औरंगाबाद (ग्रामीण) : खुफिया विभाग, यानि किसी भी जानकारी को सरकार तक पहुंचाने का जरिया. इस विभाग के ऊपर काफी दायित्व सौंपा गया है. यहां तक कि लोगों की जान-माल की सुरक्षा की जिम्मेवारी भी कहीं न कहीं इन्हीं पर है.
लेकिन, औरंगाबाद में हुई कई बड़ी घटनाओं ने यह साबित कर दिया है कि जिले में खुफिया विभाग नाम की कोई चीज नहीं है. 21 नवंबर, 2010 को आम चुनाव के दौरान देव प्रखंड के पचौखर में नक्सलियों द्वारा रखे गए सिलिंडर बम विस्फोट में आठ मासूमों की जान चली गयी थी. इस घटना के बाद खुफिया विभाग की काफी किरकिरी हुई थी.
लोगों ने कहा था कि आखिर चुनाव के दौरान इतनी बड़ी घटना को होने की जानकारी पूर्व में ही क्यों नहीं लगायी जा सकी. 17 जुलाई, 2013 को गोह के एमबीएल कैंप में नक्सलियों ने हमला कर तीन सैप जवान सहित छह की हत्या कर दी थी और 30 आधुनिक हथियार व भारी मात्र में कारतूस लूट लिये.
17 अक्तूबर, 2013 को ही ओबरा प्रखंड अंतर्गत खुदवां थाना क्षेत्र में पथरा पिसाय गांव के बीच लैंड माइंस विस्फोट में जिला पार्षद पति सहित सात लोगों की हत्या कर दी गयी. तीन दिसंबर को नवीनगर थाना क्षेत्र में लैंड माइंस विस्फोट की घटना में आठ पुलिसकर्मियों की हत्या कर दी गयी. लेकिन, इन घटनाओं की जानकारी होना, तो दूर इसकी भनक तक खुफिया विभाग को नहीं लगी.