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डीपीओ के स्थान पर पीओ बनाये गये हैं मध्याह्न भोजन योजना प्रभारी

802 स्कूलों में एमडीएम बंद सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले दो से ढाई लाख बच्चे दोपहर में रह रहे भूखे तीन माह से नहीं उठा है मध्याह्न भोजन का चावल औरंगाबाद कार्यालयऔरंगाबाद में शिक्षा विभाग की स्थिति काफी दयनीय है. विभाग के पदाधिकारियों की लापरवाही कहा जाये या सरकार के आदेश की अनदेखी. 1964 विद्यालयों […]

802 स्कूलों में एमडीएम बंद सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले दो से ढाई लाख बच्चे दोपहर में रह रहे भूखे तीन माह से नहीं उठा है मध्याह्न भोजन का चावल औरंगाबाद कार्यालयऔरंगाबाद में शिक्षा विभाग की स्थिति काफी दयनीय है. विभाग के पदाधिकारियों की लापरवाही कहा जाये या सरकार के आदेश की अनदेखी. 1964 विद्यालयों में 802 में मध्याह्न भोजन बंद है. शिक्षा विभाग के मध्याह्न भोजन कार्यालय के वेबसाइट पर जो आंकड़े दर्शाये गये हैं उसके अनुसार सात नवंबर 2015 दिन शनिवार को चावल का उठाव नहीं होने के कारण 713 विद्यालयों में, पैसा नहीं रहने के कारण 77 विद्यालयों में और अन्य कारणों से 12 विद्यालयों सहित 802 विद्यालय में मध्याह्न भोजन नहीं बन रहे हैं. यह तो विभाग के कागजी आंकड़ा हैं. इनके अलावे अनेकों विद्यालय ऐसे हैं जहां मध्याह्न भोजन केवल कागज पर चलते हैं. मिली जानकारी के अनुसार इस जिले में आधे से भी अधिक विद्यालय में मध्याह्न भोजन नहीं बन रहे हैं. इससे न केवल इस योजना में अनियमितता का मामला दिखाई देता है, बल्कि सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले दो से ढाई लाख बच्चे दोपहर में भूखे रह रहे हैं. उन्हें मध्याह्न भोजन नहीं मिल पा रहा है.जिले में प्राथमिक व मध्य 1964 विद्यालय औरंगाबाद जिले में प्राथमिक व मध्य विद्यालयों की संख्या 1964 है, जिसमें स्कूल जानेवालों बच्चों की संख्या है पांच लाख 55 हजार 241 है. इसमें 800 से भी अधिक विद्यालयों में मध्याह्न भोजन बंद है. यानी कि दो लाख से ऊपर बच्चे मध्याह्न भोजन से वंचित हो गये हैं.डीपीओ की जगह पीओ प्रभारीशिक्षा विभाग में सब कुछ ठीक ठाक नहीं चल रहा है. इसका ही ज्वलंत उदाहरण है जिले के लगभग आधे विद्यालय में मध्याह्न भोजन योजना बंद होना. इस संबंध में ‘प्रभात खबर’ की टीम ने तहकीकात की तब खुलासा हुआ कि सरकार के निर्देश के विपरीत इस जिले में जिला कार्यक्रम पदाधिकारी (डीपीओ) की जगह कार्यक्रम पदाधिकारी (पीओ) को मध्याह्न भोजन योजना का प्रभारी बनाया गया है. प्रधान सचिव के आदेश की भी अनदेखी औरंगाबाद जिले में जिला कार्यक्रम पदाधिकारी के रहते कार्यक्रम पदाधिकारी को मध्याह्न भोजन का प्रभारी बनाये जाने से संबंधित जब जानकारी हासिल की गयी, तो इसमें वह पत्र भी सामने आया है जिसे सरकार के शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव ने तीन जुलाई को पत्रांक 948 सभी जिला पदाधिकारी को लिखा था. इसमें उन्होंने स्पष्ट निर्देश दिया है कि इसमें किसी सक्षम प्रतिबद्ध व संवेदनशील जिला कार्यक्रम पदाधिकारी डीपीओ को ही लगाया जाये. लेकिन इसका अनुपालन यहां नहीं हो सका. इस परिस्थिति में सरकार के मध्याह्न भोजन योजना निर्देशक ने चार नवंबर को एक पत्र औरंगाबाद के जिला शिक्षा पदाधिकारी को भेजी है. इसमें स्पष्ट रूप से लिखा है कि आपको आदेश दिया जाता है कि निदेशालय के पत्रांक 948 का अनुपालन करते हुए पत्र प्राप्ति के एक सप्ताह के अंदर प्रतिवेदन उपलब्ध कराना सुनिश्चित करें. चावल का उठाव नहीं होने से मध्याह्न भाेजन बंद डीपीओ की जगह पर पीओ को मध्याह्न भोजन का प्रभारी बनाया जाना और 800 विद्यालयों में मध्याह्न भोजन योजना बंद रहने के मामले में जिला शिक्षा पदाधिकारी विनोद कुमार सिन्हा ने स्वीकार किया कि चावल का उठाव नहीं होने के कारण मध्याह्न भोजन कई स्कूलों में बंद है. लेकिन इस पर अमल किया जा रहा है. लेकिन जिला कार्यक्रम पदाधिकारी के रहते कार्यक्रम पदाधिकारी को मध्याह्न भोजन को प्रभारी बनाये जाने के मामले में उन्होंने कुछ भी स्पष्ट रूप से नहीं कहा. पहले तो उन्होंने कहा