औरंगाबाद (ग्रामीण) राजू गुप्ता की हत्या ने परिजनों को हिला कर रख दिया. जिस घर में कल तक खुशियों की झड़ी लगी थी, वही घर चंद घंटे में वीराना बन गया. मातमी सन्नाटा ऐसा पसरा कि लोग इसे मानने को कतई तैयार नहीं. परिजनों को तो भरोसा ही नहीं हो रहा कि राजू अब नहीं रहा. घर में जैसे ही राजू का शव अंतिम क्रिया के लिए लाया गया, वैसे ही परिजन बेसुध होकर गिर पड़े. कोई अपने भाई की मौत पर रो रहा था तो कोई अपने चाचा की मौत पर. घर की महिलाओं का बुरा हाल था. बहन बेबी, बुची कभी अपने भाई के शव को देखती तो कभी उसके लाड-प्यार को याद कर विफर जातीं. घर में हाल ऐसा था कि हर कोई अपने आंसू को गम में दबा कर बैठा था. आसपास के लोग, मित्र या दूर के परिजन जो भी परिवार को सांत्वना देने पहुंचते. आखिर सांत्वना देता कौन. हर किसी को सांत्वना देने की जरूरत थी. मृतक की दोनों बेटियों का हाल भी वही था. राजू की मौसी जब भी शव के चेहरे को देखती, बेहोश हो जातीं. भतीजा गुड्डू भी रह-रह कर बिलख पड़ता. आखिरकार परिजनों को विधि का विधान मानना पड़ा और नम आंखों से शव यात्रा की विदाई दी. शव यात्रा में शामिल हुए सैकड़ों लोग मृतक राजू के शव का अदरी नदी के श्मशान घाट पर अंतिम संस्कार किया गया. छोटे भाई संजय गुप्ता ने बिलखते हुए मुखाग्नि दी. इससे पहले शुक्रवार की शाम घर से शव यात्रा निकली. घर के परिजन, आस-पड़ोस के लोग व सैकड़ों की संख्या में शहरवासी शामिल हुए. पुरानी जीटी रोड से होते हुए शव यात्रा अदरी नदी पहुंची.
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परिजनों को भरोसा नहीं कि नहीं रहा राजू
औरंगाबाद (ग्रामीण) राजू गुप्ता की हत्या ने परिजनों को हिला कर रख दिया. जिस घर में कल तक खुशियों की झड़ी लगी थी, वही घर चंद घंटे में वीराना बन गया. मातमी सन्नाटा ऐसा पसरा कि लोग इसे मानने को कतई तैयार नहीं. परिजनों को तो भरोसा ही नहीं हो रहा कि राजू अब नहीं […]
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