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खुशियालपुर गांव में बाघ आने की सूचना पर पहुंचे अधिकारी
जांच में ईख के खेत से मिले लकड़बग्घा के पैरों के निशान कुछ साल पहले सिमरा गांव के कुएं में िगरा था एक बाघ कुटुंबा : कुटुंबा थाना क्षेत्र के खुशियालपुर गांव में बाघ आने की सूचना पर दहशत का माहौल कायम हो गया. पता चला कि किसी व्यक्ति ने उसे देखा,फिर यह बात आग […]
जांच में ईख के खेत से मिले लकड़बग्घा के पैरों के निशान
कुछ साल पहले सिमरा गांव के कुएं में िगरा था एक बाघ
कुटुंबा : कुटुंबा थाना क्षेत्र के खुशियालपुर गांव में बाघ आने की सूचना पर दहशत का माहौल कायम हो गया. पता चला कि किसी व्यक्ति ने उसे देखा,फिर यह बात आग की तरह फैल गयी.
सोमवार की रात ग्रामीणों ने बाघ आने की सूचना थानाध्यक्ष सुभाष राय को दी. ग्रामीणो की सूचना पर थानाध्यक्ष ने वन विभाग को उक्त गांव में बाघ होने की जानकारी दी. मंगलवार को डीएफओ सुधीर कुमार कर्ण विभागीय टीम के साथ गांव पहुंचे और ग्रामीणो से पूरी जानकारी ली.
ग्रामीणों ने बताया कि बाघ एक ईख की खेत में छिपा है. डीएफओ ग्रामीणों के साथ उक्त ईख की खेत पर पहुंचे और ईख की खेत का चारों तरफ से मुआयना किया.अंदर जाकर पैर का निशान भी ढूंढा. खेत के अंदर लकड़बग्घा के पैर का निशान पाया गया. वन अधिकारी ने बताया कि यहां कोई बाघ नहीं, बल्कि लकड़बग्घा आया था, जो रात में हीं कहीं चला गया. वन विभाग द्वारा चलाये गए सर्च अभियान के बाद ग्रामीणों ने चैन की सांस ली.
बता दें कि झारखंड का सीमावर्ती क्षेत्र होने के कारण वन्य प्राणी भटक कर बिहार की सीमाओं में पहले भी आते रहे हैं. कुछ वर्ष पूर्व खुशियालपुर गांव के समीप के पिपरा गांव में तेन्दुआ आया था जिसे वन विभाग की टीम ने एक पेड़ के उपर से पकड़ा था. उसके बाद कुटुंबा थाना के सिमरा गांव में भी एक बाघ कुंआ में गिरा था, जिसे वन विभाग ने कड़ी मशक्कत के बाद कुंए से बाहर निकाला था. वन्य जीव का भटकाव इस क्षेत्र के लिए कोई नयी बात नहीं है. कुछ माह पूर्व हीं पानी की तलाश में दर्जनों हाथी भी इस क्षेत्र में आ चुके हैं.
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