अंबा (औरंगाबाद) : आम के पेड़ के मंजर अब मसूर के दाने के आकार के फल के रूप में परिलक्षित होने लगे हैं. इस अवधि में कीट लगने की संभावना बढ़ जाती है. ऐसी स्थिति में संरक्षण आवश्यक होता है. इसके लिए किसानों को एसीफेट एक ग्राम प्रति लीटर या प्रोपेनोफॉस एक मिली लीटर प्रति लीटर पानी के हिसाब से छिड़काव करना चाहिए. इसकी जानकारी कृषि विज्ञान केंद्र, सिरिस के समन्वयक डॉ नित्यानंद ने दी.
उन्होंने बताया कि जब फल का आकार मटर के दानेका हो जाये उस स्थिति में इमिडाक्लोरोपिड एक मिली लीटर दवा प्रति दो लीटर पानी की दर से, कार्बेन्डाजिम व मेन्कोजेब की समिश्रित दवा दो ग्राम प्रति लीटर के दर से घोल बना कर पौधों पर अच्छी तरह छिड़काव करना चाहिए. इससे फलों को कीटों से बचाया जा सकता है. बाद में जब फल टीकोले के आकार का हो जाये, तो उस परिस्थिति में प्लानोफिक्स दवा एक मिली लीटर प्रति 4 लीटर पानी में घोल बना कर छिड़काव करें. ऐसा कर किसान आम के फल को पौधा से गिरने से रोक सकते है. आम की पत्तियों में काले-काले चिपचिपे पदार्थ फल को दूषित करते हैं. इससे बचाव के लिए कैलथीन दो मिली लीटर प्रति लीटर पानी या सल्फेक्स 3 ग्राम प्रति लीटर पानी का घोल बना कर पौधों पर छिड़काव करें.