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न स्कूल भवन है, न ही एमडीएम, कैसे पढेंगे बच्चे?

मदनपुर : जर्जर भवनों में हर पल हादसे का भय सताता रहता है. बारिश में छत से पानी रिसता है. बावजूद बच्चे भविष्य बनाने में जुटे हैं. कमोबेश ऐसे ही हालात अधिकांश सरकारी विद्यालयों के हैं. इस व्यवस्था से सरकार व शिक्षा विभाग के दावों की पोल खुल जाती है. सरकारी विद्यालयों में नामांकन बढ़ाने […]

मदनपुर : जर्जर भवनों में हर पल हादसे का भय सताता रहता है. बारिश में छत से पानी रिसता है. बावजूद बच्चे भविष्य बनाने में जुटे हैं. कमोबेश ऐसे ही हालात अधिकांश सरकारी विद्यालयों के हैं.
इस व्यवस्था से सरकार व शिक्षा विभाग के दावों की पोल खुल जाती है. सरकारी विद्यालयों में नामांकन बढ़ाने व ठहराव सुनिश्चित करने के लिए प्रयास किये जा रहे हैं, लेकिन बुनियादी सुविधाओं का अभाव इसमें बाधक है. यहीं कारण है कि अधिकांश लोग अपने बच्चों को सरकारी के बजाय निजी विद्यालयों में पढ़ाने में ही विश्वास करने लगे हैं.अकेले मदनपुर प्रखंड की बात करें, तो करीब आधे विद्यालयों में तो बिजली आज तक पहुंच भी नहीं पायी है. कई विद्यालयों में स्वच्छ पेयजल भी नसीब नहीं है. कई विद्यालय ऐसे हैं, जो आज भी खुले में पेड़ की छांव तले या फिर झोपड़े में चल रहे हैं.पर्याप्त सुविधाओं के अभाव में प्रतिभाएं निजी विद्यालयों से पिछड़ रही हैं.
कंप्यूटर ज्ञान से अनजान : बिजली रहित स्कूलों के विद्यार्थी कंप्यूटर ज्ञान से भी अनजान हैं. आज तक किसी स्कूल में कंप्यूटर की सुविधा ही नहीं दी गयी है. निजी स्कूलों की बात करें, तो वहां तो पहली कक्षा से ही विद्यार्थियों को कंप्यूटर की पढ़ाई करायी जाती है. ऐसे में सरकारी स्कूलों के विद्यार्थी तकनीकी ज्ञान में पिछड़ रहे हैं.
झोंपड़ी में चल रहे स्कूल : मदनपुर के सलैया के निकट स्थित लखनपुर प्राथमिक विद्यालय दो वर्षों से आंगनबाड़ी केंद्र व हसनपुर, बरडीह एक झोपड़े में संचालित हो रहे हैं. नवसृजित विद्यालय हसनपुर में 113 विद्यार्थियों का नामांकन है, लेकिन वर्तमान में गिने-चुने विद्यार्थी ही यहां आखर ज्ञान ले रहे हैं. मिड-डे-मिल भी यहां नहीं बनता है. विद्यालय को जमीन आवंटित हो चुकी है, लेकिन अभी तक भवन नहीं बना है. यह विद्यालय खुले में होने के कारण बच्चों को गरमी, सर्दी व बारिश में परेशानी का सामना करना पड़ता है.
मौसम भी लेता है विद्यार्थियों से परीक्षा
यहां मौसम भी लेता है परीक्षा
प्रखंड में कई विद्यालय तो ऐसे हैं, जहां अध्ययनरत बच्चों की सर्दी, गरमी व बारिश भी परीक्षा लेती है. खुद के भवन नहीं होने से बच्चे खुले में पढ़ने को मजबूर हैं. कई बार तो बच्चों की महज इसलिए छुट्टी करनी पड़ती है कि बारिश से बचाव का उपाय नहीं होता. मदनपुर प्रखंड की बात की जाये, तो यहां करीब आठ स्कूल ऐसे हैं, जो आज भी खुले में ही चल रहे हैं. मिली जानकारी के अनुसार 192 प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालय हैं. 84 स्कूल आठवीं तक हैं़ आठ विद्यालयों के पास भवन ही नहीं, चार नवसृजित विद्यालय संचालित नहीं हैं.
आवदेन देनेवालों को विभाग से मिली सुविधा
जिन विद्यालयों ने बिजली कनेक्शन के लिए अप्लाई किया है, वहां बिजली कनेक्शन दिया गया है.आठ भवन विहीन विद्यालयों के लिए जमीन आवंटित नहीं हुई है. चार नवसृजित विद्यालय संचालित नहीं हैं.अब इनमें आगे की कार्रवाई की जायेगी. उन्होंने ने बताया कि जिले के 13 विद्यालयों में ही सर्व शिक्षा अभियान के तहत कंप्यूटर दी गयी थी. और कंप्यूटर विभाग के द्वारा उपलब्ध नहीं कराया गया. इसके कारण विद्यालय में कंप्यूटर नहीं लगाये गये हैं. शिक्षा की बेहतरी के लिए तमाम कदम उठाये जा रहे हैं.
यदुवंश राम, डीइओ

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