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तरसते रहे दवा के लिए पिकअप दुर्घटना में घायल मजदूर

तरसते रहे दवा के लिए पिकअप दुर्घटना में घायल मजदूरस्ट्रेचरमैन बना ड्रेसर! सदर अस्पताल में एक साथ 18 जख्मी आने पर व्यवस्था की खुली पोल फोटो नंबर-18,19, परिचय-जख्मी का इलाज करता स्ट्रेचरमैन ,दवा के इंतजार में बैठे जख्मी मजदूर औरंगाबाद(ग्रामीण)जिस अस्पताल को मॉडल अस्पताल का दर्जा दिये जाने की वकालत की गयी हो. जो अस्पताल […]

तरसते रहे दवा के लिए पिकअप दुर्घटना में घायल मजदूरस्ट्रेचरमैन बना ड्रेसर! सदर अस्पताल में एक साथ 18 जख्मी आने पर व्यवस्था की खुली पोल फोटो नंबर-18,19, परिचय-जख्मी का इलाज करता स्ट्रेचरमैन ,दवा के इंतजार में बैठे जख्मी मजदूर औरंगाबाद(ग्रामीण)जिस अस्पताल को मॉडल अस्पताल का दर्जा दिये जाने की वकालत की गयी हो. जो अस्पताल साफ-सफाई की व्यवस्था में अव्वल दर्जा पा चुका है. उस अस्पताल में अगर दवा व इलाज के लिए मरीज इंतजार करते हों और स्ट्रेचरमैन व गार्ड अगर ड्रेसर का काम करते हैं तो अस्पताल की व्यवस्था पर प्रश्नचिह्न खड़ा होना लाजिमी है. शनिवार की देर शाम जोगिया व जनकोप के बीच टायर फटने के बाद मजदूरों से भरी पिकअप पलट गयी. इस हादसे में नौ महिला मजदूर, चार मासूम सहित 18 मजदूर जख्मी हो गये. इन सभी को कुछ लोगों के सहयोग से इलाज के लिए सदर अस्पताल लाया गया. उस समय ड्यूटी पर डाॅ एसएम कपूर थे. इतने जख्मियों को एक साथ अस्पताल पहुंचते ही पहले तो डॉक्टर के होश उड़ गये और फिर अस्पताल की व्यवस्था की पोल खुल गयी. मीडियाकर्मी आठ बज कर 39 मिनट पर ओटी में देखा कि एक तरफ चिकित्सक इलाज कर रहे थे तो दूसरे तरफ स्ट्रेचर मैन अन्य जख्मियों का इलाज ड्रेसर के रूप में कर रहा था. हालांकि, ड्रेसर भी उस वक्त मौजूद था, लेकिन एक साथ इतने लोगों का इलाज कर पाना संभव नहीं दिख रहा था. चिकित्सक व चिकित्साकर्मियों की कमी यहां खल रही थी. सभी जख्मियों का इलाज भी हुआ और उन्हें दर्द की सूई भी दी गयी, लेकिन दवा की कमी स्पष्ट रूप से दिखी. जख्मी बैठ कर दवा का इंतजार करते रहे. लेकिन उन्हें कौन समझायेगा कि इस अस्पताल में काफी दिनों से दवाइयां ही नहीं है. जो उपलब्ध है उससे बेहतर इलाज नहीं हो सकता. आखिरकार कुछ लोग वहां पहुंचे और उन्हें बताया कि बाहर से कम पैसे में दवा मिल जायेगा. बेचारे जख्मी लोग आखिरकार रात में ही चले गये. इधर, दवा की कमी होने के संबंध में अस्पताल मैनेजर हेमंत राजन से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि दवा की कमी है,लेकिन जल्द ही अस्पताल को दवा उपलब्ध हो जायेगा. मैनेजर की बात से दवा का अभाव समाप्त होने का असार तो जगा,लेकिन आखिर अभाव समाप्त होगा कब. इधर, कई दिनों से सिविल सर्जन व अस्पताल उपाधीक्षक भी जल्द दवा उपलब्ध होने का दावा कर रहे हैं. अब देखना यह है कि दवा के अभाव में कब तक मरीजों के जान से खेला जाता रहेगा.

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