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छठ गीतों से पूरा वातावरण भक्तिमय

छठ गीतों से पूरा वातावरण भक्तिमय औरंगाबाद कार्यालयसूर्योपासना का महापर्व छठ नहाय खाय के साथ रविवार को शुरू हो गया. पर्व को लेकर पूरे प्रखंड में भक्तिमय माहौल दिख रहा है. छठ गीतों से पूरा वातावरण गूंजमान है. महिला श्रद्धालुओं व व्रती छठ गीत गाकर- चारू पहर राती जल-थल सेवी ला, सेवी ला चरण तोहार […]

छठ गीतों से पूरा वातावरण भक्तिमय औरंगाबाद कार्यालयसूर्योपासना का महापर्व छठ नहाय खाय के साथ रविवार को शुरू हो गया. पर्व को लेकर पूरे प्रखंड में भक्तिमय माहौल दिख रहा है. छठ गीतों से पूरा वातावरण गूंजमान है. महिला श्रद्धालुओं व व्रती छठ गीत गाकर- चारू पहर राती जल-थल सेवी ला, सेवी ला चरण तोहार ऐ छठी मइया दर्शन दिहु न अपान आदि कई गीत से भगवान का आह्वान कर रही है. गीत के माध्यम से व्रती पहले तो छठी मईया को यह कहती है कि जो मन भावे वही फल हमें दे, पर जब अर्घ से जब मां प्रसन्न हो जाती है तो वे सब कुछ मांग लेना जरूरी समझती है. मांगने का ढंग भी गजब ही निराला है. पहले तो वे कहती है कि- नईर में मांगीला भाई रे भतीजवा ससुरा में अन-धन भंडार ये छठी मईया दर्शन दिहु न आपन. गीत के इस पद से वे अपने मायके में भाई व भतीजा के साथ ससुराल में अन-धन मांगती है. अगले पद में वे गाती है कि घोड़वा चढ़न केरा पांच पुत मांगीला, मांगीला सब दे पुतौह ये छठी मइया. इससे भी उनका मन नहीं भरता है तो कहती है कि रूनकी-झुनकी बेटी मांगीला, पढ़ल पंडितवा दमाद ये छठी मईया दर्शन दिहुं न आपन. घर के अंदर ही नहीं बल्कि बाहर के लिये भी वे छठी मइया से मांगना नहीं भुलती है और कहती है कि बाहर मांगीला गाय रे भईिसया,भीतर सघन भंडार. इसके बाद वे अपने लिए गना प्रारंभ करती है और वे कहती है कि -राजा दशरथ जईसन ससुर मांगी ला सास कौशल्या समान, ये छठी मईया दर्शन दिहीं न आपन. इसके अलावे वे कहती है कि राम अइसन पति मांगीला, देवर लक्ष्मन समान ये छठी मईया दर्शन दिंही न आपन. अंत में वे कहती है कि अपना ला मांगीला अवध सिन्धौरवा, जन्म जन्म अहिवात.

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