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राज कुमार ने पेश की मिसाल बिना दहेज के रचायी शादी

औरंगाबाद (सदर) : वैसे तो समाज में कई कुरीतियां व चुनौतियां हैं. इनमें से एक चुनौती दहेज प्रथा है, जिसका कोई भी तोड़ नहीं दिख रहा है. दहेज लेने-देने पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगाना अब तक मुनासिब नहीं हो सका है. ऐसे में कोई इस परंपरा को तोड़ता है, तो वह समाज के लिए […]

औरंगाबाद (सदर) : वैसे तो समाज में कई कुरीतियां व चुनौतियां हैं. इनमें से एक चुनौती दहेज प्रथा है, जिसका कोई भी तोड़ नहीं दिख रहा है. दहेज लेने-देने पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगाना अब तक मुनासिब नहीं हो सका है. ऐसे में कोई इस परंपरा को तोड़ता है, तो वह समाज के लिए मिशाल बन जाता है. ऐसा ही किया है ग्राम कोईरीडीह, नबीनगर के राम शंकर प्रसाद एवं विंदा देवी के पुत्र राज कुमार रंजन ने. खड़गपुर रेलवे डिवीजन में सहायक लोको पायलट के पद पर कार्यरत आर.के. रंजन ने बिना दहेज के ही शादी रचा कर समाज को आईना दिखाया है.

गत 11 फरवरी को राज कुमार रंजन ने ग्राम गौरा, अम्बा निवासी रामजन्म प्रसाद जो जपला सिंचाई विभाग में कार्यरत है की पुत्री रिशु कुमारी से बिना दहेज के विवाह किया. इस शादी समारोह में लड़का पक्ष की ओर से गांव के ही डाॅ सुनील कुमार मौर्या, हजरत अंसारी, सुभाष चौधरी, रवींद्र कुमार मेहता, प्रभात कुमार, बलवीर कुमार मेहता, रंजय मेहता मेमोरियल फाउडेशन कोइरीडीह, नबीनगर के सदस्य गवाह बने. लड़की पक्ष से रिशु के मामा विजय मेहता, मामी बिंदा देवी (वार्ड पार्षद), फौदारी महतो व मां यशोदा देवी शादी का गवाह बने. दोनों पक्षों ने बताया कि लड़की के मामा विजय मेहता के दामाद रवींद्र मेहता दूल्हा-दुल्हन के अगुवा बने थे.

दोनों ने सबसे पहले औरंगाबाद अवर निबंधन पदाधिकारी के समक्ष शादी का निबंधन कराया, उसके बाद अंबा स्थित सतबहिनी मंदिर में शादी रचायी. राज कुमार रंजन ने शादी के बाद प्रभात खबर को बताया कि दहेज प्रथा जैसी विकृति को समाज से समाप्त करने के उद्देश्य से उन्होंने यह कदम उठाया.

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