इस मर्ज की दवा नहीं, नेताओं से कम घोषणा नहीं करते हैं पदाधिकारी !सड़क जाम से कराह रहा औरंगाबाद शहर के आम लोगों की परेशानी नहीं हो रही दूर, अतिक्रमणकारियों का हौसला बुलंद पुरानी जीटी रोड पर आम लोगों को पैदल चलना भी मुश्किल(फोटो नंबर-14,15,16,17)कैप्शन- सड़क पर खड़ा वाहन, बाइक पर बैठा ट्रैफिक पुलिस, शहर में लगा जाम, सड़क के बीच मे ंखड़ी वाहन औरंगाबाद (ग्रामीण) औरंगाबाद शहर में आये दिन लगने वाले जाम से औरंगाबाद वासी हलकान हैं. अब तो लोगों ने यह कहना शुरू कर दिया है कि इस मर्ज की कोई दवा ही नहीं है. शहर के लोगों को जितनी भी परेशानी झेलना पड़े अब तैयारी कर चुके हैं. क्योंकि प्रशासन उनके समस्याओं को समझने को कतई तैयार नहीं है. सच कहा जाये तो औरंगाबाद शहर जाम से कराह रहा है. पुरानी जीटी रोड पर आम लोगों को पैदल चलना भी मुश्किलों से भरा साबित हो रहा है. जाम से निजात दिलाने के लिए जिला प्रशासन द्वारा की गयी हर कोशिश नकाम हो गयी है. लोगों का मनना है कि नेताओं से कम प्रशासनिक पदाधिकारी घोषणा नहीं करते हैं. सड़क जाम से निजात दिलाने के लिए अतिक्रमण हटाओ अभियान चलाया गया, लेकिन इसका नतीजा कुछ भी नहीं निकला. सच कहा जाये तो अतिक्रमण हटाओ अभियान औरंगाबाद में टांय-टांय फिस हो गया. पुरानी जीटी रोड से गुजरने में भी अब लोग डरने लगे हैं. शाहगंज मोड़ से लेकर सराय मोड़ तक लोगों को जाम का सामना करना पड़ता है. खासकर शाम के वक्त जाम का नजारा कुछ और होता है. सड़क पर ही लगता है ठेला और खोमचा : पुरानी जीटी रोड पर आये दिन लगने वाले जाम में अतिक्रमणकारियों का बड़ा हाथ है. सड़क के दोनों लेन में ठेला व खोमचा वाले दुकान लगाकर अपने सामान की बिक्री करते हैं. कई बार इन अतिक्रमणकारियों पर प्रशासन का डंडा चला है, लेकिन उनके मनसूबे पर कोई असर नहीं पड़ा. सीना तान कर ये अपनी दुकान सजाये बैठते हैं, ऐसा लगता है कि उन्हें प्रशासन का कोई डर नहीं है. दूसरी बात यह है कि कई दुकान तो सड़क के बीच में लगते हैं. ऐसे में जाम होना कोई बड़ी बात नहीं. ऑटो चालक जाम के बड़े कारण : औरंगाबाद शहर में लगभग पांच सौ की संख्या में ऑटो का परिचालन होता है. ऑटो परिचालन के लिए पूर्व में प्रशासन द्वारा रूट का निर्धारण किया गया था. कई दिशा निर्देश भी ऑटो चालकों को दिये गये थे. स्टैंड का भी निर्धारण किया गया था, लेकिन प्रशासनिक दिशा निर्देश पर कोई अमल करने वाला कोई नजर नही आया. आज भी ऑटो का परिचालन ऑटो चालकों की मनमर्जी से होता है. कहीं भी सड़क पर आसानी से वाहन खड़ा कर यात्रियों को बैठाना, मनमर्जी कहीं से भी ऑटो को मोड़ लेना इनके आदतों में शुमार हो गया है. कभी-कभी तो सड़क के एक लेन में तीन-तीन ऑटो एक साथ रेस की भावना से चलते हुए नजर आते हैं. ऑटो चालक भी जाम का मुख्य कारण है. सड़क जाम करने में रइस भी पीछे नहीं है. बीच सड़क पर वाहन को खड़ा कर सामान खरीदने की आदत ने उन्हें रइस और रसुकदार बना दिया है. आम लोगों की परेशानियों से उन्हें कोई मतलब नहीं है. सुबह से लेकर शाम तक सड़क पर ऐसे लोगों की वाहनें कभी भी दिखते हैं.कार्रवाई सिर्फ घोषणाओं तक ही सिमटी : सड़क जाम से मुक्ति दिलाने के लिए जिला प्रशासन द्वारा एक सप्ताह पहले अतिक्रमण हटाओ अभियान चलाया गया था. सदर एसडीओ ने शहर वासियों को अश्वस्त किया था कि इस बार अतिक्रमणकारियों पर कार्रवाई होगी. तीन दिन तक चले इस अभियान में कुछ हद तक लोगों की पेरशानी दूर होते दिखी. लेकिन अभियान समाप्त होते ही स्थिति पुन: एक बार फिर वहीं हुआ जो हर बार होता है. जिला प्रशासन की कार्रवाई की घोषणा सिर्फ घोषणाओं तक ही सिमट कर रह गयी.
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इस मर्ज की दवा नहीं, नेताओं से कम घोषणा नहीं करते हैं पदाधिकारी !
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