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छह साल से हो रहे प्रयास, फिर भी बेजमीन है केंद्रीय विद्यालय
राज्य व केंद्र सरकार के बीच उलझी व्यवस्था औरंगाबाद सदर : इसे राजनीतिक उदासीनता कहे या प्रशासनिक विफलता कि छह साल की लंबी अवधि के बाद भी जिले में स्थित केंद्रीय विद्यालय को अब तक जमीन नसीब नहीं हो पायी है. एक-एक कर छह साल निकल गये और इस बीच दर्जनों बार आश्वासन मिले और […]
राज्य व केंद्र सरकार के बीच उलझी व्यवस्था
औरंगाबाद सदर : इसे राजनीतिक उदासीनता कहे या प्रशासनिक विफलता कि छह साल की लंबी अवधि के बाद भी जिले में स्थित केंद्रीय विद्यालय को अब तक जमीन नसीब नहीं हो पायी है. एक-एक कर छह साल निकल गये और इस बीच दर्जनों बार आश्वासन मिले और कई बार जमीन के लिये प्रस्ताव गया पर उसके बाद भी कल के भविष्य का आज अंधकार में ही दिख रहा है.
स्थिति यह है कि जमीन की तलाश में स्कूल प्रशासन सरकार के जिम्मेवार अधिकारियों समेत जनप्रतिनिधियों से भी कई बार मदद मांग चुका है पर जमीन नहीं उपलब्ध करायी गयी. ऐसे में उधार के भवन में शिक्षा का मंदिर चल रहा है. जमीन को लेकर बढ़ते दबाव व धीरे-धीरे कर बीतते वर्ष को लेकर औरंगाबाद जिलाधिकारी व स्कूल प्राचार्य द्वारा इसको लेकर की गयी सकारात्मक पहल से लोगों में एक उम्मीद जगी थी और उन्हें ऐसा लगने लगा कि जमीन मिल जायेगी, लेकिन वर्ष 2016 का अंत का परिणाम भी ढाक के तीन पात निकला.
2010 में रखी गयी थी इस विद्यालय की नींव : नौ अगस्त वर्ष 2010 में जिले में केंद्रीय विद्यालय की स्थापना हुई थी, तो लोगों ने इसको लेकर खूब सपने देखे थे. लेकिन, धीरे-धीरे लोगों का सपना जमीन नहीं मिलने के कारण थोड़ा कमजोर पड़ने लगा है. अभिभावक, छात्र और स्कूल प्रशासन आज भी जमीन के इंतजार में हैं और इस नये वर्ष में उम्मीद लगा रहे हैं कि केंद्रीय विद्यालय को शायद इस वर्ष में जमीन नसीब हो जाये. बता दें कि यहां के जिला प्रशासन सहित जनप्रतिनिधियों ने भी जमीन के लिए खूब प्रयास किये हैं. इसके अलावे जब पिछले वर्ष केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री प्रकाश जावडेकर औरंगाबाद आये थे, तो उस वक्त स्थानीय लोगों व जनप्रतिनिधियों द्वारा उनके समक्ष भी आवाज उठायी गयी थी. इसके अलावे स्थानीय सांसद सुशील कुमार सिंह और विधायक आनंद शंकर सिंह द्वारा जमीन को लेकर सदन में आवाज उठायी गयी थी, लेकिन उसका नतीजा कुछ नहीं निकल सका. जमीन नहीं मिलने पर केंद्रीय राज्यमंत्री ने कहा था कि इस मामले में सबसे बड़ी अड़चन बिहार सरकार का राजस्व विभाग है, जो विद्यालय को जमीन नहीं उपलब्ध करा पा रहा. लिहाजा मॉडल स्कूल की बिल्डिंग में किसी तरह विद्यालय का संचालन हो रहा है.
स्कूल भवन के लिए 10 एकड़ जमीन की आवश्यकता
जनप्रतिनिधियों से लेकर जिला प्रशासन तक सभी जब केंद्रीय विद्यालय के जमीन के लिए प्रयासरत है, तो आखिर जमीन को लेकर कहां फंस रहा है पेच, यह एक बड़ा सवाल है. ऐसा नहीं कि जिले में सरकारी जमीन की कमी है, लेकिन बावजूद इसके विद्यालय को जमीन क्यों नहीं मिलती, यह सवाल सबको बेचैन करता है. केंद्रीय विद्यालय को 10 एकड़ जमीन की आवश्यकता है और पहले राउंड 2010-11 में 10.43 एकड़ जमीन के लिए एक प्रस्ताव बिहार सरकार को भेजा गया था, लेकिन उसका अब तक कोई जवाब नहीं मिल सका. इसके बाद भी जमीन को लेकर कई बार बिहार सरकार के राजस्व विभाग को आवश्यक जमीन के लिए विद्यालय प्रशासन की ओर से पत्राचार किया गया, लेकिन फिर भी जमीन नहीं मिली. ऐसे में मॉडल स्कूल के उधार के बिल्डिंग में केंद्रीय विद्यालय का चलना छात्रों व अभिभावकों समेत विद्यालय परिवार को भी खटक रहा है.
मॉडल स्कूल के 22 कमरों में चलता है पठन-पाठन
औरंगाबाद में विद्यालय की नींव रखने के बाद लोगों को इससे बड़ी उम्मीद थी. इस विद्यालय से आज भी लोगों की उम्मीद जुड़ी है पर जमीन को लेकर कोई सकारात्मक पहल नहीं होने के कारण लोगों में मायूसी है. पहले चरण में तत्कालीन जिलाधिकारी कुंदन कुमार ने जमीन के लिए सरकार को एक प्रस्ताव भेजा था, लेकिन उसका कोई जवाब नहीं आया. इसके बाद वर्ष 2014 के जून माह में बिहार सरकार के राजस्व विभाग से 3.20 एकड़ जमीन के लिए एक प्रस्ताव शिक्षा विभाग को मिला है, लेकिन इस पर भी कोई कार्रवाई होते नहीं दिख रही है. इस मामले में औरंगाबाद शिक्षा विभाग देरी कर रही है. फिलहाल मॉडल स्कूल के भवन के 22 कमरों में विद्यालय के पठन-पाठन का कार्य चल रहा है, पर जमीन नहीं होने के कारण केंद्रीय विद्यालय अपने पूरे स्वरूप में खुल कर सामने नहीं आ पा रहा.
अनुप शुक्ला, प्राचार्य, केंद्रीय विद्यालय, औरंगाबाद
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