शहर में रहकर लोग जी रहे गांव की जिंदगीनगर पर्षद के वार्ड 32 की नहीं बदली सूरत, कई समस्याओं से घिरा है वार्ड(फोटो नंबर- 11,12 बाकी नाम से)कैप्शन- कच्ची सड़क जो बदहाल स्थिति में, टूटी नाली व आस-पास में कचरे का अंबार औरंगाबाद (सदर) नगर पर्षद के वार्ड 32 में बदहाली का दास्ता आज भी है. यहां के कुछ इलाकों में समस्याओं का मकड़जाल है. वार्ड के रमडीहा स्थित महादलित टोले व रजवारी बिगहा में विकास की किरण अब तक नहीं पहुंच सकी है. महादलित टोले में रह रहे लोग आज भी गंदगी की समस्या व सड़क के अभाव से त्रस्त हैं. बरसात के दिनों में इनकी स्थिति नरक से भी बदतर हो जाती है. बात करें रजवारी बिगहा की तो यह गांव लगभग दो किलोमीटर में फैला है. यहां प्रवेश करते ही देखा जा सकता है कि इसके मुख्य सड़क बहुत ही जर्जर स्थिति में है. रजवारी बिगहा के मोड़ पर एक सरकारी चापाकल दिखता है और गांव में बिजली के पोल पर तीन से चार स्ट्रीट लाइट लगे हैं. इसके अलावे इस गांव में कहीं भी एक छोटा काम हुआ नहीं दिखता है. पहले की बनी सड़क बिलकुल टूट चुकी है. बाकी के अधूरे भाग में सड़क का नामोनिशान नहीं है. जगह-जगह जल जमाव व नाली की समस्या है. यहां के लोग बताते हैं कि वार्ड पार्षद द्वारा वार्ड के विकास पर ध्यान नहीं दिया गया. तभी तो वार्ड के अन्य क्षेत्रों में विकास काम हुए है और इस मुहल्ले को उपेक्षित छोड़ दिया गया. दलित टोले के लोग भी इसी शिकायत पर अड़े हैं कि वार्ड पार्षद ध्यान नहीं देते. पेयजल के लिए चापाकल की आवश्यकता है तो कहीं सड़क व नाली का अभाव. कहीं लोगों को रोशनी की चिंता सता रही है तो कहीं सरकारी शौचालय की कमी. रजवारी बिगहा के प्रभु कुमार, बलराम कुमार, बिगन यादव, रामध्यान यादव कहते हैं कि पिछले 10 वर्षों में वार्ड में कुछ भी कार्य नहीं हुए. सड़क कच्ची है, नाली का अभाव है. वार्ड में जगह-जगह लाइट की आवश्यकता है जो नहीं लगे है. चापाकल भी चाहिए, लेकिन नहीं है. सफाई को लेकर नगर पर्षद को भी आवेदन दिया गया, लेकिन 10 दिन बीत जाने के बाद भी उस पर कोई पहल नहीं की गयी. खुद से वार्ड की सफाई करनी पड़ती है. ऐसे में नगर पर्षद क्षेत्र में रहकर क्या फायदा जब लोगों को बुनियादी सुविधा से ही दूर रखा गया हो. टाउन स्कूल के पीछे रह रहे उदय यादव ने बताया कि यहां समस्या काफी है लेकिन सूचना के बाद भी वार्ड पार्षद नहीं आते. ————————————सब कुछ अधूरा है वार्ड में दलित टोले पर नहीं देते हैं ध्यान. वार्ड के लोगों ने दुबारा इन्हें चुन कर वार्ड पार्षद बनाया, लेकिन लोगों की समस्या से इन्हें कोई मतलब नहीं. सब कुछ अधूरा है इस वार्ड में.कुलदीप चौधरी, रमडीहावार्ड में नाली, सड़क व पेयजल पर कोई काम नहीं किया गया है. 10 वर्ष से इंतजार कर रहे हैं कि कब विकास होगा. वार्ड पार्षद से बहुत उम्मीद है कि लोगों को सरकारी योजना का लाभ दिलायेंगे, पर हम सभी निराश हो रहे हैं.रजमतिया देवीवार्ड के दलित लोगों को सरकारी शौचालय का भी लाभ मिलना चाहिए. यहां की मूल समस्या सड़क व नाली है. सफाई की भी बहुत कमी रहती है. वार्ड पार्षद से कह-कह कर थक गये हैं. अनिल पासवानदूसरे वार्ड को देख लगता है कि काश हम वहीं रहते. यहां पार्षद का ध्यान नहीं है. हमलोग सिर्फ शहर में नाम के हैं, जिंदगी गांवों की तरह कट रही है. वार्ड पार्षद द्वारा आज तक किसी पर ध्यान नहीं दिया गया.अनीता देवी—————————–वार्ड के बहुत से क्षेत्रों में काम हुआ है. कुछ इलाके बाकी रह गये हैं, जहां विकास जरूरी है. वार्ड में नये-नये मकान बनने से नये इलाके विकासीत हो रहे हैं. अचानक से विकास इन तक नहीं पहुंच सका. योजना में सारे इलाके की समस्या को शामिल किया गया है. धीरे-धीरे हर इलाके में विकास होगा. वार्ड में पिछले तीन वर्षों में 10 लाख रुपये से पीसीसी सड़क व नाली बनाया गया. 14 एलइडी व 13 सोलर लाइट लगी है. इसका लोगों को लाभ मिल रहा है. वार्ड में चापाकल की आवश्यकता है. वैसे एक चापाकल लगाया गया है. वार्ड के महादलित टोले में जल्द विकास होगा. वार्ड पार्षद सुनील कुमार सिंह, वार्ड – 32
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