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प्लास्टिक कचरे से शहर की सुंदरता प्रभावित

प्लास्टिक कचरे से शहर की सुंदरता प्रभावित बेधड़क इस्तेमाल में लाये जा रहे प्लास्टिकसड़कों व नालियों में प्लास्टिक कचरा नगर पर्षद के लिए भी बना सिरदर्द (फोटो नंबर-11) कैप्शन- नगर परिषद क्षेत्र के नाले में फेंके गये प्लास्टिक कचरे औरंगाबाद (सदर)विज्ञान की इस युग में मनुष्य को जहां वरदान मिले हैं वहीं कुछ अभिशाप भी […]

प्लास्टिक कचरे से शहर की सुंदरता प्रभावित बेधड़क इस्तेमाल में लाये जा रहे प्लास्टिकसड़कों व नालियों में प्लास्टिक कचरा नगर पर्षद के लिए भी बना सिरदर्द (फोटो नंबर-11) कैप्शन- नगर परिषद क्षेत्र के नाले में फेंके गये प्लास्टिक कचरे औरंगाबाद (सदर)विज्ञान की इस युग में मनुष्य को जहां वरदान मिले हैं वहीं कुछ अभिशाप भी मिले हैं. इस अभिशाप में प्रदूषण भी एक बड़ी समस्या के रूप में विज्ञान के गोद से बाहर आयी है. आज इसे सहने पर सभी बेवस हैं. प्राकृतिक के संतुलन में दोष पैदा होने से प्रदूषण का जन्म होता है. इन दिनों प्राकृतिक के संतुलन बिगाड़ने में प्लास्टिक अहम भूमिका निभा रही है. वैसे तो प्लास्टिक के प्रयोग से ऐसा नहीं लगता कि उनसे हमें कोई खतरा भी है, लेकिन इनमें प्रयुक्त रसायन से स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ रहा है. शहर के दुकानों में बेखौफ बिकते प्लास्टिक पर पहले प्रतिबंध भी लगा था, पर इसकी ब्रिकी फिर से तेज हो गयी है. प्लास्टिक के उपयोग के बाद इसका कचरा शहर के सुंदरता को प्रभावित कर रहा है. प्लास्टिक के इतने ढेर सारे सामान रोजमर्रा के कार्यों में इस्तेमाल किये जा रहे हैं कि उससे निकले वाला कचरों का भी एक बड़ा ढेर खड़ा हो जा रहा है. ये न सिर्फ लोगों के लिए परेशानी बन रही है,बल्कि ये नगर पर्षद के लिए भी सिरदर्द बना हुआ है. शहर में फैल रहा प्लास्टिक प्रदूषण : प्लास्टिक से बनी वस्तुओं का जल और जमीन में जमा होने से नगर क्षेत्र प्रदूषित हो रहा है. ये लोगों को बीमार बनाने के लिए काफी कारगर साबित हो रहे हैं. शहर के नालियों व सड़कों पर इस्तेमाल कर फेंके गये प्लास्टिक के कचरे देख कर ये अंदाजा लगाया जा सकता है कि शहर किस प्रकार से प्लास्टिक कचरों से प्रभावित हो रहा है. रोजमर्रा के उपयोग में सस्ता व टिकाऊ प्लास्टिक के बैग भले ही सहजता से इस्तेमाल किये जा रहे हैं पर इसका परिणाम बेहद बुरा दिख रहा है. प्लास्टिक कचरों का जमाव सड़कों व नालियों पर होने से शहर का वातावरण दिन-प्रतिदिन बिगड़ते चला जा रहा है. प्लास्टिक के उपयोग व बिक्री के लिए भी एक मापदंड बना हुआ है, इसका कोई अनुपालन नहीं हो पा रहा है. खतरों से भरा है प्लास्टिक का उपयोग : प्लास्टिक के दुष्परिणाम से सभी अवगत नहीं हैं. डाॅ संतोष कुमार बताते हैं कि प्लास्टिक का कुप्रभाव कुछ ऐसा है कि जो मनुष्य के नाजुक आंतरिक अंग को प्रभावित कर सकता है. इससे शारीरिक विकास में कमी आ सकती है. इसके वजह से मोटापा, मधुमेह, आटिज्म व ध्यान केंद्रन में कमी जैसे समस्याएं हो सकती है. चिकित्सा विज्ञान में रसायनों के फायदे व नुकसान दोनों से अवगत कराया गया है. ये बताते हैं कि प्लास्टिक निर्माण के इस्तेमाल में होनेवाले रसायनिक तत्वों की एक अतिसूक्ष्म मात्रा भी मनुष्य के स्वास्थ्य के लिए खतरा बन सकता है. पहले एक्शन फिर हुए बैक : प्लास्टिक कचरे से फैलते प्रदूषण व स्वास्थ्य पर हो रहे दुष्परिणाम को देखते हुए एक बार जिला प्रशासन ने क्विक एक्शन लिया था. इसके बाद इसकी बिक्री पर कुछ दिनों तक प्रतिबंध भी लगा था, लेकिन फिर अचानक से प्रशासन बैक हो गयी. शहर के समाजसेवी जो अपने स्तर से प्लास्टिक उपयोग के रोकथाम में लगे हैं. कहते हैं कि प्लास्टिक के खतरों से आम लोगों को अगाह करने की जरूरत है. इसके लिए जन जागरण अभियान को बड़े पैमाने पर किया जाना जरूरी है. साथ ही सरकारी व गैर सरकारी संगठनों को इस मुहिम पर लगना होगा. तभी इसकी रोकथाम संभव है.

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