– सुजीत कुमार सिंह –
औरंगाबाद : वर्ष, 2013 अब बस दो दिनों का मेहमान है. 362 दिनों में औरंगाबाद जिला कई घटनाओं का गवाह बना. नक्सली घटनाओं से लेकर लूट की कई वारदातें इस वर्ष हुई. नवीनगर, कुटुंबा, बारूण, मदनपुर, रफीगंज, गोह व ओबरा के अलावा औरंगाबाद शहर लुटेरों के निशाने पर रहा.
वर्ष, 2013 में लूट की शुरुआत औरंगाबाद शहर से हुई. 16 जनवरी को समाहरणालय के पास सरकारी विद्यालय के एक शिक्षिका रेणु देवी पर खुजली का पाउडर डाल कर लुटेरों ने 81 हजार रुपये लूट लिये. इसी माह के 29 जनवरी को अनुग्रह मेमोरियल कॉलेज के पास केनरा बैंक जा रही महिला मंजू देवी से एक लाख रुपये लूट लिये गये. वैसे शहर में लूट की कई घटनाएं हुई.
पूरे वर्ष लुटेरों की निगाह एसबीआइ व पीएनबी से निकलने वाले व जाने वाले ग्राहकों पर लगी रही. महिला एएनएम समुंद्री देवी जब एसबीआइ से पैसे निकाल कर घर जा रही थी तो रमेश चौक पर लुटेरों ने उनको अपना शिकार बना लिया. उधर, नवीनगर में 11 फरवरी को चौकीदार-दफादार को पीट-पीट कर चार लाख रुपये के जेवरात लूट लिये गये. 22 फरवरी को चंद्रगढ़ ठाकुरबाड़ी से तीन करोड़ रुपये कीमत की दुर्लभ मूर्तियां भी चोरी कर ली.
सबसे बड़ी लूट 43 लाख की
वर्ष, 2013 में लूट की कई घटनाएं हुई, लेकिन देव मोड़ के देव पथ में खेसर गांव के पास जो लूट की घटना हुई वह अब तक की सबसे बड़ी घटना साबित हुई. 28 अक्तूबर को देव प्रखंड के विभिन्न बैंकों के लिए जा रहे 43 लाख रुपये लूट लिये गये. इस घटना में कैश वैन पर अंधाधुंध फायरिंग की गयी.
सिक्यूरिटी गार्ड नागेंद्र सिंह व अखिलेश सिंह को गोली मार दी गयी. हालांकि, दोनों की जान बच गयी. लेकिन, इस घटना के बाद पुलिस महकमे में खलबली मच गयी. पुलिस ने इस के बाद कुछ दिनों के बाद आठ लुटेरों को पकड़ लिया, जिससे कुछ रुपये पर बरामद हुए.