कि मेरे आफिस में आयेंगे तो पूरा मामला समझा दूंगा. लेकिन जब उन्हें बताया गया कि आप दूरभाष पर ही बताये कि किस परिस्थिति में आपने पीओ को प्रभारी बनाया और सरकार के प्रधान सचिव के आदेश की अनदेखी की, तो उनका कहना था कि जिला कार्यक्रम पदाधिकारी सही काम नहीं कर रहे थे. इसलिए पीओ को प्रभारी बनाया गया. जब उनसे पुन: पूछा गया कि आपने पीओ को प्रभारी बनाने के लिए किसी वरीय पदाधिकारी से अनुमति ली थी क्या, तो उन्होंने इस पर कुछ भी कहने से परहेज किया. औरा चार नवंबर 2015 को मध्याह्न भोजन योजना निर्देशक द्वारा जारी पत्र नहीं मिलने की बात कही. लेकिन, ताज्जुब की बात है कि जारी पत्र अगर उन्हें नहीं मिला है तो अखबार तक कैसे पहुंचा. जिला शिक्षा पदाधिकारी द्वारा कोई स्पष्ट रूप से इस पर जवाब नहीं दिया जाना यह साबित करता है कि शिक्षा विभाग में वरीय पदाधिकारियों के आदेश की अनदेखी होती है और यहां के जिला शिक्षा पदाधिकारी द्वारा पीओ को मध्याह्न भोजन का प्रभारी बनाये जाने के कारण ही दो से ढाई लाख बच्चे मध्याह्न भोजन से वंचित हैं. तीन माह से नहीं हुआ है चावल का उठावमध्याह्न भोजन योजना का चावल का उठाव ही तीन माह से नहीं हुआ है, तो स्कूल में भोजन कैसे बनेंगे. यह सवाल इस योजना पर खड़ा हो गया है. जिला कार्यक्रम प्रबंधक (डीपीएम) शिव शक्ति कुमार ने स्वीकार किया है कि अगस्त से चावल का उठाव नहीं हुआ है. यानी कि अगस्त, सितंबर व अक्तूबर से जब चावल का उठाव नहीं हुआ है तो जिन स्कूलों में मध्याहन भोजन अगर बन भी रहा है तो कहां से बन रहा है. यानी कि सरकारी आंकड़े में जिन स्कूलों में मध्याह्न भोजन बनता हुआ दिखाया जा रहा है, वहां कहां से बन रहा है मध्याह्न भोजन. कहीं बिना चावल का तो मध्याह्न भोजन नहीं बन रहे हैं. अब तो यह कहना भी कोई गलत नहीं कि औरंगाबाद में तीन माह से शिक्षा विभाग के कागज पर ही मध्याह्न भोजन नहीं बन रहे हैं. डीइओ से पीओ तक बने प्रभारी औरंगाबाद के पूर्व जिला शिक्षा पदाधिकारी राम प्रवेश सिंह का स्थानांतरण के उपरांत उन्होंने दो जुलाई 2015 को सरकार द्वारा पदस्थापित जिला शिक्षा पदाधिकारी विनोद कुमार सिन्हा को मध्याह्न भोजन का प्रभार सौंपा था. उसी तिथि यानी कि दो जुलाई से पांच अगस्त तक डीइओ मध्याह्न भोजन के प्रभारी रहे. फिर पांच अगस्त से 30 नवंबर तक यदुवंश राम डीपीओ इसके प्रभारी रहे. अब 30 सितंबर से पीओ सुनील कुमार इसके प्रभारी हैं. फिर भी तीन माह से मध्याह्न भोजन का चावल का उठाव नहीं हो रहा है.तीन-तीन डीपीओ हैं यहां पदस्थापितऔरंगाबाद के शिक्षा विभाग कार्यालय में तीन-तीन डीपीओ पदस्थापित हैं. इनमें विनोद कुमार विमल सबसे वरीय जिला कार्यक्रम पदाधिकारी हैं. दूसरा है यदुवंश राम जिला कार्यक्रम पदाधिकारी व तीसरा मिथिलेश कुमार. तीन-तीन जिला कार्यक्रम पदाधिकारी के रहते कार्यक्रम पदाधिकारी को मध्याह्न भोजन का प्रभारी बनाया गया. यहां पर यह बात उभर कर सामने आया है कि जिला शिक्षा पदाधिकारी ने जैसा कहा है कि कार्यक्रम पदाधिकारी सही कार्य नहीं कर रहे थे तो क्या तीन वरीय जिला कार्यक्रम पदाधिकारी में कोई ऐसे नहीं थे जो मध्याह्न भोजन का प्रभारी बन कर इस योजना को चला सकें. यहां पर यह भी बात है कि जब पहले इन्हीं में इस योजना का प्रभारी थे, तो फिर नये जिला शिक्षा पदाधिकारी के लिए कौन सी ऐसी परिस्थिति खड़ी हो गयी जो पीओ को इसका प्रभारी बनाना पड़ा और फिर आधे से अधिक विद्यालयों में मध्याह्न भोजन योजना बंद है.शीघ्र इस मामले में लेंगे संज्ञान : डीएम औरंगाबाद जिले में 800 सरकारी विद्यालयों में मध्याह्न भोजन बंद होने व डीपीओ के स्थान पर पीओ को मध्याह्न भोजन का प्रभारी बनाये जाने से संबंधित मामले में जिला पदाधिकारी कंवल तनुज ने कहा कि मुझे इसकी पूरी जानकारी नहीं है. लेकिन मैं स्कूलों की जांच कर रहे हैं. एक बैठक भी हमने की थी. और इसे मैं खुद संज्ञान में लेकर देखूंगा. डीपीओ की जगह पर पीओ को प्रभार दिये जाने के मामले पर डीएम ने कहा कि जिला शिक्षा पदाधिकारी ने मुझे डीपीओ के बारे में कुछ शिकायत की थी. इसके बावजूद हम इस मामले को देख रहे हैं.

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