23.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

किसानों से राज्य सरकार धान खरीदना नहीं चाहती : सांसद

किसानों से राज्य सरकार धान खरीदना नहीं चाहती : सांसद कहा, सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य पर धान खरीद के नाम पर किसानों को ठग रही आंकड़ों में बताया, लक्ष्य के अनुरूप 151 मीटरिक टन धान खरीद के लिए चाहिए दो अरब 12 करोड 91 लाख रुपये, पर आवंटना हुआ है मात्र 31 करोड़ फोटो नंबर-5, […]

किसानों से राज्य सरकार धान खरीदना नहीं चाहती : सांसद कहा, सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य पर धान खरीद के नाम पर किसानों को ठग रही आंकड़ों में बताया, लक्ष्य के अनुरूप 151 मीटरिक टन धान खरीद के लिए चाहिए दो अरब 12 करोड 91 लाख रुपये, पर आवंटना हुआ है मात्र 31 करोड़ फोटो नंबर-5, परिचय- सांसद सुशील कुमार सिंहऔरंगाबाद कार्यालय.राज्य सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य पर धान खरीदना नहीं चाहती है. किसानों को ठगा जा रहा है . औरंगाबाद जिले में 151 मीटरिक टन धान की खरीदी की जानी है. जैसा कि समाचार पत्रों में यहां के अधिकारियों का बयान छपा है और यह भी बात सामने आयी है कि इसके लिए 31 करोड़ रुपये भी मुहैया करा दिये गये हैं. इतना कम पैसे से 151 मीटरिक टन धान की खरीदी कैसे की जा सकती है. यह सवाल औरंगाबाद के सांसद सुशील कुमार सिंह ने उठाया है. अपने आवास पर प्रेसवार्ता में बोलते हुए सांसद ने कहा कि सरकार ने किसानों से धान की खरीदी के लिए जो न्यूनतम मूल्य रखी है, उससे अगर 151 मीटरिक टन धान की खरीदी की जाती है तो इसका मूल्यांकन मूल्य दो अरब 12 करोड 91 लाख रुपये होता है और पैसा मिला है मात्र 31 करोड़. दूसरा यह कि किसानों के खलिहान में धान तैयार है. धान खरीदी करने का सही समय भी यही है. लेकिन अभी तक आठ हजार मीटरिक टन धान खरीद की गयी है. यानी कि लक्ष्य के विरुद्ध छह प्रतिशत ही धान की खरीद हुई है और जनवरी समाप्ति की ओर बढ़ रही है. सरकार से जो रुपये धान खरीद के लिए मिले हैं उस पैसे से अगर काफी तत्परता दिखायी गयी तो अधिक से अधिक दो बार यह पूंजी रोट्रेक्ट हो सकते हैं, जो खरीद का लक्ष्य 28 प्रतिशत तक पहुंच सकता है. क्योंकि 31 मार्च तक ही सरकार धान खरीदती है. ऐसे में शत प्रतिशत धान की खरीदी कैसे की जा सकती है. सांसद ने कहा कि 151 मीटरिक टन धान की खरीद में 115 मीटरिक टन पैक्स को खरीदना है और 35 मीटरिक टन एसएफसी को खरीदना है. दोनों को मिला कर 150 मीटरिक टन होता है, बाकी बचा एक मीटरिक टन धान और कौन खरीदेगा यह स्पष्ट नहीं है. उन्होंने पिछले वर्ष का उल्लेख करते हुए कहा कि किसानों का गत वर्ष का एक अरब रुपया बाकी है. किसान उसके लिए परेशान हैं और अब किसानों का धान खलिहान में पड़ा हुआ है सरकार उसे खरीद नहीं रही है. इससे स्पष्ट होता है कि बिहार की सरकार अकाल पीड़ित किसानों को हित नहीं चाहती, बल्कि इन्हें ठगने का प्रयास कर रही है. सरकार के पदाधिकारी किसानों को बरगला रहे हैं. किसानों के साथ हो रहा अन्याय को सहन नहीं करूंगा. सांसद ने चेतावनी भरे लहजों में कहा है कि किसानों के साथ होने वाले अन्याय के विरुद्ध एक बड़ा आंदोलन किया जायेगा और सरकार को जवाब देना होगा,अन्यथा खामियाजा भुगतनी पड़ेगी.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें