औरंगाबाद (कोर्ट): देव थाना क्षेत्र में सोमवार की रात घटी घटना को चुनावी रंग दिया जा रहा है या यह हकीकत है. यह निश्चित तौर पर जांच का विषय है. पुलिस भी पूरी गंभीरता से घटना की जांच में जुटी है. मृतक के भाई अरुणजय कुमार यादव से पूछताछ व उसके द्वारा दिये गये बयान को भले ही पुलिस आधार मान कर जांच कर रही है. मगर, घटना की अन्य पहलुओं को भी पुलिस नजरअंदाज नहीं कर रही. हालांकि, मृतक के भाई के बयान पर ही प्राथमिकी भी दर्ज की गयी है, जिसमें एनडीए प्रत्याशी राजन कुमार सिंह को आरोपित भी बनाया गया है.
दरअसल अपराधियों की गोली से गंभीर रूप से जख्मी मुकेश कुमार यादव को सदर अस्पताल लाया गया, तो उसके साथ घटना के वक्त रहे उसका भाई अरुणजय कुमार यादव के साथ कई स्थानीय लोग भी अस्पताल पहुंचे थे. अरुणजय के साथ-साथ अन्य लोग भी यही कहने लगे कि उप प्रमुख मनोज सिंह ही गोली मारी है. सदर अस्पताल में पहुंचे एसपी बाबू राम व एसडीपीओ अजय नारायण यादव सहित अन्य पुलिस पदाधिकारियों के समक्ष अरुणजय ने यही कहा कि मनोज सिंह ने ही मुकेश को गोली मारी है. वह भी एनडीए प्रत्याशी राजन कुमार सिंह के विपक्ष में प्रचार करने पर. क्या महागंठबंधन प्रत्याशी विनय प्रसाद गुप्ता के पक्ष में प्रचार करना कोई गुनाह है. इस दौरान एसपी बाबू राम ने भी लोगों से कहा था कि दोषी चाहे जो भी हो उसे सजा मिलेगी, लेकिन इस घटना को चुनावी रंग मत दीजिए.
पुलिस ने बचाया : जख्मी मुकेश कुमार यादव को प्राथमिक उपचार के बाद रेफर कर दिया गया था. लेकिन, मृतक के भाई व स्थानीय लोग सदर अस्पताल में ही थे. इसी दौरान कथित तौर पर घटना को अंजाम देनेवाले देव के आरोपित उपप्रमुख मनोज कुमार सिंह भी सदर अस्पताल में पहुंच गये. मुकेश का भाई व लोग उसे वहां देख आक्रोशित हो गये और उसपर हमला बोल दिये. खदेड़-खदेड़ कर उसकी पिटाई करने लगे. वहां उपस्थित नगर थाने की पुलिस को हस्तक्षेप करना पड़ा और मनोज को हिरासत में लेते हुए नगर थाना ले जाया गया. यदि पुलिस वहां उपस्थित नहीं होती तो मनोज सिंह की जान भी जा सकती थी.
मनोज एनडीए प्रत्याशी का नहीं था समर्थक, तो क्यों दिया घटना को अंजाम
एनडीए प्रत्याशी राजन कुमार सिंह के कहने पर गोली मरने के आरोप में पकड़े गये मनोज सिंह के बारे में ऐसी चर्चा है कि वह एनडीए प्रत्याशी के खिलाफ था. सदर अस्पताल में उपस्थित देव इलाके के कुछ लोग यह चर्चा करते सुने गये. इस स्थिति में अब यह सवाल उठता है कि जिस मनोज सिंह पर एनडीए प्रत्याशी के समर्थन में घटना को अंजाम देने का आरोप लगा, यदि वह वास्तव में एनडीए प्रत्याशी के खिलाफ था, तो यदि उसने मुकेश को गोली मारी तो आखिर क्यों मारी. या फिर उसे फंसाया जा रहा है. जबकि मृतक मुकेश महागंठबंधन प्रत्याशी विनय गुप्ता का समर्थक था और उनके पक्ष में प्रचार कर रहा था. मृतक के भाई का यही कहना था कि घटना के वक्त गोली मारने वाले यही कह रहे थे कि तुम राजन कुमार सिंह के पक्ष में क्यों नहीं प्रचार करते. ऐसे में यह सवाल उठना लाजिमी है कि मुकेश के साथ-साथ आरोपित मनोज भी एनडीए प्रत्याशी का समर्थक नहीं था, तो कहीं इस घटना को चुनावी रंग तो नहीं दिया जा रहा? यह जांच का विषय है.