जब हमारे घर के देवी-देवता कैद हो जायेंगे तो हमलोगों को धरती पर जन्म लेना सार्थक नहीं है. बिजली घर परियोजना में महाराष्ट्र, बंगाला, हरियाणा, पंजाब के दर्जनों लोग काम कर रहे हैं. लेकिन, आसपास के ग्रामीण लोगों को रोजगार नहीं दिया जा रहा है, जिसके कारण लोग पलायन कर रहे हैं. जो वादा जमीन लेते वक्त किया था, वह अभी तक पूरा नहीं किया गया. न तो किसानों को बोनस मिल रहा है और न ही आवासीय के लिए पैसे. अब तो चौराही बाबा के पास जाने से भी रोका जा रहा है. इधर एनपीजीसी के एजीएम इंचार्ज मणिकांत ने कहा कि किसानों द्वारा जो आरोप लगाया जा रहा है, वह सरासर गलत है. हकीकत यह है कि वे लोग परियोजना पर अपना दबदबा कायम करना चाहते हैं. जब कोई मुदा नहीं मिला तो भगवान के नाम पर राजनीति कर रहे हैं. मेरा काम किसी को बेइज्जत करना नहीं है, बल्कि सम्मान देना है. परियोजना का काम ठप होने से प्रतिदिन करोड़ों रुपये का नुकसान हो रहा है.
धमकी देकर काम को बंद करा दिये हैं. वार्ता करने के लिए हम सभी पदाधिकारी तैयार हैं, लेकिन आंदोलनकारी वार्ता करने से पीछे हट रहे हैं. रही चौराहा बाबा के पास जाने का रास्ता का मामला तो पहले से ही परियोजना द्वारा रास्ता दे दिया गया है. यही नहीं चौराही बाबा के नाम पर डेढ़ एकड़ जमीन है, उसके लिए भी न्यास समिति बना लीजिए. उन्हीं के खाता में पैसा दिया जायेगा. जिससे कि मंदिर का जीर्णाेद्धार किया जा सके. लेकिन, किसान को इससे कोई मतलब नहीं है. उन्हें तो सिर्फ राजनीति करना है.