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हसपुरा प्लस टू स्कूल में शक्षिक सात, स्टूडेंट्स नहीं

हसपुरा प्लस टू स्कूल में शिक्षक सात, स्टूडेंट्स नहीं हसपुरा (औरंगाबाद).हसपुरा प्लस टू विद्यालय में कार्यरत सात शिक्षक बैठक कर मानदेय उठा रहे हैं. प्लस टू में एक भी छात्र-छात्राओं का नामांकन नहीं है. शिक्षाविद बताते हैं कि जिले में हसपुरा हाइस्कूल का शिक्षण व्यवस्था के मामले में एक स्थान था. आज सब कुछ मिटता […]

हसपुरा प्लस टू स्कूल में शिक्षक सात, स्टूडेंट्स नहीं हसपुरा (औरंगाबाद).हसपुरा प्लस टू विद्यालय में कार्यरत सात शिक्षक बैठक कर मानदेय उठा रहे हैं. प्लस टू में एक भी छात्र-छात्राओं का नामांकन नहीं है. शिक्षाविद बताते हैं कि जिले में हसपुरा हाइस्कूल का शिक्षण व्यवस्था के मामले में एक स्थान था. आज सब कुछ मिटता जा रहा है. प्लस टू का दर्जा मिलने के बाद एक भी नामांकन नहीं हुआ. एक भी कमरे में सही सलामत खिड़की दरवाजे नहीं हैं. इंटर में पढ़ने के लिए छात्र-छात्राओं को वित्त रहित कॉलेज में नामांकन कराना पड़ता है, जहां सरकारी लाभ से छात्र-छात्राओं को वंचित होना पड़ता है. प्रभारी प्रधानाध्यापक केदारनाथ मिश्र बताते हैं कि प्लस टू का दर्जा काफी विलंब से मिला. इससे बच्चों का नामांकन नहीं हुआ है. विद्यालय प्रबंध समिति के पूर्व सदस्य विजय कुमार अकेला ने बताया कि प्लस टू का दर्जा मिलने के बाद छात्र-छात्राओं का नामांकन नहीं होना दुर्भाग्यपूर्ण है. इसका पूर्ण रूप से जिम्मेवार विद्यालय के प्रभारी प्रधानाध्यापक हैं. सेवानिवृत बैंक मैनेजर शिवदत बिगहा निवासी रामजीत सिंह ने कहा कि प्लस टू विद्यालय हसपुरा में नामांकन के लिए जनप्रतिनिधियों सहित हाइस्कूल में पढ़ रहे बच्चों के अभिभावक को प्रधानाध्यापक व प्लस टू विद्यालय के शिक्षकों के साथ बैठक कर नामांकन के लिए पहल करनी चाहिए. मदन यादव ने बताया है कि सरकारी उदासीनता से प्लस टू विद्यालय हसपुरा का दर्जा मिलने के बाद छात्र-छात्राओं का नामांकन नहीं हुआ. मुख्य रूप से प्रभारी प्रधानाध्यापक दोषी हैं. शिक्षा विभाग को चाहिए की उनके वेतन बंद करे.

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