औरंगाबाद (सदर) : राष्ट्रीय राज मार्ग दो यानी तेज रफ्तार में डूबी जिदंगी. इस मार्ग पर हवा से बातें करती सैकड़ों गाड़ियां भगती रहती है. एक्सिलेटर व ब्रेक पर पकड़ भले ही मानव की होती है, लेकिन जरा सी चूक होने पर ही पलक झपकते ही जिंदगी चारों खाने चीत हो सकती है.
अक्सर ऐसी घटनाएं हो रही है. हाइस्पीड के कारण हर रोज एनएच दो पर लोगों की जान जा रही है, लेकिन इस पर न रोक लग रही और न ही सड़क सुरक्षा का एहतियात बरता जा रहा है. आलम यह है कि बड़े गाड़ियों की रफ्तार देख छोटी गाड़ियां ठहर सी जाती है. यहां मुंह बाये खड़ी मौत अक्सर छोटी गाड़ियों को ही निगल रही है. चाहे वह छोटे चार पहिया वाहन हो या दो पहिया वाहन.
अब तक गयी सैकड़ों जान
सड़क सुरक्षा की परवाह किये बगैर सड़कों पर सरपट दौड़ रही गाड़ियों ने अभी तक दर्जनों की जान ले ली है. अगर आंकड़े पर गौर किया जाये तो प्रत्येक माह औसत 30 घटनाएं हो रही है. इसमें मृत्यु व हताहत होने वालों की संख्या का अनुपात 10:30 है. वर्ष 2013 में अभी तक 80 के करीब लोगों की जान सड़क हादसे में गई है. वहीं हताहतों की संख्या दो सौ से ऊपर है.
मुख्य पथों पर हो रही पैट्रोलिंग
जिले में बढ़ रही दुर्घटनाओं को देखते हुए पुलिस प्रशासन द्वारा हाइवे पेट्रोलिंग की व्यवस्था शुरू की गयी है. राष्ट्रीय राजमार्ग पर आमस से सोननगर पुल तक व एनएच 98 पर जसोइया मोड़ से दाउदनगर के ठाकुर बिगहा तक व दाउदनगर से पचरूखिया होते हुए गोह तक हाइवे पेट्रोलिंग की जा रही है. दिन–रात हाइवे पेट्रोलिंग की जीप इन सड़कों पर दौड़ रही है. इसका उद्देश्य यह है कि जैसे ही कहीं सड़क दुर्घटना हो तत्काल पेट्रोलिंग टीम पहुंच कर घायलों को अस्पताल तक पहुंचा सके, ताकि घायलों का जल्द उपचार शुरू हो और उनकी जान बच सके.
इन रास्तों पर होते हैं हादसे
राष्ट्रीय राज मार्ग दो से जुड़े जसोइया मोड़, फॉर्म मोड़, जोगिया मोड़, दाउदनगर–पटना रोड, सिरिस मोड़, केशव मोड़, ओरा पुल, देव मोड़, शिवगंज मोड़, मदनपुर मोड़, खिरियावा मोड़, कामा बिगहा व मिठाइयां मोड़ पर अक्सर सड़क हादसे होते रहते हैं.
इन स्थानों पर हादसों का कारण सिर्फ हाई स्पीड नहीं, बल्कि सड़कों पर बेतरतीब तरीके से पार्क की गयी बड़ी गाड़ियां भी है. सड़क क्रॉस करते हुए अक्सर छोटी व बड़ी गाड़ियां हादसे का शिकार हो जाती है.