नि:शक्तों को किया गया जागरूक, कहा
औरंगाबाद (कोर्ट) : विश्व विकलांगता दिवस के अवसर पर बिहार राज्य विधिक सेवा प्राधिकार द्वारा विधिक जागरूकता शिविर लगायी गयी. शनिवार को आयोजित इस शिविर में नि:शक्तों को उनके अधिकारों, लाभ व अधिनियमों की जानकारी दी गयी. शिविर में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल मुंसिफ न्यायकर्ता दशरथ मिश्र ने कहा कि विकलांगता कोई अभिशाप नहीं है.
विकलांगता दो तरह से हो सकती है. पहला मानसिक व दूसरा शारीरिक. भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत सभी लोगों को एक समान अधिकार दिये जाने का प्रावधान है. वर्ष 1987 में मेंटल हेल्थ एक्ट बना, जिसके भाग छह में मानसिक रूप से नि:शक्तों को आवास से लेकर सभी तरह की सुविधाएं दिये जाने की चर्चा की गयी है. मुंसिफ न्यायकर्ता ने कहा कि वर्ष 1995 में नि:शक्तों के लिए एक अलग तरह का एक्ट बनाया गया.
इसके तहत मानसिक रूप से अस्वस्थ व्यक्ति को आवागमन, चिकित्सकीय व्यवस्था आदि की सुविधाएं मुफ्त में दिये जाने का प्रावधान रखा गया है. उन्होंने कहा कि नि:शक्तों को इन सभी तरह की सुविधाओं के लिए पहले उन्हें प्रमाणपत्र बनवा लेना चाहिए.
मेडिकल बोर्ड के गठन के बाद उनकी विकलांगता की प्रतिशतता तय करते हुए प्रमाणपत्र बनाया जाता है. इसके आधार पर वे सभी तरह की सुविधाओं का लाभ ले सकते हैं. इसके अलावा यदि नि:शक्तों को कोई अन्य दिक्कतें होती हैं, तो विधिक सेवा प्राधिकार द्वारा मुफ्त में वकील भी उपलब्ध कराये जाने की व्यवस्था है.
मेधावी छात्रों को भी सहायता दी जाती है. यह सभी कानून भारत सरकार द्वारा बनाया गया है. अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ने भी जानकारी देते हुए कहा कि आर्थिक रूप से कमजोर नि:शक्तों को यदि उनके परिजन भरण-पोषण नहीं करते हैं, तो वे इसकी शिकायत आवेदन के माध्यम से डीएम से करें. फिर भी यह शिकायत दूर नहीं होती है, तो वे विधिक सेवा प्राधिकार के लोक अदालत में इसकी शिकायत करें.
इसके बाद खर्च वहन नहीं करने वाले परिजनों को नोटिस भेजा जायेगा और नहीं माने जाने पर उन पर कानूनी कार्रवाई भी हो सकती है. इसके अलावा भी कई अन्य तरह की जानकारी नि:शक्तों को दी गयी. इस मौके पर रेडक्रॉस के सचिव मनीष पाठक, भारतीय विकलांगता संघ के अध्यक्ष गुप्ता पासवान सहित अन्य लोग उपस्थित थे.