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अंतिम संस्कार के लिए दो साल बाद मिलती है मदद

दाउदनगर (अनुमंडल) : बीपीएल परिवार के किसी सदस्य का निधन हो जाने के बाद दाह-संस्कार के लिए कबीर अंत्येष्टि योजना के तहत तत्काल तीन हजार रुपये दिये जाने का प्रावधान है. शहरी क्षेत्र में वार्ड पार्षद व संबंधित वार्ड के तहसीलदार के नाम से संयुक्त खाता बैंक में खुला हुआ है. किसी की मौत होने […]

दाउदनगर (अनुमंडल) : बीपीएल परिवार के किसी सदस्य का निधन हो जाने के बाद दाह-संस्कार के लिए कबीर अंत्येष्टि योजना के तहत तत्काल तीन हजार रुपये दिये जाने का प्रावधान है. शहरी क्षेत्र में वार्ड पार्षद व संबंधित वार्ड के तहसीलदार के नाम से संयुक्त खाता बैंक में खुला हुआ है.
किसी की मौत होने पर उसके परिजन संबंधित वार्ड पार्षद को इस लाभ के लिए आवेदन देते हैं. दाउदनगर नगर पंचायत क्षेत्र की स्थिति यह है कि मौत के करीब दो वर्षों बाद तक किसी आवेदक को इस योजना का लाभ नहीं मिल पाया है. वार्ड पार्षद बसंत कुमार का कहना है कि कई आवेदक ऐसे हैं, जिन्हें वर्ष 2014 में ही इसका लाभ मिल जाना चाहिए था. खाते में पर्याप्त राशि नहीं रहने के कारण अभी कई लाभुकों को इसका लाभ नहीं मिल पाया है.
आंकड़ा नहीं है उपलब्ध
जिन शहरी बीपीएल परिवार के आवेदकों को इस योजना का लाभ नहीं मिल पाया है, उनकी संख्या को लेकर नगर पंचायत कार्यालय से स्पष्ट जानकारी प्राप्त नहीं हो सकी. बताया गया कि वार्ड पार्षद के पास आवेदन आता है. वार्ड पार्षद व तहसीलदार द्वारा संयुक्त रूप से आवेदक को राशि का चेक प्रदान की जाती है.
वार्ड संख्या-02 के वार्ड पार्षद रामऔतार चौधरी के अनुसार उनके वार्ड में 15, वार्ड संख्या-03 के वार्ड पार्षद अनसुईया देवी के अनुसार उनके वार्ड में 6, वार्ड संख्या-4 के वार्ड पार्षद शकीला बानो के अनुसार उनके वार्ड में दस, वार्ड संख्या-05 में 12 एवं वार्ड संख्या-15 के वार्ड पार्षद रसीदा खातुन के अनुसार उनके वार्ड में 12 आवेदन लंबित पड़े हैं. खाते में राशि नहीं रहने के कारण आवेदकों को राशि का भुगतान नहीं किया जा रहा है.
तहसीलदारों के पास है सूची
जब लंबित आवेदनों के बारे में कार्यपालक पदाधिकारी बिपिन बिहारी सिंह से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि लंबित आवेदनों की सूची तहसीलदारों के पास है. अलग-अलग वार्डों के लिए अलग-अलग तहसीलदार प्रतिनियुक्त किये गये हैं.
दो घटक में खाते
वार्ड पार्षद बसंत ने बताया कि कबीर अंत्येष्टि योजना के खाते सामान्य घटक व विशेष घटक के अलग-अलग होते हैं. विशेष घटक से दलित और सामान्य से अन्य आवेदकों को लाभ दिया जाता है.
वार्ड पार्षद रामऔतार चौधरी ने बताया कि आवेदनों को क्रमानुसार संधारित कर रखा जाता है और राशि आने पर क्रमानुसार भुगतान किया जाता है. वार्ड पार्षदों का कहना है कि समस्या यह है कि खाते में पर्याप्त राशि ही कभी मौजूद नहीं रहती है, जिसके कारण तात्कालिक तौर पर आवेदकों को राशि का भुगतान नहीं किया जाता है.

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