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देव में रात में भी चला अर्घ देने का सिलसिला

भीषण गरमी के बावजूद श्रद्धालुओं की संख्या ने पिछले कई वर्षों का रिकॉर्ड तोड़ा औरंगाबाद (कार्यालय) : सूर्य नगरी देव में पूरी रात अर्घदान की प्रक्रिया चलती रही. वैसे, यहां अर्घदान पहले भी रात में भी होती रही है़ इस बार तो चैती छठ मेले में आनेवाले छठव्रति उपवास की तिथि मंगलवार को 12 बजे […]

भीषण गरमी के बावजूद श्रद्धालुओं की संख्या ने पिछले कई वर्षों का रिकॉर्ड तोड़ा
औरंगाबाद (कार्यालय) : सूर्य नगरी देव में पूरी रात अर्घदान की प्रक्रिया चलती रही. वैसे, यहां अर्घदान पहले भी रात में भी होती रही है़ इस बार तो चैती छठ मेले में आनेवाले छठव्रति उपवास की तिथि मंगलवार को 12 बजे दिन से ही अर्घदान शुरू कर दिये थे़ शाम होते-होते सूर्यकुंड तालाब का कोना-कोना भर गया था़ सूर्यदेव जब अस्ताचल की ओर चले गये, फिर भी छठव्रतियों का अर्घदान चलता रहा, जो बुधवार की सुबह आठ बजे दिन तक चला. यानी कि लगातार 20 घंटे तक देव में भगवान सूर्यदेव का अर्घ किये गये़ जानकारों के अनुसार, रात में अर्घदान केवल देव में ही होता है़
इसके पीछे जो रहस्य छिपा है, वह यह है कि देव को लोग भगवान सूर्यदेव की नगरी मानते है़ं लोगों की मान्यता यह भी है कि यहां भगवान सूर्यदेव हर समय उपस्थित रहते हैं. यही सोच छठव्रतियों के हृदय में रहती है और यहां उनकी उपस्थिति मान कर रात में भी छठव्रति अर्घदान करते हैं.
दाउदनगर (अनुमंडल)प्रतिनिधि के अनुसार. चैती छठ परंपरागत तरीके से संपन्न हो गया. मंगलवार को अस्तचलगामी भगवान भास्कर को अर्घ देने के बाद बुधवार की अहले सुबह उदयगामी भगवान भास्कर को अर्घ देने के बाद व्रतियों ने पारण कर व्रत की समाप्ति की. मौलाबाग स्थित ऐतिहासिक सूर्य मंदिर व सूर्य मंदिर तालाब, सोनतटीय काली घाट स्थित सूर्य मंदिर व सोननदी और दाउदनगर सोनपुल घाट के अलावा विभिन्न तालाबों में व्रतियों ने अर्घ दिया. इस दौरान छठ गीतों से पूरा वातावरण गूंजता रहा.
पिछले कई वर्षों के बाद इस बार चैती छठ मेले के समय इतनी अधिक लू व गरमी पड़ रही थी कि आकाश से लेकर जमीन तक सभी गर्म हो गये थे़ लेकिन, इस तपती धरती के ऊपर आस्था भारी पड़ी़ सूर्य नगरी देव में पांच लाख से अधिक छठव्रती पहुंचे व भगवान सूर्यदेव का अर्घदान किये. वैसे लोग इस बार संभावना व्यक्त कर रहे थे कि गरमी काफी अधिक पड़ने के कारण कम छठव्रति पहुंचेंगे. लेकिन, व्रतियों की भीड़ ने लोगों की संभावनाओं को झुठला दिया. जानकार मानते हैं कि इस बार जितनी अधिक भीड़ थी, उससे आठ-10 साल का रिकार्ड टूट गया है़

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