर्घायु की कामना करेंगी. सोमवार की सुबह पुत्र द्वारा डलिया खोला जायेगा.

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