अंबा : शराबबंदी के बाद सरकार ने ताड़ी पर भी प्रतिबंध लगा दिया है. कहीं भी सार्वजनिक व निजी स्थान पर ताड़ी बेचना कानूनन अपराध बन चुका है. ऐसे में ताड़ व खजूर के रस का प्रयोग अब नीरा के रूप में किया जाना है. किस क्षेत्र में कितने लोग ताड़ी उतारने का कार्य करते हैं, इसका सर्वे किया जा रहा है. जीविका की दीदी को सर्वे को जिम्मा दिया गया है. वे गांव-गांव के ताड़ी उतारनेवाले व्यक्तियों की सूची बना कर जीविका के प्रखंड कार्यालय को देंगे. इस संबंध में जीविका बीपीएम योगेंद्र कुमार अम्बष्टा ने बताया कि 31 मार्च तक सर्वे का कार्य पूरा कर लिया जायेगा. उन्होंने बताया कि जिस क्षेत्र में 40 से अधिक व्यवसायी पाये जायेंगे,
उसके आस-पास में ही कलस्टर बनाया जायेगा. व्यवसायी सुबह नीरा को लेकर सेंटर पर पहुंचेगे. वहां पीएच मीटर से जांच की जायेगी. यदि जांच में ताड़ी मिलेगी, तो उसे स्वीकार नहीं किया जायेगा. नीरा होगा, तो उसे रख लिया जायेगा. नीरा से ताल मिसरी, बिस्कुट, पेड़ा, जेली, गुड़ आदि बनाया जायेगा. कलस्टर सेंटर से इसकी आपूर्ति कंपनी तक की जायेगी. इससे ताड़ी उतारनेवाले लोगों को रोजगार का अवसर प्राप्त होगा. उन्हें चिह्नित कर उत्पाद विभाग की ओर से लाइसेंस दिया जायेगा. कलस्टर सेंटर पर लाइसेंसधारी व्यवसायी से ही नीरा लिया जायेगा. नशाबंदी को लागू करने के लिए सरकार की यह बेहतर पहल है. इससे ताड़ी पर प्रतिबंध स्थापित होगा और लोगों को रोजगार का अवसर भी मिलेगा.